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पुस्तक स्कैन नहीं होना शिक्षकों के लिए बना जी का जंजाल

Cg news।छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा, प्रदेश संयोजक सुधीर प्रधान, वाजिद खान प्रदेश उपाध्यक्ष गण हरेंद्र सिंह, देवनाथ साहू, बसंत चतुर्वेदी, प्रवीण श्रीवास्तव, शैलेंद्र यदु, डॉ.कोमल वैष्णव, सचिव मनोज सनाड्य, कोषाध्यक्ष शैलेंद्र पारीक ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा पाठ्यपुस्तक वितरण करने वाली संस्था पाठ्यपुस्तक निगम के द्वारा इस बार पाठ्यपुस्तक वितरण के लिए टीबीसी एप के माध्यम से समस्त पुस्तकों को विद्यार्थियों को वितरण करने के पूर्व स्कैनिंग करना अनिवार्य है।

बिना स्कैनिंग के पुस्तक वितरण नहीं करना है, पुस्तक वितरण के पूर्व बारकोड एवं आईएसबीएन कोड को शिक्षकों के निजी मोबाइल के माध्यम से स्कैनिंग करने की प्रक्रिया शिक्षक संवर्ग के लिए सर दर्द बनी हुई है, रोज सर्वर की समस्या रहती है।

जिसके कारण शिक्षक संवर्ग अपना अध्ययन-अध्यापन का कार्य करना छोड़ कर अधिकारियों के दबाव के चलते पुस्तक स्कैनिंग करने में लगे हुए हैं फिर भी लाख प्रयास करने के बाद भी सर्वर जाम की समस्या के चलते दिनभर में कुछ ही पुस्तकें स्कैन हो पा रही है।

बहुत सारे पुस्तकों में बारकोड एवं आईबीएन कोड नहीं होने के कारण पुस्तकें स्कैनिंग नहीं हो पा रही हैं। अत्यधिक दर्ज संख्या वाले विद्यालयों में पुस्तक स्कैनिंग करने का कार्य पहाड़ चढ़ने जैसा साबित हो रहा है।

इधर अधिकारी गण रोज व्हाट्सएप ग्रुप में मैसेज टाइप कर एवं गूगल शीट जारी कर संकुल समन्वयक एवं संकुल प्राचार्य के माध्यम से तत्काल स्कैनिंग कर जानकारी अपलोड करने का दबाव बनाए हुए हैं जिसके कारण से शिक्षक संवर्ग शाला प्रवेश संबंधी कार्य नियमित रूप से समय सारणी अनुसार अध्यापन कार्य एवं अन्य विद्यालयीन कार्य को करने में भी कठिनाई महसूस कर रहे हैं।

अधिकारियों के द्वारा अपने-अपने जिलों को टाप पर पहुंचाने की उनकी महत्वाकांक्षा के कारण मौखिक रूप से शिक्षकों को पुस्तकों को घर ले जाकर की स्कैनिंग करने का दबाव भी बना रहे हैं जिसके कारण से शिक्षक संवर्ग मानसिक रूप से भी परेशान हैं।

सर्वर डाउन होने के कारण से पुस्तक के स्कैनिंग नहीं हो पा रही है और स्कैनिंग किए बगैर पुस्तक का वितरण विद्यार्थियों को नहीं हो पा रहे हैं जिसके कारण से विद्यार्थीगण भी मानसिक रूप से परेशान है।

पुस्तक स्कैन के बिना शाला प्रवेश उत्सव भी प्रभावित हुआ है, पालकगण भी संस्था प्रमुख एवं शिक्षकों से विद्यार्थियों को पुस्तक कब मिलेगा करके लगातार प्रश्न पूछ रहे है।

पदाधिकारियों ने कहा कि पूर्व में कुछ जगहों के जिला शिक्षा अधिकारियों के द्वारा अपने निजी लाभ के लिए शेष बची हुई पुस्तकों को कबाड़ में बेच दिया जिससे शासन एवं विभाग की छवि खराब हुई, इसके पुनः दोहराव को रोकने के लिए शासन एवं विभाग में इस प्रकार ऐप लॉन्च कर मॉनिटरिंग करने की व्यवस्था की है परंतु यह शिक्षक संवर्ग के लिए सर दर्द तथा समय की बर्बादी करने वाला प्रयोग साबित हो रहा है।

छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा कि ,,करे कोई और भरे कोई,,की कहावत है। पाठ्यपुस्तक निगम को पूर्व में जिलों से वास्तविक जानकारी मंगाकर के पाठ्यपुस्तक छपाई का कार्य करना था एवं इसके वितरण की सही व्यवस्था करनी चाहिए थी परंतु विभाग द्वारा भी इस प्रकार का कार्य नहीं किया गया, जिसके कारण से शेष बची हुई पुस्तकों की संख्या बहुत अधिक मात्रा में रह जाती थी अधिकारियों ने उसको कबाड़ में बेचने का काम कर दिया था। गलती अधिकारी किये अब भरपाई शिक्षक कर रहे है।

शिक्षा विभाग में पुस्तक गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों की ऐसी लापरवाही की सजा शिक्षक एवं विद्यार्थी क्यों भुगतेंगे? छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी ने मांग की है कि छात्र हित, शिक्षक हित एवं शैक्षिक गुणवत्ता के लिए आवश्यक है की पाठ्य पुस्तकों में स्कैनिंग की वृहद पैमाने पर आ रही तकनीकी समस्या एवं व्यावहारिक कठिनाइयों को दृष्टिगत रखते हुए जितने भी पुस्तक संस्थाओं को प्राप्त हुई है।

उनको तुरंत ऑफलाइन मोड पर वितरण करने की व्यवस्था सुनिश्चित करें एवं शेष बची हुई पुस्तकों की जानकारी के लिए पुख्ता मॉनिटरिंग व्यवस्था अपनावे ताकि नवीन शैक्षणिक सत्र चालू होने के पखवाड़े भर बाद भी बिना पुस्तकों के अभाव में विद्यार्थियों के अध्ययन-अध्यापन का कार्य जो बुरी तरीके से प्रभावित हुआ है वह पटरी पर आ सके।

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