जिला पंचायत के दोनों पदों पर भाजपा का कब्जा..चुनाव में विजय और दीपक के बीच तू-तू,मैं-मैं…पढ़ें..किसने स्मृति श्रीवास को हराया
उपाध्यक्ष चुनाव के दौरान बदमाशी..कांग्रेसियों ने काटा बवाल

बिलासपुर—हंगामा और नारेबाजी के बावजूद जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। प्रयास के बावजूद कांग्रेस अपने प्रत्याशियों को नहीं जिता पायी। भाजपा के राजेश सूर्यवंशी ने एक मत से कांग्रेस प्रत्याशी सतकली बावरे को हराया। स्मृति त्रिलोक श्रीवास को उपाध्यक्ष पर दो मतों से हार मिली है।
यद्यपि कांग्रेस का दावा था कि त्रिलोक श्रीवास की मदद से अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों ही पद जीतेंगे। लेकिन खुद त्रिलोक श्रीवास की पत्नी को ही दो मतों से हार का सामना करना पड़ा ।
जिला पंचायत चुनाव अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद का फैसला हो गया है। दोनो ही पद पर कांग्रेस को हार और भाजपा को जीत मिली है। लेकिन चुनवा के दौरान जिला प्रशासन के सख्त निर्देश के बाद भी सत्ता पक्ष के लोगों ने नियम निर्देशों का जमकर माखौल उड़ाया है। इस बात को लेकर कांग्रेस और भाजपा समर्थकों और जिला अध्यक्षों के बीच जमकर तू तूम मैं मैं हुई है।
जिला प्रशासन के निर्देश पर कार्यालय से बाहर कांग्रेसी पंडाल के नीचे बैठकर चुनावी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे। लेकिन दूसरे दरवाजे से भाजपा नेता बेरोक टोक कार्यालय के अन्दर पहुंचकर अपने दलों के सदस्यों का मार्गदर्शन करते पाए गए। इसी दौरान जानकारी मिली कि भाजपा संगठन पदाधिकारी जिला अध्यक्ष दीपक सिंह के साथ मिलकर पदाधिकारी चुनाव को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं। इतना सुनते ही जिला कांग्रेस अध्यक्ष विजय केशरवानी की अगुवाई में कांग्रेस नेताओं ने हंगामा मचाना शुरू कर दिया। कार्यालय के अन्दर घुूसकर शासन प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। कांग्रेस नेताओं ने चुनाव बहिष्कार का एलान शुरू कर दिया।
हंगामा के बाद जिला पंचायत कार्यालय और पुलिस प्रशासन हरकत में आयी। दोनों ही दलों के पदाधिकारियों को कार्यालय से बाहर किया। इस दौरान विजय केशरवानी और दीपक सिंह ठाकुर के बीच जमकर तू तूम मैं मैं हुआ। माहौल बिगडते देख पुलिस टीम भी सक्रिय हो गयी। इसी बीच केशरवानी और राजेन्द्र शुक्ला ने कहा कि जब तक भाजपा नेता कार्यालय से बाहर किए जाएंगे…हम चुनाव नहीं होने देंगे। इसके बाद किसी तरह दोनों दलों के नेता बाहर आए। और जिला पंचायत कार्यालय का एक दरवाजा बन्द किया गया।
अध्यक्ष को एक उपाध्यक्ष को दो मतों से हार
जानकारी देते चलें कि जिला पंचायत में कुल 17 सदस्य हैं। सभी सदस्यों ने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए मतदान किया। अध्यक्ष पद के लिए भाजपा से राजेश सूर्यवंशी को 9 और कांग्रेस प्रत्याशी सतकली वाबरे को 8 मत मिले। इस तरह सतकली कंवर को एक मत से हार का सामना करना पड़ा। उपाध्यक्ष पद के लिए भाजपा ने ललिता संतोष कश्यप और कांग्रेस नेे कांग्रेस के बागी नेता त्रिलोक श्रीवास की पत्नी स्मृति श्रीवास पर दांव खेला। स्मृति त्रिलोक श्रीवास को ललिता के मुकाबले दो मतों से हार का सामना करना पड़ा।
कांग्रेस ने इसलिए आजमाया दांव
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस को त्रिलोक श्रीवास ने भरोसा दिया था कि यदि स्मृति को उपाध्यक्ष पद के लिए खड़ा किया गया तो दो वोट का इंतजाम करेंगे। मजेदार बात है कि अध्यक्ष पद पर कांग्रेस को सिर्फ एक वोट से हार मिली। लेकिन उपाध्यक्ष पद पर खड़ी स्मृति त्रिलोक श्रीवास को दो मतों से हार का मुंह देखना पड़ा।
कामयाब रहे त्रिलोक श्रीवास
सूत्र ने बताया कि त्रिलोक श्रीवास हमेशा की तरह अपनी राजनीति में कामयाब रहे। बताते चलें कि त्रिलोक श्रीवास कांग्रेस के बागी नेता हैं। उन्होने निगम और जिला पंचायत चुनाव के दौरान कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ प्रचार किया। इसके बाद जिला अध्यक्ष विजय केशरवानी की अनुशंसा पर पार्टी से निष्कासन कार्रवाई की गयी। इस बीच जिला पंचायत चुनाव में कांग्रेस समेत उनके समर्थित सात प्रत्याशी चुनाव जीत कर आए। जबकि भाजपा के पास बहुमत के लिए कुल 9 सदस्य थे। कांग्रेस की तरफ से दावा था कि यदि स्मृति श्रीवास को उपाध्यक्ष पद का मौका दिया तो बहुमत मिलना निश्चित है।
शनिवार को जिला पंचायत पदाधिकारी चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए खड़ी कांग्रेस प्रत्याशी सतकली को एक मत से हार का मुंह देखना पड़ा तो स्मृति को दो मतों से भाजपा प्रत्याशी ललिता ने पटकनी दी। कांग्रेस के कुछ नेताओं ने बताया कि हार जीत के इस खेल में त्रिलोक श्रीवास को फायदा हुआ है। अन्ततः कांग्रेस संगठन ने उन्हें इस बहाने ही सही पार्टी में कबूल कर लिया है।
किसने किया क्रास वोटिंग
उपाध्यक्ष पद के लिए वोटिंग में भाजपा को 9 वोट मिले। स्मृति त्रिलोक श्रीवास को मात्र सात वोट हासिल हुए। सवाल उठता है कि कांग्रेस को आखिर एक वोट किसने नहीं दिया। और निरस्त एक वोट किसका है। बताया तो यह भी जा रहा है कि भाजपा के किसी प्रत्याशी का वोट निरस्त हुआ है और कांग्रेस खेमे से किसी ने एक वोट भाजपा को दिया है।
इसके चलते भाजपा को तो पूरे 9 वोट मिले। लेकिन कांग्रेस को अध्यक्ष प्रत्याशी की तुलना में 8 की जगह सात ही वोट मिले। अन्दर खाने से मिली जानकारी के अनुसार दरअसल कांग्रेस के किसी सदस्य ने ही स्मृति श्रीवास के खिलाफ जाकर जानबूझकर गलती की है। चुनाव अधिकारी ने वोट को निरस्त कर दिया है।