Bilaspur

निगम ने इंसानियत पर चलाया बुलडोजर…टाटा महराज का फूटा गुस्सा…पूछा..जब उजाड़ना था तो गरीबों को बसाया क्यों

कांग्रेस नेता टाटा ने कहा..जनप्रतिनिधियों ने गरीबों को बनाया वोट बैंक

बिलासपुर—प्रदेश कांग्रेस सचिव महेश दुबे यानि टाटा महाराज ने निगम कार्रवाई पर जमकर निशाना साधा है। उन्होने प्रेस नोट जारी कर निगम की संवेदनहीनता और बुलडोजर संस्कृति को आड़े हाथ लिया है। टाटा ने निगम को बताया कि हमारा सिस्टम सोशल वेलफेयर आधारित है। बावजूद इसके निगम ने मानवता को तार तार करते हुए चिंगराज पारा में इंसानियत पर बुलडोजर चलाया है। गरीबों पर बुलडोजर चलाकर निगम ने अमीरों की गड़बड़ियों पर पर्दा डालने का काम किया है। टाटा ने अतिक्रमण के लिए निगम प्रशासन को जिम्मेदार बताया है। उन्होने सवाल भी किया है कि अतिक्रमण को  तोड़ना ही था तो गरीबों को बिजली पानी सड़क की सुविधा दिया ही क्यों गयी।
प्रदेश कांग्रेस सचिव महेश दुबे ने प्रेस नोट जारी कर चिंगराजपारा,लिंगियाडीह में निगम बुलडोजर कार्रवाई को गरीबों के साथ अन्याय बताया है। उन्होने शायराना अंदाज में प्रेस नोट जारी कर कहा कि ग़रीबी में जिसने जन्म लिया ..उसे बेवक़्त मरना ही पड़ेगा…मतलब गरीब को जीने की कीमत चुकाना ही होगा।  महेश दुबे ने कहा नगर पालिक निगम की अतिक्रमण के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई गरीबों को परेशान करने की सोची समझी साजिश है। सुगम .यातायात व्यवस्था के नाम पर अतिक्रमण के खिलाफ निगम कार्रवाई मानवीय संवेदना को तार तार करने जैसा है। निगम की बुलडोजर कार्रवाई से मानवता शर्मसार हुई है।
इंसानियत पर चला बुलडोजर
महेश दुबे ने प्रेस नोट में कहा कि जिस तरीके से अतिक्रमण के नाम पर इंसानियत पर बुलडोजर चलाया गया..उसे लम्बे समय तक भुलाया नहीं जा सकता है। कैंसर  पीड़ित पांच साल के बच्चे की मौत बहुत ही दर्दनाक है। यह सच है कि उसकी मौत कैंसर से हुई। लेकिन मृतक बच्चे के परिवार ने निगम से दो दिन का समय मांगा। लेकिन कठोर बेदर्द निगम ने आशियना तोड़कर दुखी परिवार को दुहरा जख्म दे दिया। सवाल उठता है कि जब इंसान हीं नहीं होगा तो निगम की जरूरत ही क्यों होगी। यदि निगम दो दिन रूक जाता तो क्या बिगड जाता। क्योंकि सड़क निर्माण का काम अभी शुरू भी नहीं हुआ है।
गरीबों को हुआ गरीबी का अहसास
 टाटा ने कहा कि इलाके में वर्षों से लोग पीढ़ी दर पीढ़ी रह रहे हैं। तीन पीढ़ी ने जमीन पर जन्मा लिया,.,खेला कूदा और बड़ा हुआ।  इस दौरान पीढ़ियों को पता ही नहीं चला कि वह सरकारी जमीन पर काबिज है। निगम के बुलडोजर ने अहसास कराया कि गरीबों का दुनिया में अपना कोई आशियाना नहीं होता है। यह जानते हुए भी कि क्षेत्र में सरकार ने ही सड़क पानी बिजली स्कूल अस्पताल की सुविधा मुहैया कराया है। सवाल उठता है कि आखिर विस्थापित किए गए लोग सरकारी जमीन पर काबिज थे…तो उन्हें बिजली पानी सड़क समेत सरकारी योजनाओं का लाभ क्यों दिया गया।
वोट बैंक में फंस गया गरीब
समय रहते अतिक्रमण पर रोक क्यों नहीं लगाया गया। सालों साल रहने के बाद अचानक शासन प्रशासन ने क्षेत्र को अतिक्रमित घोषित कर दिया। निगम कार्रवाई के बाद कई सवाल खड़े कर दिए है। क्या स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने वोट बैंक की लालच में गरीबो को सरकारी जमीन पर बसाया। यदि ऐसा है तो निगम की जिम्मेदारी बनती है कि गरीबों के मजाक करने वालों के भी आशियाने पर बुलडोजर चलाए।
जानवरों की तरह व्यवहार
टाटा महराज ने दुख जाहिर करते हुए कहा कि जब गरीबों का आशियाना टूट रहा था..स्वनाम धन्य नेता अपने घर से नहीं निकले। जबकि उन्हें सड़क पर उतरकर कार्रवाई का विरोध करना था। टाटा ने बताया तोड़फोड़ से पहले विस्थापितों को सुरक्षित और व्यवस्थित मकान दिया जाना चाहिए था। लेकिन हुआ उलटा…निगम ने जानवरों की तरह विस्थापित पीड़ितों को जबरन जर्जर मकान में जानवरों की तरह ढूंस दिया । निगम की दरियादिली निश्चित रूप से शर्मसार करने वाली है।
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