प्रशासन पर ‘आपदा प्रदर्शन’…निगम की तैयारी देख शर्मा गए इन्द्रदेव.. अफसरों के घर तक पहुँचा ‘विकास.

बिलासपुर…“बिलासपुर स्मार्ट सिटी है!” – यह जुमला बिलासपुर की जनता पिछ्ले कई सालों सुनते आ रही हैं।इस बार बारिश ने साबित कर दिया कि यह शहर सचमुच स्मार्ट है – बस पानी निकालने में थोड़ी दिक्कत है, वरना हर गली-मोहल्ला, हर चौराहा, और हर सरकारी दफ्तर ‘अकूत जल-समृद्धि’ में डूबा हुआ है। सच भी है क्योंकि यहां के अधिकारी स्मार्ट जो ठहरे..
गुरुवार को हुई कुछ घंटों की तेज बारिश ने नगर निगम की “कागज़ी तैयारी” और “डिजिटल विज़न” को बखूबी उजागर कर दिया। नेहरू चौक स्थित एसडीएम कार्यालय का हाल देखकर लग रहा था मानो वहां कोई “मिनी समुद्र दर्शन केंद्र” खोला गया हो। कोर्ट रूम तक पानी घुस आया, और अफसरों को दस्तावेजों को तैराकर बचाना पड़ा – शायद अब ‘वॉटरप्रूफ फाइलें’ छपवाने का टेंडर निकलेगा!
इधर कलेक्टर निवास के बाहर तो जैसे “जल महोत्सव” मनाया जा रहा था। इतना सुन्दर और सुव्यवस्थित जलभराव था कि यदि ध्यान नहीं दें तो समझिए आप सैलानीपुरम पहुँच चुके हैं। मोटर पंप वाले बहादुर कर्मचारी देर शाम तक पानी खींचने की कवायद करते रहे – और पानी खींचता रहा उन्हें।
शहर के अन्य भागों – राजेन्द्र नगर, तारबाहर, अग्रसेन चौक, सिरगिट्टी, शनिचरी बाजार, सरकंडा – सभी जगह नागरिकों ने नये अंदाज़ में ‘जल समाधि’ का अनुभव लिया। कुछ तो घर से ऑफिस नहीं बल्कि डोंगी लेकर निकलने का मन बना चुके थे।
स्थानीय निवासी और भाई रामलाल ने बताया कि –
“हमने तो सोच लिया है, हर साल नगर निगम को वाटरपार्क टैक्स देना शुरू कर देंगे। वो वैसे भी हर साल हमें फ्री में ये सुविधा दे रहा है।”
ड्रेनेज सिस्टम की हालत पर सवाल उठाना अब बेमानी है, क्योंकि नगर निगम को पानी से लड़ने के लिए नहीं, उससे मित्रता निभाने के लिए नियुक्त किया गया है। जो लोग सोचते हैं कि बारिश में पानी नहीं भरेगा – वो स्मार्ट सिटी की आत्मा को नहीं समझते।
सोशल मीडिया पर भी बाढ़ आई है – पोस्टों और मीम्स की। लोग ‘बिलासपुर जल नगरी’ का नया लोगो बनाने की तैयारी में हैं। कुछ लोगों ने तो SDM ऑफिस को “पब्लिक स्विमिंग पूल” घोषित करने की मांग कर दी है।
अब जनता एक ही सवाल कर रही है –“आख़िर कब निकलेगा पानी और कब जागेगा प्रशासन?”…शायद अगली बारिश से ठीक पहले।