30 साल से यहां उडता है रंग और गुलाल..उमड़ती है दिग्गजों की भीड़..पूर्व विधायक ने बताया..जन आशीर्वाद से हुआ संभव
पूर्व विधायक ने बताया..जनता ने बनाया अपना मंच..दोस्तों का 30 साल से मिल रहा प्यार

बिलासपुर—शहर के प्रमुख स्थलों में से एक 27 खोली का नाम जिले में चर्चित है। लोकप्रियता का एक कारण वाजपेयी परिवार भी है। परिवार के सदस्यों का नाता ना केवल सामाजिक और राजनैतिक है। बल्कि परिवार का नाम कानूनविद और समाजसेवियों में गिना जाता है। सबसे बड़ी बात कि कोई राजनैतिक दल का नेता या प्रशासन का अधिकारी क्यों ना हो..होली आते ही उसे पूर्व विधायक चन्द्रप्रकाश वाजपेयी का होली मिलन उत्सव का बेसब्री से इंतजार रहता है। मजेदार बात है कि वाजपेयी परिवार अपने अतिथियों का ना केवल सीने से लगाकर स्वागत करता है। बल्कि परिवार की जिन्दादिली से कार्यक्रम में शामिल होने वालों के बीच मौजूद आम और खास की दूरियों को दूर भगा देता है। जी हां चन्द्रप्रकाश वाजपेयी यह अभियान पिछले तीस साल से अहर्निस सेवा के रूप में संचालित कर रहे हैं। जाहिर सी बात है कि इस बार भी उन्होने ऐसा ही किया। बसंतोत्सव के दौरान उन्होंने फाग का आनन्द लेने पहुंचे..सभी का अबीर गुलाल के साथ सीने से लगाकर स्वागत किया।
27 खोली में पिछले 30 साल से संचालित बंसतोत्सव कार्यक्रम का आयोजन इस साल भी 16 मार्च को आयोजित किया गया। गरिमामय कार्यक्रम में महिला समेत पुरूषों ने भाग लिया। सभी ने घंटो मंत्रमुग्ध होकर फाग गायन का आनन्द लिया। पूर्व विधायक चन्द्रप्रकाश वाजपेयी की अगुवाई में लगातार तीस साल से संचालित बसंतोत्सव कार्यक्रम में सभी ने भजिया चटनी का स्वाद चखा। मंच से फगुआरों ने मौजूद सैकड़ों लोगो का मनोरंज किया। गणमान्य लोगों ने एक दूसरे को सीने से लगाकर प्यार भी जाहिर किया।
पूर्व विधायक चन्द्रप्रकाश वाजपेयी ने कहा कि कार्यक्रम का संचालन पिछले तीस साल किया जा रहा है। दरअसल यह कार्यक्रम वाजपेयी परिवार का नहीं बल्कि बिलासपुर की जनता का है। लोगों का पिछले तीस साल सेआशीर्वाद मिल रहा है। प्यार देखकर अपने शहर पर गर्व भी महसूस होता है। बसंतोत्सव कार्यक्रम का मूल उद्देश्य अपनी परम्पराओं को ना केवल याद रखना है। बल्कि भाईचारे की भावना को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना है।
उन्होने कहा कि सबसे सम्पर्क होना संभव नहीं है। इसलिए कार्यक्रम का दरवाजा सभी के लिए खुला रहता है। लोगों को देखकर असीम खुशी होती है। लोग एक दूसरे मिलकर अपनी भावनाओं को जाहिर करते हैं। सुख के गुलाल से सभी लोग दुख के कालिक को हमेशा के मिटाते हैं। इस बहाने लोगों से मिलना जुलना भी हो जाता है।