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Rajasthan News-भजनलाल सरकार ने पूर्ववर्ती गहलोत सरकार द्वारा बनाए दो-दो नगर निगमों को फिर से एक कर दिया

भजनलाल सरकार ने पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार द्वारा जयपुर, जोधपुर और कोटा में बनाए गए दो-दो नगर निगमों को फिर से एक कर दिया है।

Rajasthan News-राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार ने एक बड़ा प्रशासनिक फैसला लेते हुए जयपुर, जोधपुर और कोटा में दो-दो नगर निगमों को फिर से एक करने का निर्णय लिया है। इस फैसले ने राज्य की राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है, क्योंकि कांग्रेस इसे शहरी विकास के खिलाफ उठाया गया कदम करार दे रही है और हाईकोर्ट जाने की चेतावनी दे चुकी है। वहीं, भाजपा सरकार ने इसे प्रशासनिक सुगमता और खर्चों में कटौती की दिशा में उठाया गया आवश्यक कदम बताया है।

नगर निगमों के विलय से घटेगी संख्या, बढ़ेगा विवाद
राजस्थान सरकार के स्वायत्त शासन विभाग द्वारा जारी किए गए आधिकारिक नोटिफिकेशन के अनुसार, मौजूदा नगर निगमों का कार्यकाल पूरा होने के बाद यह आदेश लागू होगा।

आगामी नगर निगम चुनाव अब जयपुर, जोधपुर और कोटा में एक-एक निगम के आधार पर ही होंगे। इस निर्णय के बाद राज्य में नगर निगमों की कुल संख्या 13 से घटकर 10 रह जाएगी।

जयपुर में फिलहाल ‘ग्रेटर’ और ‘हेरिटेज’ नाम से दो नगर निगम कार्यरत हैं, जिनमें अलग-अलग महापौर और कुल 250 वार्ड हैं। लेकिन अब इन दोनों को मर्ज कर दिया जाएगा, जिससे वार्डों की संख्या घटकर 150 रह जाएगी। इससे स्थानीय प्रशासन में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।

गहलोत ने भाजपा सरकार पर साधा निशाना
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए भाजपा पर शहरी विकास को पीछे धकेलने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जनवरी 2025 में गुजरात सरकार ने वहां 9 नए नगर निगम बनाए, जिससे शहरी विकास को बढ़ावा मिला।

गहलोत ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि “गुजरात मॉडल को भाजपा आदर्श मानती है, लेकिन राजस्थान में भाजपा की सरकार इसे पूरी तरह से विफल मान रही है।” उन्होंने इस निर्णय को शहरी ढांचे को कमजोर करने वाला कदम बताया। कांग्रेस इसे हाईकोर्ट में चुनौती देने की तैयारी में है और जयपुर में प्रदर्शन करने की रणनीति बना रही है।

BJP ने फैसले को बताया प्रशासनिक सुधार
भाजपा सरकार ने अपने फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि नगर निगमों की संख्या बढ़ने से प्रशासनिक जटिलताएं बढ़ गई थीं, जिससे विकास कार्यों में तालमेल की कमी महसूस की जा रही थी। भाजपा का मानना है कि एक ही शहर में दो नगर निगम होने से संसाधनों का अपव्यय हो रहा था और इस वजह से नगर निकायों की कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही थी।

सरकार का तर्क है कि नगर निगमों के पुनर्गठन से प्रशासनिक खर्चों में कटौती होगी और नगर निकायों का कामकाज अधिक प्रभावी होगा। भाजपा का यह भी कहना है कि इस फैसले से शहरों में बेहतर बुनियादी ढांचे का विकास किया जा सकेगा।

पहले भी बदले गए गहलोत सरकार के फैसले
यह पहली बार नहीं है जब भाजपा सरकार ने कांग्रेस सरकार के फैसलों को पलटा है। इससे पहले भजनलाल सरकार ने गहलोत सरकार द्वारा बनाए गए 17 नए जिलों में से 9 जिलों को खत्म कर दिया था। गहलोत सरकार के दौरान राजस्थान में कुल 50 जिले बनाए गए थे, लेकिन अब यह संख्या घटकर 41 रह गई है।

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