पटवारी या तहसीलदार…किसने मिलाया भू-माफियों से हाथ…जांच की मांग…SDM स्थगन आदेश की किसने उड़ाई धज्जियां
दबंग पटवारी और तहसीलदार की भू-माफिया से सांठ-गांठ.लाखों का लेनदेन

बिलासपुर—कलेक्टर अवनीश शरण का स्थानांतरण हो गया है। व्यवस्था के मद्देनजर आज भी कलेक्टर की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। यद्यपि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान जमीन माफियों के नाक में दम कर दिया। बावजूद इसके दबंग घुरू पटवारी ने ऐसा जादू किया कि फर्जीवाड़ा की भनक कलेक्टर तक नहीं पहुंची। दबंग पटवाारी मनमोहन सिदार ने तहसीलदार को विश्वास में लेकर 11 अप्रैल को तखतपुर एसडीएम आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए प्रतिबंधित जमीन का नामांतरण कराया है। मजेदार बात है कि एसडीएम को इस बात की अभी तक जानकारी भी नहीं है। सूत्रों की मानें तो पटवारी ने फर्जीवाड़ा के लिए भूमाफियों से लाखों रूपयों का लेन-देन किया है।
एसडीएम ने लगाया रोक..पटवारी ने किया बंटाधार
जमीन माफियों पर कसावट के बीच घूरू पटवारी और सकरी तहसीलदार ने नामांतरण में जमकर फर्जीवाड़ा किया है। जानकारी देते चलें कि तखतपुर के तत्कालीन एसडीएम ने साल 2021 में पांच से सात खसरों की रजिस्ट्री और नामांतरण पर रोक लगा दिया। लेकिन करामती घुरू पटवारी ने तहसीलदार के बदलते ही नए तहसीलदार के साथ मिलकर स्थगन के बावजूद प्रतिबंधित जमीन का नामांतरण करवा लिया है। जानकारी है कि दोनों ने मिलकर इसके लिए भू-माफियों से जमकर लेन देन किया है।
दस्तावेजों से मिली जानकारी के अनुसार एसडीएम ने शिकायत के बाद घुरू स्थित खसरा 91/3, 92/3,93/3,94/2,95/2 की खरीदी विक्री पर 2021 में प्रतिबंध लगाया है। इसके अलावा बिक्री प्लाट के नामांतरण को भी रोका है। सभी खसरों को मिलाकर स्थगन आदेश जारी कर पटवारी और तहसीलदार को भी अवगत कराया।
पुराने ने लौटाया..नए ने कर दिया
इस दौरान बीच बीच में तत्कालीन तहसीलदार अश्वनी कंवर के सामने प्लाट खरीदने वाले आलोक गुप्ता, डाली चौहान, रिंकी गुप्ता और प्रशांत सिंह ने नामांतरण के लिए आवेदन किया। लेकिन अश्वनी कंवर ने हर बार स्थगन का हवाला देकर नामांतरण से इंकार कर दिया।
बिल्ली के भाग्य से छींका टूटा…सकरी से हटाया गया पुराना तहसीलदार ने एक बार फिर सकरी पहुंचकर घुरू क्षेत्र का जिम्मा लिया। इसी के साथ वर्तमान पटवारी मनमोहन सिदार ने भी फर्जीवाडा का खेल शुरू कर दिया। हमेशा की तरह प्लाट खरीदने वाले चारो से नामांतरण का आवेदन कराया। ताज्जुब की बात है कि इस बार नए तहसीलदार ने पटवारी के प्रभाव में आकर ताबड़तोड़ चारो का नामांतरण कर भी दिया।
चार का नामांतरण..पांचवे का स्थगन..
तहसीलदार ने यह भी नहीं पूछा की नामांतरण में देरी की वजह क्या थी। शायद पटवारी ने भी नहीं बताया कि सभी खसरा विवादास्पद है और एसडीएम ने स्थगन आदेश दिया है। बिना पटवारी के प्रतिवेदन पर तहसीलदार ने रोके गए 91/3 से आलोक गुप्ता, रिंकी गुप्ता डाली चौहान, प्रशांत मिरी का नामांतरण पर मुहर लगा दिया। लेकिन इसी खसरे से खरीदी गयी कमला प्रसाद चतुर्वेदी की जमीन का नामांतरण एसडीएम स्थगन का हवाला देकर निरस्त कर दिया।
जानकारी नहीं या जानकारी को नजरअंदाज
सकरी तहसील के कर्मचारी ने बताया कि चारों खसरे का नामांतरण लेन देन के बाद किया गया है। इस दौरान पटवारी ने स्थगन आदेश को छिपाकर रखा था। लेकिन तहसीलदार को इसकी जानकारी होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसका खुलासा जांच के बाद ही पता चलेगा। कमला चतुर्वेदी का नामांतरण नहीं होने का मुख्य कारण भी लेन देन ही है।
दोनों के खिलाफ दर्ज हो एफआईआर
सकरी तहसलील कर्मचारी ने जानकारी दिया कि दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होना चाहिए। पटवारी और तहसीलदार ने एसडीएम आदेश का जानबूझ कर उल्लंघन किया है। मामले को एसडीएम शिव कंवर को संज्ञान में लेना होगा। संभव है कि दोनों के खिलाफ कलेक्टर जांच का आदेश दें…जांच के बाद प्रकरण दूध का दूथ और पानी का पानी हो जाएगा। बहरहाल पटवारी की भूमिका सर्वाधिक संदिग्ध है।