Bilaspur

बेदाग निकले पटवारी और नायब तहसीलदार..? मंत्री ने दिया था जांच का आदेश..एसडीएम और सकरी तहसीलदार ने दिया क्लीन चिट..?

घूरू और काठाकोनी में देवरी और खम्हारडी स्थित महर्षि योगी ट्रस्ट जमीन मामला

बिलासपुर–जमीन मामले में भ्रष्टाचार को अंजाम देने वाले घुूरू पटवारी को तखतपुर एसडीएम और सकरी तहसीलदार ने क्लिट चिट दे दिया है। जानकारी के अनुसार जांच पड़ताल में पाया गया है कि घुरू पटवारी ने कोई गलती नहीं की है। और काठाकोनी में देवरी और खम्हारडीह स्थित महर्षि योगी ट्र्स्ट की जमीन पूरी तरह से सुरक्षित है। एसडीएम और सकरी तहसीलदार की जांच रिपोर्ट से घूरू पटवारी और तत्कालीन तहसीलदार राकेश सिंह ठाकुर के लिए राहत की खबर है। जानकारी देते चलें कि मंत्री टंकराम वर्मा ने दोनों ही मामलों में जांच का आदेश दिया था। लेकिन अधिकारियों ने दोनो ही मामलों में विभाग को बचा लिया है।

जानकारी देते चलें कि कुछ दिनों पहले बिलासपुर प्रवास पर पहुंचे राजस्व मंत्री के सामने घुूरू पटवारी को लेकर पत्रकारों ने सवाल किया।  मंत्री को बताया गया कि घुरू पटवारी हल्का नम्बर 61 में मनमोहन सिंह सिदार ने स्थगन आदेश के बाद भी प्रतिबंधित जमीन का ना केवल नामांतरण किया..बल्कि रजिस्ट्री भी किया है। मामले को गंभीरता से लेते हुए मंत्री ने बैठक के दौरान कलेक्टर से मामले में जांच कराने को कहा।

बताते चलें कि तत्कालीन कलेक्टर अवनीश शरण ने घूरू पटवारी हल्का से लगातार मिल रही अवैध प्लाटिंग और सरकारी जमीन हड़पने के शिकायत के बाद एसडीएम को तत्काल उचित कार्रवाई का आदेश दिया। तत्कालीन एसडीएम ज्योति पटेल ने खसरा नम्बर 91 की रजिस्ट्री और नामांतरण पर स्थगन आदेश जारी कर दिया।

स्थगन आदेश को दिखाया ठेंगा

स्थगन आदेश जारी होने के बाद ग्राहकों ने कई बार प्रतिबंधित जमीन को लेकर नामांतरण और रजिस्ट्री का प्रयास किया। तत्कालीन सकरी तहसीलदार अश्वनी कंवर ने हर बार स्थगन आदेश का हवाला देकर नामांतरण और रजिस्ट्री से इंकार किया। इसी बीच अश्वनी कंवर का स्थानांतरण कोटा हो गया। स्थानांतरण के दूसरे ही दिन घुरू पटवारी मनमोहन सिदार ने जमीन माफियों से मिली भगत कर प्रतिबंधित जमीन का नामांतरण और रजिस्ट्री को आवेदन प्रभारी तहसीलदार राकेश सिंह के सामने पेश किया। इस दौरान उन्होने एसडीएम स्थगन आदेश की जानकारी नहीं दिया। सूत्रों की माने तो तत्कालीन तहसीलदार राकेश सिंह को इसकी जानकारी थी। बावजूद इसके पटवारी और तहसीलदार ने मिलकर एसडीएम आदेश को ना केवल ढेंगा दिखाया। प्रतिबंधित जमीन का नामांतरण भी कर दिया। यह सब तत्कालीन तहसीलदार अश्वनी कंवर के हटते ही दूसरे दिन हो गया।

इनका हुआ नामांतरण और रजिस्ट्री

  1. डाली चौहान पति सुरेश चौहान खसरा नम्बर..91/19
  2. आलोक गुप्ता पिता जनकराम खसरा नम्बर..91/20
  3. रिंकी गुप्ता पति हेमन्त गुप्ता खसरा नम्बर..91/21
  4. प्रशांत सिंह मिरी पिता देवदास खसरा नम्बर..91/22

बचाने के लिए पैदा किया नया आदेश

मामला मंत्री के सामने आने के बाद कलेक्टर ने जांच का आदेश दिया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान सकरी तहसीलदार और तखतपुर एसडीएम ने ना केवल घुरू पटवारी मनमोहन को क्लिन चिट दे दिया है। बल्कि तत्कालीन समय प्रतिबंधित खसरे पर जारी स्थगन आदेश के खिलाफ तत्कालीन एसडीएम का दूसरा आदेश पैदा कर लिया है।बताया जा रहा है कि तत्कालीन एसडीएम ने अपने स्थगन के खिलाफ नया आदेश जारी कर खसरा नम्बर 91 को प्रतिबंध से मुक्त कर दिया था।

आरटीआई से हुआ खुलासा

आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार प्रतिबंधित जमीन का नामांतरण और रजिस्ट्री का काम अश्वनी कंवर के हटते ही यानी दूसरे ही दिन किया गया। इस दौरान तत्कालीन एसडीएम ने अपने स्थगन के खिलाफ किसी प्रकार का आदेश जारी नहीं किया था।

कुल मिलाकर कोटवारी जमीन बेचने वाले तत्कालीन तहसीलदार राकेश सिंह ठाकुर को वर्तमान एसडीएम और सकरी तहसीलदार ने एक बार फिर जीवन दान दिया है। साथ ही पटवारी मनमोहन सिदार को भी क्लिन चिट देकर अपना काम पूरा कर दिया है। बताते चलें कि घूरू में ही तत्कालीन तहसीदार राकेश ने कोटवारी जमीन का रजिर्स्टी किया था। बाद में पुनर्रअपील कर राकेश सिंह को बचाया गया। इस बार भी ऐसा ही कुछ हुआ है। बहरहाल मामला अब और गंभीर होता जा रहा है।

जमीन कहीं की..पड़ताल और कही

सनद हो कि मंत्री के सामने एक पत्रकार ने काठाकोनी में देवरी और खम्हारडीह स्थित महर्षि योगी की सैकड़ों एकड़ जमीन पर कब्जा किए जाने का भी जिक्र किया था। पत्रकार ने प्रश्न किया था कि देवरी और खम्हारडीह में महर्षि योगी ट्र्स्ट की जमीन की नियम खिलाफ खरीदी बिक्री हुई है। मामले मे मंत्री के कहने पर कलेक्टर ने एसडीएम को जांच का आदेश दिया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एसडीएम तखतपुर और  तहसीलदार ने महर्षि योगी की किसी अन्य जमीन का सीमांकन किया। और रिपोर्ट में ट्रस्ट की जमीन बेचने या कब्जा होने से इंकार किया है। जबकि रिकार्ड से लेकर पूरा गांव जानता है कि ट्र्स्ट की जमीन को कुछ लोगों ने खरीद लिया है। जबकि ट्र्स्ट की जमीन बिना कलेक्टर आदेश से खरीदी बिक्री संभव नहीं है। लेकिन एसडीएम और जांच टीम ने जो चाहे वह संभव है। मतलब अधिकारियों ने घुरू पटवारी की तरह ट्र्स्ट जमीन पर कब्जाधारियों को भी बेदाग बताया है।

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