बर्खास्त सहकारी बैंक कर्मचारियों को मिली राहत, सेवा में बहाल करने का आदेश

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के बर्खास्त कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए उनके सेवा समाप्ति आदेश को खारिज कर दिया है।
कोर्ट ने साफ किया कि बर्खास्तगी की पूरी प्रक्रिया प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत थी और कर्मचारियों को सुनवाई का उचित अवसर दिए बिना ही एकतरफा कार्रवाई की गई। इस फैसले से उन दर्जनों कर्मचारियों को राहत मिली है, जो पिछले कई वर्षों से न्याय के लिए संघर्ष कर रहे थे।
यह मामला वर्ष 2015 का है, जब जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर द्वारा समिति प्रबंधक समेत कई पदों पर नियुक्तियां की गई थीं। पंकज कुमार तिवारी सहित कई उम्मीदवारों ने विज्ञापन के अनुसार सभी योग्यताओं को पूर्ण कर नियुक्ति प्राप्त की थी और विधिवत कार्यभार ग्रहण किया था।
लेकिन कुछ शिकायतों के आधार पर संभाग आयुक्त के आदेश पर एक जांच समिति गठित की गई, जिसके रिपोर्ट के आधार पर बिना उचित सुनवाई के इन कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं।
मामला कई स्तरों पर अपील के बाद अंततः हाई कोर्ट पहुंचा, जहां जस्टिस ए.के. प्रसाद की एकल पीठ ने सुनवाई की।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं मतीन सिद्दीकी और घनश्याम कश्यप ने तर्क दिया कि नियुक्ति प्रक्रिया में कोई अनियमितता नहीं थी और जांच एकतरफा व पूर्वाग्रहपूर्ण थी। इसके अलावा आयुक्त राजस्व को जांच प्रारंभ करने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं था।
कोर्ट ने इन सभी तर्कों को स्वीकार करते हुए यह स्पष्ट किया कि कर्मचारियों को सुनवाई का समुचित अवसर न देना और बिना ठोस प्रमाण के सेवा समाप्ति जैसे कठोर कदम उठाना कानून और न्याय के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है।
कोर्ट ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक द्वारा 2015 में जारी सभी बर्खास्तगी आदेशों को रद्द करते हुए कर्मचारियों को सेवा में बहाल करने का निर्देश दिया।