Madhya Pradesh

MP Weather Update-बारिश का रिकॉर्ड टूटा, सितंबर से पहले ही पूरा हुआ मानसून का कोटा, कई जिलों में भारी बारिश का अलर्ट

अब तक की स्थिति पर नजर डालें तो मध्य प्रदेश में सामान्य से 23 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। इससे प्रदेश के ज्यादातर जिलों में फसलों और जलस्रोतों को बड़ा फायदा पहुंचा है। हालांकि, भारी बारिश ने कई इलाकों में जनजीवन भी प्रभावित किया है।

MP Weather Update-मध्य प्रदेश में इस साल मानसून ने जमकर बरसात की है। जून से सितंबर तक माने जाने वाले मानसून सीजन का आखिरी महीना अभी बाकी है, लेकिन प्रदेश में बारिश का तय कोटा पहले ही लगभग पूरा हो गया है।

मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में मानसून सीजन में 949.5 मिमी बारिश का औसत तय है, जबकि अब तक 936 मिमी बारिश दर्ज हो चुकी है। यानी केवल आधा इंच और बारिश होते ही मानसून का कोटा आधिकारिक रूप से पूरा हो जाएगा।

अब तक की स्थिति पर नजर डालें तो मध्य प्रदेश में सामान्य से 23 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। इससे प्रदेश के ज्यादातर जिलों में फसलों और जलस्रोतों को बड़ा फायदा पहुंचा है। हालांकि, भारी बारिश ने कई इलाकों में जनजीवन भी प्रभावित किया है।

MP Weather Update-मौसम विभाग ने ग्वालियर, भिंड, मुरैना, श्योपुर, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, विदिशा, सीहोर, सागर, रायसेन, नर्मदापुरम, हरदा, बैतूल, खंडवा, बुरहानपुर, नीमच, मंदसौर, छिंदवाड़ा, पांढुर्णा, सिवनी, मंडला और बालाघाट जिलों में भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। इन इलाकों में अगले 24 घंटों में ढाई से साढ़े चार इंच तक बारिश होने की संभावना जताई गई है।

MP Weather Update-मौसम विज्ञानी अभिजीत चक्रवर्ती के अनुसार वर्तमान में मानसून ट्रफ सिवनी से गुजर रही है और यह स्थिति आने वाले दो से तीन दिनों तक बनी रह सकती है। खासकर दक्षिण मध्य प्रदेश के जिलों में भारी बारिश देखने को मिलेगी, जबकि भोपाल और पूर्वी हिस्सों में बरसात अपेक्षाकृत कम रहने की संभावना है।

प्रदेश में अब तक केवल 11 जिलों में ही सामान्य से कम बारिश हुई है, जबकि बाकी सभी स्थानों पर सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज की गई है। विशेषज्ञ एके शुक्ला का कहना है कि सितंबर में यदि बारिश न भी हो तो भी इस साल मध्य प्रदेश में वर्षा की स्थिति पूरी तरह सामान्य रहेगी।

उत्तरी हिस्सों जैसे ग्वालियर, चंबल, सागर और रीवा संभाग में इस बार अच्छी बारिश हुई है, वहीं मालवा और निमाड़ क्षेत्र में औसत से कम बारिश दर्ज की गई है।

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