14 जुलाई से मॉनसून सत्र…आक्रामक होगा विपक्ष…उठेगा यह मुद्दा

रायपुर…छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र 14 जुलाई से आरंभ होकर 18 जुलाई तक चलेगा. कुल पाँच बैठकें होंगी… सीमित अवधि वाले सत्र में ना केवल विपक्ष आक्रामक रहेगा. बल्कि सत्ता पक्ष भी पिछ्ले सरकार में हुए भ्रष्टाचार को लेकर तेवर दिखाएगा…इसके अलावा सत्ता पक्ष से कुछ असंतुष्ट स्वर उठने की संभावना है..कुल मिलाकर मॉनसून सत्र हंगामेदार होगा।
विपक्ष का रणनीतिक हमला तय
सूत्रों के अनुसार विधानसभा में विपक्ष की ओर से हर दिन सरकार को कठघरे में खड़ा करने की रणनीति बनाई जा रही है। चूंकि सत्र अल्पकालिक है, स्थगन प्रस्तावों और ध्यानाकर्षणों के जरिए सरकार पर चौतरफा दबाव डालने की तैयारी की जा रही है।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को संगठन स्तर से स्पष्ट निर्देश मिल चुके हैं कि सदन में सरकार की जवाबदेही को कठोर तरीके से उठाया जाए। विधानसभा शुरू होने से पहले विपक्षी विधायकों की विशेष बैठक भी बुलाई गई है, बैठक में घेराव की रणनीति को अंतिम रूप दिया जाएगा।
मुद्दों पर विपक्ष करेगा घेराव
विभिन्न विभागों में कथित गड़बड़ियों और अनियमितताओं को लेकर सरकार से जवाब मांगा जाएगा।शराब घोटाले, भ्रष्टाचार, महंगाई, नकली खाद-बीज, और बेरोजगारी जैसे मुद्दे सत्र के दौरान हावी रहने की संभावना है।वहीं, जनता से जुड़े स्वास्थ्य और कानून व्यवस्था जैसे प्रश्नों को लेकर भी विपक्ष मुखर रहेगा।
सरकार की विधायी तैयारी
सरकार भी इस सत्र में विधायी और बजटीय प्रस्तावों को पेश करने के लिए कमर कस चुकी है। सूत्रों के अनुसार, इस सत्र में राजस्व, आवास, और पर्यावरण जैसे विषयों पर एक या एक से अधिक महत्वपूर्ण विधेयक लाए जा सकते हैं। साथ ही अनुपूरक बजट भी सदन में प्रस्तुत किया जाएगा..,
सत्ता पक्ष में भी हलचल..नाराजगी भी
हालांकि सरकार का बहुमत स्पष्ट है, लेकिन पार्टी के भीतर कुछ विधायकों की नाराजगी की चर्चा गर्म है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि सदन में सरकार का फ्लोर मैनेजमेंट कितना प्रभावी और संतुलित रहता है।
आमने सामने..होगी बात
छत्तीसगढ़ की राजनीति में यह मानसून सत्र महज औपचारिकताओं का क्रम नहीं, बल्कि राजनीतिक रणनीतियों की परीक्षा की घड़ी होगा। विपक्ष जहां सरकार को घेरने की फिराक में है, सत्तारूढ़ दल को न केवल जवाब देना है बल्कि अपनी नीति, नीयत और नेतृत्व को भी साबित करना होगा।