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मौत की मशीन बनी हाईवा..17 मासूम गायों को बेरहमी से रौंदा..चालक फरार.. हवा हवाई, कलेक्टर का फरमान

बिलासपुर. जिले में गौहत्या जैसा वीभत्स और अमानवीय कृत्य सामने आया है.

 घटना नहीं इंसानियत को शर्मसार कर दिया है । रतनपुर थाना क्षेत्र के ग्राम बारीडीह में एक बेकाबू, रफ्तार की सनक से भरी हाईवा ने 17 निरीह गायों को बुरी तरह कुचल डाला,। जिससे पूरा क्षेत्र शोक और आक्रोश में डूब गया है।

यह दर्दनाक घटना सोमवार रात उस समय हुई, जब दर्जनों गौवंश शांतिपूर्वक पेट्रोल पंप के पास सड़क किनारे बैठे थे। इसी  समय रतनपुर की ओर से हैवानियत का प्रतीक बनकर आई एक तेज रफ्तार हाईवा गाड़ी, बिना चेतावनी और बिना किसी मानवीय सोच के, सीधे उन्हें रौंदते हुए निकल गई।

17 गायों की मौत,–क्रूरता की पराकाष्ठा!

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, गाड़ी की रफ्तार इतनी अधिक थी कि चालक ने ब्रेक तक नहीं लगाया। देखते ही देखते 17 गायों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया, उनकी दर्दभरी चीखों ने रात के सन्नाटे को कंपा दिया। घायल गायें तड़प-तड़पकर जीवन के लिए संघर्ष कर रही हैं, लेकिन उन्हें राहत पहुंचाने वाला कोई नहीं।

हाईवा चालक फरार प्रशासन की चुप्पी निंदनीय

घटना के बाद हाईवा चालक मौके से भाग खड़ा हुआ। रतनपुर थाना पुलिस घटनास्थल पर पहुंची जरूर, लेकिन अब तक उस पापी चालक का कोई सुराग नहीं लगा सकी है।प्रशासन और कानून व्यवस्था की इस विफलता पर सवाल उठना लाज़मी है।

गौसंरक्षण के खोखले दावे – अब और नहीं!

घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि गौवंश सुरक्षा केवल भाषणों और नीतियों तक सीमित है। जिन गायों को ‘गौमाता’ कहकर पूजा जाता है, वे सड़कों पर मरने को मजबूर हैं, और उनके हत्यारे बेखौफ हैं।
क्या गौहत्या के इस खुले खेल पर अब भी सरकार और प्रशासन की आंखें नहीं खुलेंगी?

जनता में आक्रोश – दोषियों को फांसी की मांग !

घटना से आक्रोशित ग्रामीणों और गौसेवकों ने प्रशासन से दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा, यहां तक कि गौहत्या के बराबर सजा दिलाने की मांग की है।सवाल यह है कि –क्या ये सिर्फ एक दुर्घटना है या एक सुनियोजित क्रूरता?कब तक गायें सड़कों पर मरती रहेंगी?कब तक अपराधी कानून को ठेंगा दिखाते रहेंगे?

कलेक्टर ने दिया था आदेश

जानकारी देते चले कि पिछले टीएल बैठक में ही कलेक्टर संजय अग्रवाल ने आदेश दिया था कि निकाय अधिकारी और प्रतिनिधि एक टीम बनाएं और सड़कों पर विचरण करने वाली गांव वंश को सुरक्षित स्थान पर रखें। इसके अलावा जन जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को बताएं कि गोवन स को सुरक्षित संरक्षित कैसे किया जाए। उन्हें किस तरह दुर्घटनाओं से बचाया जाए। बावजूद इसके  ना तो अभी तक कोई टीम बनी है और ना ही कोई नोडल अधिकारी सामने आया है।

हवा हवाई फरमान और बयान

मतलब कलेक्टर के फरमान को सिर्फ फाइलों में बांधकर रख दिया गया है। मतलब अधिकारियों ने फरमान को एक काम से सुना और दूसरे से निकाल दिया ।जानकारी देते चले कि वरिष्ठ पुलिस कप्तान ने भी कुछ इसी तरह का बयान दिया था। उन्होंने बैठक लेकर स्पष्ट निर्देश दिया था कि कोटवार स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ मिलकर एक कमेटी बनाई जाएगी।  कमेटी नोडल के नेतृत्व में गोवंशियों की सुरक्षा के लेकर काम करेगी ।लेकिन जैसा कहते हैं कि बयान  का मतलब बयान ही होता है । और आदेश का मतलब आदेश ही होता है । एक हवा में गुम हो जाता है तो दूसरा फाइलों में दब जाता है। काश बयान को हवा में गुम होने नहीं दिया जाता और आदेशों को फाइल में दफन नहीं किया जाता  तो शायद 17 गोवंशियों को बचाया जा सकता था । फिलहाल प्रशासन की स्थिति कुछ ऐसी हो गई है सांप निकल गया है और अबाधिकारी और जनप्रतिनिधि लकीर पर अब डंडा पीटेंगे ।

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