पिता कर रहा दुश्मनों से दो दो हाथ..इधर एकता ने कर दिया कमाल..बिटिया रानी तूस्सी ग्रेट..बनाया इतिहास….जीत लिया जंग
बिटिया रानी एकता ने सीबीएससी में 99 प्रतिशत हासिल किया...

बिलासपुर–आप लोगों को कविवर श्रीकांत वर्मा की पंक्तियां तो याद होंगी ही…बेटियां जिन्दगी होती हैं…। बेटियां घर की रौनक होती हैं..बेटियां तो घर की शान होती हैं..बेटिया देश की सम्मान होती हैं। यद्यपि भूलवश इन पंक्तियों में कई गलतियां हो सकती हैं…लेकिन जिस घर में बेटियां होती हैं…उस घर का मयार बहुत ऊंचा होता है। जी हां हम आज उस बेटी की बात कर रहे हैं जिसका पिता राजेश्वर तिवारी इस समय फिरोजपुर पंजाब में देश का आन बान सम्मान के लिए सजग प्रहरी बनकर खड़ा है। और उनकी बेटी ने छत्तीसगढ से देश में डंका बजा दिया है। एकता ने सीबीएससी में 99 प्रतिशत अंक हासिल कर ना केवल घर बल्कि प्रदेश का नाम रोशन कर दिया है।
सीबीएसी 12 वीं बोर्ट परीक्षा का परिणाम सामने आ गया है। एक बार फिर छत्तीसगढ की बेटी ने प्रदेश और देश में घर और जिला का नाम रोशन किया है। एकता तिवारी ने 99 प्रतिशत अंक हासिल कर पूरे प्रदेश का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है। जैसे ही रिजल्ट आया जांजगीर के हर रास्ते छोटे गांव अमोरा की तरफ खुल गए। क्योंकि अमोरा( महंत ) गांव की बेटी एकता ने वह कमाल कर दिया जिसने सुना वह ना केवल उछल गया। बल्कि अपनी बेटे बेटियों से भी इसी तरह के परिणाम की इच्छा रखने लगा है।
अमोरा (महंत) गांव की निवासी एकता तिवारी आर्ट्स की छात्रा है। एकता ने दो विषय में 100 – 100 अंक तो तीन विषय में 99-99 अंक लेकर बाजी मारकर घर परिवार को गौरवान्वित किया है। एकता ने बताया कि वह भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी बनना चाहती है।
एकता तिवारी के पिता राजेश्वर तिवारी फौजी हैं..इस समय पंजाब राज्य के फिरोजपुर में सूबेदार पद की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। चूंकि एकता के पिता फिरोजपुर से पहले हैदराबाद में पदस्थ थे। और एकता इस समय आर्मी पब्लिक स्कूल गोलकुंडा में पढ़ाई कर रही है। आर्ट्स की छात्रा ने जानकारी दी उसने जिस विषय का चुनाव किया उसमें स्कोर करना थोड़ा कठिन था। लेकिन स्कोर हो गया।
एकता ने बताचीत के दौरान बताया कि एक धारणा है कि साइंस या कॉमर्स का सब्जेक्ट स्कोरिंग होता है। लेकिन ऐसा कुछ नहीं है।यदि उत्तर सही सोच समझ कर लिखा जाए तो नम्बर नहीं कटते हैं। आर्ट्स को लेकर ऐसी सोच नहीं है..कितना भी अच्छा
उत्तर लिखा जाए…नंबर कटता ही है।
बहरहाल एकता ने इस धारणा को बदल कर रख दिया है। उसने सही उत्तर लिखकर 99 प्रतिशत अंक के साथ स्कूल, गांव और परिवार को गौरवान्वित कर दिया। एकता ने बताया कि वह प्रतिदिन 4 घंटे की पढ़ाई करती थी। उनका प्रयास रहा कि हर सवाल का सटीक उत्तर लिखे। पूछे जाने पर कि साइंस या कॉमर्स लेकर पढ़ाई क्यों नहीं की ? एकता ने जवाब दिया कि पहली बात वह भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी बनना चाहती है। रही बात दूसरी कि जरूरी नहीं कि सभी होशियार बच्चे साइंस या कॉमर्स लेकर पढाई करें।
एकता ने कहा कि उसकी सफलता में उनके पिता राजेश्वर तिवारी और मां सुष्मिता दीवान तिवारी का अहम् योगदान है। लेकिन माता पिता का बयान कुछ अलग ही है..राजेश्वर और सुष्मिता के अनुसार बच्चों को हम केवल सुविधा दे सकते है..मेहनत तो बच्चों को ही करना है। एकता ने मेहनत किया और परिणाम उसके सामने है।