BilaspurChhattisgarh

हर दिल में बसता नाम..धर्मजीत सिंह…पढ़ें जन्मदिन पर जनसेवक की रोचक किस्से

बिलासपुर..कल, 13 सितंबर को छत्तीसगढ़ की राजनीति में जनविश्वास और सेवा का पर्याय बन चुके धर्मजीत सिंह अपना जन्मदिन मनाएँगे। यह केवल एक व्यक्ति का जन्मदिन नहीं, बल्कि संघर्ष, धैर्य, सेवा और जनता से अटूट जुड़ाव की लंबी यात्रा का उत्सव है। चार दशकों से अधिक का राजनीतिक अनुभव, कई उतार-चढ़ावों के बीच स्थिरता बनाए रखना, और जनता के बीच आत्मीयता – यही उनकी सबसे बड़ी पहचान है।

छात्र राजनीति से शुरू हुआ उनका सफर स्व. विद्याचरण शुक्ल जैसे दिग्गज नेताओं के साथ रहा। प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी के नेतृत्व में विधानसभा उपाध्यक्ष के रूप में कार्य कर उन्होंने न केवल सदन का संचालन सुचारु रूप से किया, बल्कि नीति और प्रक्रिया की गहराई में अपनी पकड़ भी दिखाई। समय की बदलती धारा के साथ उन्होंने कई मोड़ देखे, राजनीतिक अस्थिरता का सामना किया, फिर भी धैर्य नहीं छोड़ा। यही संयम उन्हें आज प्रदेश की राजनीति में विशिष्ट स्थान दिलाता है।

तखतपुर से विधायक के रूप में उनकी लोकप्रियता पूरे क्षेत्र में फैली है। लोरमी, कवर्धा, पंडरिया, मुंगेली समेत अनेक इलाकों में उनके नाम का विश्वास है। किसी भी पार्टी में जाकर, किसी भी चुनाव चिन्ह के साथ जनता का समर्थन अर्जित करना उनके नेतृत्व की विशेषता है। चुनावों में रिकॉर्ड मतों से जीत, सदन में वाकपटुता, और जनहित के मुद्दों पर सक्रियता ने उन्हें एक प्रेरक नेता के रूप में स्थापित किया है।

लेकिन इस यात्रा के पीछे जो सबसे शांत, सबसे मजबूत सहारा है, वह हैं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती शशि सिंह। उन्होंने राजनीति के उतार-चढ़ाव के हर क्षण में अपने जीवनसाथी का साथ दिया। न केवल परिवार में, बल्कि जनसेवा की राह में भी वे धर्मजीत सिंह की प्रेरणा बनीं। जीवन की कठिन परिस्थितियों में धैर्य और विश्वास का आधार बनकर उन्होंने यह दिखाया कि नेतृत्व केवल व्यक्तिगत नहीं होता, उसके पीछे परिवार का प्रेम, त्याग और सहयोग भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है। इस जन्मदिन पर हम उनके इस निःस्वार्थ योगदान को भी नमन करते हैं।

धर्मजीत सिंह की यह पहचान कि वे विधानसभा में प्रभावी संचालन कर सकते हैं, उनके उपाध्यक्ष रहने के अनुभव से स्पष्ट होती है। परंतु यही बात उनके व्यक्तित्व की सहज गरिमा बनकर उभरती है – न कि किसी पद की लालसा के रूप में। जनता और राजनीतिक क्षेत्र उन्हें भविष्य में नेतृत्व की उन भूमिकाओं के लिए स्वाभाविक रूप से देखता है, जहाँ धैर्य, संवाद और संतुलन की आवश्यकता हो।

13 सितंबर का दिन इसलिए भी विशेष है क्योंकि यह उन सभी संघर्षों, जनसेवा की प्रतिज्ञा, और परिवार की सहभागिता का उत्सव है। यह दिन बताता है कि राजनीति केवल सत्ता का खेल नहीं, बल्कि विश्वास और सेवा का संकल्प है – जिसे धर्मजीत सिंह ने अपने व्यवहार से साबित किया है।

हम इस विशेष दिन पर उन्हें न केवल बधाई देते हैं, बल्कि उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामना भी करते हैं। उनका अनुभव, उनका संयम और जनहित में समर्पण आने वाले समय में प्रदेश के लोकतांत्रिक नेतृत्व को नई दिशा देने की क्षमता रखते हैं।

13 सितंबर – यह दिन केवल जन्मदिन नहीं, बल्कि एक ऐसी प्रेरक यात्रा का उत्सव है, जो जनमानस के भरोसे और परिवार की ताकत से निरंतर आगे बढ़ती रही है।

Back to top button
close