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Chhattisgarh Cabinet Expansion – शपथ की नई तारीख..? नए मंत्रियों पर अब भी सस्पेंस , क्या पूरा वजन सरगुजा संभाग पर.. तो बिलासपुर के हिस्से में क्या…?

जानकारों का मानना है कि इस बार यह तारीख पक्की हो सकती है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इस बार यह खबर भी नत्थी हो गई है कि हाई कमान की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद यह तारीख सामने आई है।

Chhattisgarh Cabinet Expansion -छत्तीसगढ़ कैबिनेट का विस्तार कब होगा और इसमें किसे मंत्री बनाया जाएगा .? इस सवाल का एक नया जवाब फिर सामने आया है। और इसके साथ ही नई तारीख भी सामने आ गई है। बहुत से कारणों से यह माना जा रहा है कि इस बार की तारीख सही हो सकती है।

फिलहाल नए मंत्रियों के चेहरे को लेकर सवाल तैर रहे हैं। लेकिन सबसे अहम सवाल यह है कि जाति संतुलन के हिसाब से सामान्य वर्ग से किसे मंत्री बनाया जाएगा। दूसरा अहम सवाल यह भी है कि क्या सरगुजा संभाग की ओर पूरी तरह से झुका हुआ पावर बैलेंस का पलड़ा क्या बराबरी पर लाया जाएगा या उसका वजन और भी बढ़ जाएगा….?

वैसे तो छत्तीसगढ़ में पिछले लोकसभा चुनाव के बाद से ही कयास लगाए जा रहे हैं कि मंत्रिमंडल का विस्तार कब होगा और इसमें किन चेहरों को शामिल किया जाएगा। इसे लेकर तारीख पर तारीख सामने आती रही है। लेकिन हर बार मामला शिफर ही रहा है। इस बार 18 अगस्त को कैबिनेट विस्तार की खबर आ रही है ।

Chhattisgarh Cabinet Expansion/जानकारों का मानना है कि इस बार यह तारीख पक्की हो सकती है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इस बार यह खबर भी नत्थी हो गई है कि हाई कमान की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद यह तारीख सामने आई है। जानकार यह भी मानते हैं कि हाल ही में प्रदेश भाजपा की नई कार्यकारिणी के गठन को भी हाई कमान ने हरी झंडी दी थी और यह काम पूरा हो चुका है। इसी तरह लंबे समय से अटका हुआ कैबिनेट विस्तार का फैसला भी अब अपने आखिरी मुकाम पर पहुँच जाए तो हैरत की बात नहीं होगी। लिहाजा 21 अगस्त को मंत्रिमंडल के विस्तार पर लोगों को शक नहीं है ।

लेकिन यदि ऐसा होता है तो कौन से चेहरे शामिल होंगे इस सवाल पर अभी भी अटकालें ही लगाई जा रही हैं । लोगों का मानना है कि नए मंत्रियों का नाम जातिय समीकरण और क्षेत्रीय संतुलन के हिसाब से तय होगा। इसे सामने रखकर यदि हिसाब लगाएं तो छत्तीसगढ़ के मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सहित राम विचार नेताम और केदार कश्यप के रूप में अनुसूचित जनजाति समाज के तीन मंत्री हैं। अनुसूचित जनजाति से दयाल दास बघेल मंत्री हैं।

ओबीसी तबके से उपमुख्यमंत्री अरुण साव सहित लक्ष्मी राजवाड़े, श्याम बिहारी जायसवाल ,लखन लाल देवांगन, ओ पी चौधरी और टंक राम वर्मा को मिलाकर 6 मंत्री हैं। जनरल कोटे से एकमात्र उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा की नुमाइंदगी है। जब कैबिनेट ने शपथ ग्रहण किया था तब बृजमोहन अग्रवाल भी सामान्य वर्ग से मंत्री थे। लेकिन उनके सांसद बनने के बाद से अब सरकार में जनरल कोटे से एकमात्र मंत्री हैं। इस तरह इस तरह कैबिनेट में ओबीसी का प्रतिनिधित्व सबसे अधिक नजर आता है।

उधर क्षेत्रीय संतुलन के नजरिए से विश्लेषण करें तो कैबिनेट में सरगुजा संभाग का प्रतिनिधित्व सबसे अधिक है। जिसमें मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सहित राम विचार नेताम, श्याम बिहारी जायसवाल और लक्ष्मी राजवाड़े मंत्री हैं। ओपी चौधरी और लखनलाल देवांगन भी इससे लगे हुए इलाके से चुनकर आते हैं। बस्तर से एकमात्र केदार कश्यप मंत्री हैं। दुर्ग संभाग से उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा और दयाल दास बघेल का प्रतिनिधित्व है। बिलासपुर से अरुण साव और रायपुर संभाग से भी फिलहाल टंक राम वर्मा ही अकेले मंत्री हैं। राजनांदगांव से स्पीकर स्पीकर डॉ. रमन सिंह राजनांदगांव इलाके से चुनकर आते हैं। इसी तरह प्रदेश भाजपा अध्यक्ष किरण देव सिंह बस्तर इलाके से हैं और उनके पास संगठन में सबसे बड़ा पद होने की वजह से एक तरह से संतुलन कायम करने में उनकी हिस्सेदारी नजर आती है।

Chhattisgarh Cabinet Expansion: छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल विस्तार जल्द.. सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन पर विशेष ध्यान

इस पूरी तस्वीर को सामने रखकर देखा जाए तो मौजूदा मंत्रिमंडल में बिलासपुर का प्रतिनिधित्व सबसे कमजोर नजर आता है। अभिभाजित मध्य प्रदेश के जमाने में जहां से कभी पांच- पांच मंत्री हुआ करते थे वहां फिलहाल प्रतिनिधित्व नजर नहीं आ रहा है। जबकि बीजेपी के अनुभवी नेताओं में ओबीसी से धरमलाल कौशिक और सामान्य वर्ग से अमर अग्रवाल की दावेदारी मजबूत मानी जाती है। धरमलाल कौशिक पहले भी विधानसभा स्पीकर, नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष जैसी जिम्मेदारियां का निर्वहन कर चुके हैं।

जबकि अमर अग्रवाल 15 साल तक कई महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री के रूप में अपनी अहमियत का एहसास करा चुके हैं। अमर अग्रवाल की गिनती राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ के रूप में भी होती है। आज के दौर में प्रदेश सरकार को आर्थिक प्रबंधन के लिए अमर अग्रवाल के रूप में एक बेहतर सहयोगी मिल सकता है।

राजनीति के जानकारों का एक नजरिया यह भी है कि पुराने बिलासपुर संभाग में बिलासपुर मुख्यालय से मंत्री होने की स्थिति में इसका असर पूरे उत्तर छत्तीसगढ़ में होता रहा है । इस नजरिये से भी उनकी दावेदारी मजबूत मानी जाती है। हाल के दिनों में मंत्रिमंडल को लेकर अटकलबाज़ी चली तो अमर अग्रवाल का नाम सुर्खियों में रहा। लेकिन इस बार 21 अगस्त की नई तारीख सामने आने के साथ ही सरगुजा इलाके से सामान्य वर्ग के एक विधायक का नाम भी तेजी से उभर रहा है।

बीजेपी की ओर से आखिर कौन शपथ लेगा यह तो आने वाले समय में ही साफ हो सकेगा। लेकिन यह सवाल फिर घूमने लगा है कि शक्ति संतुलन का पलड़ा पहले से ही सरगुजा की ओर झुका हुआ है , क्या उसका वजन और बढ़ाया जाएगा..? हालांकि सवाल यह भी है कि क्या इससे बिलासपुर जैसा महत्वपूर्ण शहर प्रतिनिधित्व से फिर वंचित होगा और पावर पॉलिटिक्स में इस बार भी पिछड़ जाएगा । ऐसी स्थिति में जाहिर सी बात है कि आम लोगों के बीच भी इसका असर हो सकता है। जिस इलाके के लोग लंबे समय से सत्ता की राजनीति के करीब रहे हैं वहां नेतृत्व शून्यता से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

हालांकि जाति संतुलन के हिसाब से रायपुर इलाके के आरंग से चुनकर आए गुरु खुशवंत सिंह को भी मंत्री बनाए जाने की चर्चा है। इसी तरह दुर्ग से विधायक गजेंद्र यादव का नाम भी चर्चा में है। इस समीकरण के हिसाब से देखें तो मंत्रिमंडल में ओबीसी और एससी कोटे से नए मंत्री बन सकते हैं। एक पद सामान्य वर्ग को मिल सकता है।

लेकिन इसमें भी क्षेत्रीय संतुलन को नजरअंदाज किया गया तो इसका असर भी आने वाले समय की राजनीति पर हो सकता है। वैसे भी निगम मंडल की नियुक्तियां में भी बिलासपुर को उम्मीद के हिसाब से जगह नहीं मिल सकी थी। निगम मंडल की नियुक्ति के समय भी सरगुजा इलाके से अनुराग सिंह देव और रामसेवक पर को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई थी। बिलासपुर इलाके के कई दावेदार लिस्ट में अपना नाम ढूंढते रह गए।

ऐसे में कैबिनेट विस्तार से पहले नए मंत्रियों के चेहरे के साथ ही इस बात को लेकर भी जिज्ञासा अधिक है कि क्या पार्टी क्षेत्रीय संतुलन और नेतृत्व की पहचान पर भी गौर कर इस मौके का फायदा उठा पाएगी.?बीजेपी की राजनीति में फिलहाल कयास ही है…आखिरी तस्वीर तब सामने आएगी जब फैसले पर आखिरी मुहर लग जाए।

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