“मवेशी नहीं, भविष्य हैं ये: “कलेक्टर का गांवों से सीधा संवाद…सौंपी यह जिम्मेदारी

बिलासपुर…जिले में आवारा मवेशियों की बढ़ती समस्या को लेकर जिला प्रशासन अब गंभीर मोड में है। इसी सिलसिले में कलेक्टर संजय अग्रवाल ने बुधवार को बिल्हा ब्लॉक के अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों के साथ विशेष बैठक ली। बैठक का उद्देश्य – पशुप्रबंधन की व्यावहारिक रणनीति तय करने के साथ ही इसे जमीनी स्तर पर लागू करना है।
बैठक में सीईओ जिला पंचायत संदीप अग्रवाल, बिल्हा एसडीएम आकांक्षा त्रिपाठी और पशुधन विकास विभाग के संयुक्त संचालक जीएस तंवर भी उपस्थित रहे।
पशु, बोझ नही, अर्थव्यवस्था की रीढ़
बैठक में कलेक्टर ने साफ कहा, “पशु केवल जिम्मेदारी नहीं, बल्कि ग्रामीण आत्मनिर्भरता की नींव हैं। हमें गाँव स्तर पर ही ऐसी व्यवस्था बनानी होगी कि मवेशी सड़क पर न आएं।” उन्होंने स्थानीय संसाधनों के बेहतर उपयोग और सामुदायिक सहभागिता पर जोर दिया।
सरपंचों ने दिया भावुक बयान
बैठक में कई ग्राम सरपंचों ने अपने अनुभव साझा किए और कहा कि आज पशुओं को बोझ समझा जा रहा है,। जबकि पहले इन्हें ‘धन’ कहा जाता था। एक सरपंच ने कहा, “जब तक गाँव में पशुओं का सम्मान नहीं लौटेगा, तब तक समाधान अधूरा रहेगा।”
कलेक्टर ने सुझावों की सराहना करते हुए कहा कि हर ग्राम पंचायत को ‘पशुप्रबंधन कार्य योजना’ बनानी चाहिए, जिसमें चारे-पानी से लेकर चिकित्सा और ठिकानों तक की व्यवस्था शामिल हो।
जल संरक्षण की दिशा में उल्लेखनीय कार्य
बैठक में जल संरक्षण पर भी चर्चा हुई। कलेक्टर ने बताया कि बिल्हा ब्लॉक में 12 हजार से अधिक सोखता गड्ढे बनाए गए हैं, और 65 हजार पौधे रोपे जा चुके हैं। उन्होंने ग्रामीणों से पानी बचाने की संस्कृति को अपनाने का आह्वान किया।