Bilaspur

जातिगत जनगणनाः कांग्रेस नेताओं की कथनी और करनी अलग – अलग

बिलासपुर । भाजपा नेता और पूर्व एल्ग्रेडरमेन   मनीष अग्रवाल ने कहा है कि  कांग्रेस पार्टी एवं कांग्रेस समर्थित राजनीतिक कुनबा के नेताओं की कथनी और करनी दोनों अलग-अलग हैं।  जो राजनीतिक दलआज जातिगत जनगणना मुद्दे पर नरेंद्र मोदी  पर तंज कस रहे हैं, उनके लिए स्वयं के पूर्व कार्यकाल को याद कर लेना चाहिए कि 2011 में जनगणना होने वाली थी, तब केंद्र में कांग्रेस पार्टी के मनमोहन सिंह  देश के प्रधानमंत्री रहे । कांग्रेस सत्ता में थी, सरकार में सपा और आऱजेडी भी भागीदार थे । उस वक्त भाजपा ने सरकार सेअनुरोध किया, इस जनगणना में जातिगत जनगणना भी किया जाए ताकि यह पता चले कि देश में.ओबीसी कितने हैं,,दलित कितने हैं
आदिवासी कितने हैं ।
मनीष अग्रवाल  ने कहा कि तब कांग्रेस सरकार की तरफ से राहुल गांधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह , कपिल सिब्बल और पी चिदंबरम ने बड़ी-बड़ी दलीलें दी थी कि जातिगत जनगणना संभव ही नहीं है  ।क्योंकि कोई कुछ भी बता सकता है , जनसंख्या कर्मचारियों को इस बात का अधिकार नहीं है कि वह जाति प्रमाण पत्र देखे या उसकी चेकिंग करें । वह तो व्यक्ति पर निर्भर करेगा कि वह किस जाति का है।  ऐसे तमाम तर्क इन कांग्रेस सरकार में बैठे एवं उनके समर्थित राजनीतिक दल के लोग लोगों के द्वारा दिए गए । अंततः 2011 के जनगणना में कांग्रेस ने “जातिगत जनगणना”भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की निवेदन मांग ठुकरा दिया ।उस वक्त संसद में बीजेपी के तरफ से गोपीनाथ मुंडे  और हुकुम देवनारायण सिंह ने आधे आधे घंटे तक राहुल गांधी को इस मुद्दे पर संसद में घेरा था, और राहुल गांधी चुपचाप सुन रहे थे ।उस समय संसद में बीजेपी “जातिगत जनगणना” के पक्ष में थी ।

भाजपा जातिगत जनगणना करवाना चाहती थी। तत्कालीन समय कांग्रेस सरकार दरअसल तब इस नशे में थी कि उत्तर भारत का 20% मुसलमान उसके साथ आ गया है ,तो अब उसे ओबीसी क्यों चाहिये ।कांग्रेस नेताओं ने उस वक्त जामिया यूनिवर्सिटी, AMU अल्पसंख्यक बतलाकर मुस्लिम समुदाय को सौंप दिया । इतना ही नहीं उन यूनिवर्सिटी में वहाँ एससी-एसटी कोटा खत्म कर दिया।
कांग्रेस सरकार का वह कार्यकाल  था जब कांग्रेस ने लालू यादव समेत तमाम ओबीसी मंत्रियों को कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखाया।
जब देश में 2014 का लोकसभा चुनाव हुआ और भारतीय जनता पार्टी से ओबीसी वर्ग के नरेंद्र मोदी  प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बने और कांग्रेस 45 मात्र सीट पर सिमट गई।

उन्होने कहा कि  कांग्रेस सत्ता से हटने के बाद “जॉर्ज सोरेस ने” कांग्रेस नेताओं को मशवरा दिया कि एक तो नरेंद्र मोदी  ओबीसी हैं, ऊपर से बीजेपी हिंदूवादी पार्टी है, तो अब आप कांग्रेस पार्टी जातिगत जनगणना की मांग करे  ।जिस जातिगत जनगणना की मांग भाजपा द्वारा कांग्रेस कार्यकाल में किए जाने पर आपने ठुकरा दिया था। देश को यह भूलना नहीं चाहिए  ।राजनीतिक दल के नेताओं को यह भली भांति ज्ञात है । कांग्रेस पार्टी और उनके नेता सत्ता हासिल करते समय-समय पर देशवासियों की सूरत और सीरत बनते बिगाड़ते रहे हैं  ।
आज भारतीय जनता पार्टी की सरकार जातिगत जनगणना देश के हित में करवाने निर्णय लेकर प्रारंभ किया तो अब यह इच्छाधारी राजनीतिक दल के नेता राहुल गांधी, अखिलेश यादव , ममता बनर्जी,तेजस्वी यादव सब, सुर मे सुर मिलाते हुए कह रहे हैं कि जातिगत जनगणना की हमारी मांग बीजेपी ने स्वीकार किया है, यह हमारी जीत है।
लेकिन सच्चाई यह है कि तब भाजपा ने जातिगत जनगणना की मांग की थी, जब केंद्र में समाजवादी पार्टी, राजद और कांग्रेस सत्ता में भागीदार थे।उस वक्त इन नेताओं को इन सभी पार्टियों ने जातिगत जनगणना की मांग ठुकरा दिया था। कांग्रेस पार्टी को अपने  कार्यकाल को याद रखना चाहिए कि देश हित की मांगों को किस प्रकार सत्ता में रहते इन्होंने ठुकराया और देश को जातिगत मकड़ जाल में उलझा कर राजनीतिक रोटी सेंकते आ रहे हैं।

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