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सफेदपोशों का काला खेल: रायगढ़ में 11 करोड़ की ठगी, बिलासपुर में ‘किंगपिन गोविंद’ को तलाश रही पुलिस

बिलासपुर.. रायगढ़ की धरती पर एक ऐसा घोटाला उजागर हुआ है जिसने छत्तीसगढ़ के व्यापारिक और प्रशासनिक हलकों को हिला कर रख दिया है। गुरुश्री इंडस्ट्रीज और गुरुश्री मिनरल्स प्रा. लिमिटेड के निदेशक—नानक बंसल और मुकेश बंसल—पर 11 करोड़ रुपये की सुनियोजित ठगी का केस दर्ज हुआ है। लेकिन ठगी कांड का सबसे रहस्यमयी और खतरनाक किरदार —बिलासपुर का ‘नटवरलाल गोविंद’—जो अब पूरे मामले में किंगपिन के रूप में उभरकर सामने आ रहा है।

नकाबपोश बिचौलिया: नटवरलाल गोविंद कौन है?

जिस तरह से गोविंद का नाम हर पीड़ित की जुबान पर है, उससे यह स्पष्ट होता जा रहा है कि यह कोई मामूली बिचौलिया नहीं बल्कि पूरे जाल का ‘स्ट्रैटेजिक मास्टरमाइंड’ है। वह न केवल रायगढ़ और रायपुर के कारोबारियों से संपर्क में था, बल्कि करोड़ों रुपये की नगदी डील को अंजाम देने में उसने प्रमुख भूमिका निभाई है।

बिलासपुर में उसकी गतिविधियों को लेकर खुफिया हलचल है। सूत्रों का दावा है कि हाल ही में शहर में कुछ बिचौलियों और सफेदपोशों की एक गुप्त बैठक भी हुई है,। जहां इस घोटाले के खुलासे से निपटने की रणनीति बनाई गई।

ठगी का खाका: नक्शे पर जमीन, असल में छलावा

पीड़ितों का आरोप है कि जैजैपुर तहसील के छितापडरिया गांव की जमीन को खनन योग्य बताकर धोखाधड़ी की गई।
17.55 एकड़ खनन योग्य और 7.25 एकड़ गैर-खनन योग्य जमीन का दावा किया गया। हकीकत में मौकै सिर्फ 12.50 एकड़ जमीन ही मौजूद थी, वह भी विवादित। रास्ता दिखाया गया निजी जमीन से, जिसके मालिकों ने किसी भी तरह की अनुमति से साफ इनकार कर दिया।

कैसे चली करोड़ों की नगदी?

10 अप्रैल 2024 को बाराद्वार के आमागोलाई स्थित एक क्रशर ऑफिस में यह सौदा हुआ।, जिसमें 1 करोड़ रुपये बयाने में और बाकी राशि किस्तों में नकद दी गई।
इसमें जो नाम सामने आए हैं, उनमें सबसे उल्लेखनीय हैं:

गोविंद बिलासपुर,मयंक अग्रवालआशीष रायपुर कमल शर्मा।इन सबने बिचौलियों के तौर पर सौदे में अहम भूमिका निभाई। गोविंद पर शक है कि वह इस पूरे लेन-देन का मुख्य संचालक था।

नानक ,मुकेश बंसल: उद्योगपति नहीं, आदतन ठग?

पीड़ितों ने दावा किया है कि बंसल बंधु पहले भी इस तरह की धोखाधड़ी कर चुके हैं।वे लगातार रजिस्ट्री के नाम पर पैसे ऐंठते हैं और वादे पूरे नहीं करते। पीड़ितों का आरोप है कि यह कोई पहली ठगी नहीं, बल्कि वर्षों से जारी ‘ठग मॉडल’ का हिस्सा है।

पुलिस की चुनौती: सफेदपोशों की गिरफ्तारी या ढील?

बाराद्वार पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है  सूत्रों के मुताबिक गिरफ्तारी की तैयारी भी जोरों पर है।
लेकिन सबसे बड़ी चुनौती अब गोविंद की पहचान और गिरफ्तारी है।पुलिस जानती है कि जब तक ‘नटवरलाल गोविंद’ का चेहरा बेनकाब नहीं होता, तब तक यह केस अधूरा रहेगा।

जनता का सवाल: प्रशासन जागेगा कब?

रायगढ़, बिलासपुर और रायपुर में कारोबारी हलकों में गंभीर चिंता और आक्रोश व्याप्त है।जनता पूछ रही है कि क्या गोविंद जैसे सफेदपोश ठग कानून से ऊपर हैं?क्या करोड़ों की ठगी के बाद भी प्रशासन कार्रवाई करेगा या फिर रसूखदार बच निकलेंगे?

अब सबकी नजर पुलिस पर

बाराद्वार पुलिस की पूलीस जांच अब सिर्फ एक केस नहीं, उसकी प्रतिष्ठा की अग्निपरीक्षा बन गई है।हर किसी की नजर अब इस बात पर टिकी है कि क्या सफेदपोश अपराधियों पर कानून का डंडा चलेगा या फिर मामले को रफा-दफा करने की पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी है?

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