अटारी-वाघा बॉर्डर बंद होने से अटकी युवक की शादी, चार साल की सगाई पर मंडराए संकट के बादल
शैतान सिंह की सगाई पाकिस्तान के सिंध प्रांत के अमरकोट जिले की 21 वर्षीय केसर कंवर से चार साल पहले हुई थी। कई साल के प्रयास के बाद इस साल 18 फरवरी को उन्हें, उनके पिता और भाई को वीजा दिया गया।

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने न केवल भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा दिया, बल्कि कई आम लोगों के सपनों पर भी पानी फेर दिया।
राजस्थान के बाड़मेर जिले के इंद्रोई गांव निवासी 25 वर्षीय शैतान सिंह की शादी पाकिस्तान के सिंध प्रांत के अमरकोट जिले में तय थी, लेकिन अटारी-वाघा सीमा बंद हो जाने के कारण उनके अरमान अधूरे रह गए। शैतान सिंह अपने परिवार के साथ शादी की तमाम तैयारियां पूरी कर 23 अप्रैल को अटारी पहुंचे थे, लेकिन अधिकारियों ने सुरक्षा कारणों के चलते उन्हें पाकिस्तान में प्रवेश देने से इंकार कर दिया।
शैतान सिंह की सगाई चार साल पहले 21 वर्षीय केसर कंवर से हुई थी और तमाम कोशिशों के बाद इस साल 18 फरवरी को उन्हें, उनके पिता और भाई को पाकिस्तान जाने के लिए वीजा भी मिल गया था। शादी 30 अप्रैल को होनी थी, लेकिन आतंकी हमले के बाद सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई और 24 अप्रैल को बॉर्डर पूरी तरह बंद कर दिया गया।
परिवार की ओर से बताया गया कि उनका वीजा 12 मई तक वैध है और वे उम्मीद कर रहे हैं कि हालात सुधरेंगे और शादी संपन्न हो सकेगी।
दुखी शैतान सिंह ने कहा कि उन्होंने इस दिन के लिए सालों तक इंतजार किया था, लेकिन अब सब कुछ अधर में लटक गया है। उन्होंने आतंकवादी घटनाओं को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि आतंकवाद से न केवल जान-माल का नुकसान होता है, बल्कि आम लोगों के रिश्ते और सपने भी टूटते हैं।
शैतान सिंह के चचेरे भाई सुरेंद्र सिंह ने भी बताया कि पाकिस्तान से आए उनके रिश्तेदारों को भी निराश होकर लौटना पड़ा। उन्होंने कहा कि आतंकवाद से रिश्तों में भी दूरियां बढ़ती हैं और परिवारों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
सोढ़ा राजपूत समुदाय से ताल्लुक रखने वाले शैतान सिंह का यह विवाह पारिवारिक परंपराओं के तहत तय हुआ था। सोढ़ा राजपूत समुदाय के लोग सीमापार पाकिस्तान के सिंध क्षेत्र में बड़ी संख्या में बसे हैं और वे अपनी सांस्कृतिक विरासत को बचाए रखने के लिए अक्सर एक-दूसरे के बीच विवाह करते हैं।