india

Hanuman Jayanti 2025 Shubh Muhurat- हनुमान जयंती 2025: जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और बजरंगबली को प्रसन्न करने के खास उपाय

Hanuman Jayanti 2025 Shubh Muhurat/भारतवर्ष में हनुमान जयंती एक विशेष आध्यात्मिक पर्व के रूप में मनाई जाती है, जिसे चैत्र शुक्ल पूर्णिमा के दिन मनाने की परंपरा है।

Hanuman Jayanti 2025 Shubh Muhurat/इस दिन को हनुमान जी के जन्म दिवस के रूप में जाना जाता है, जिन्हें केसरी और अंजनी के पुत्र के रूप में इस धरती पर अवतरित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। हनुमान जी को बल, बुद्धि और भक्ति का प्रतीक माना जाता है, जिनकी आराधना से जीवन के सभी संकट और कष्ट दूर हो जाते हैं।

Hanuman Jayanti 2025 Shubh Muhurat/हनुमान जयंती 2025 में यह पावन पर्व विशेष श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाएगा। मान्यताओं के अनुसार इस दिन प्रभु श्रीराम, माता सीता और श्री हनुमान जी की विधिवत पूजा करने से जीवन में समृद्धि, शांति और सफलता का आगमन होता है। इस दिन भक्तजन हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और श्रीराम कथा का पाठ करते हैं, जिससे वातावरण भक्तिमय हो उठता है।

पंचांग के अनुसार, हनुमान जयंती पर पूजा का अभिजीत शुभ मुहूर्त सुबह 11:56 बजे से दोपहर 12:48 बजे तक रहेगा। इस अवधि में श्रद्धालु विधिवत पूजन करके हनुमान जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। पूजा की शुरुआत सुबह स्नान करके लाल वस्त्र धारण करने से होती है।

तत्पश्चात हनुमान जी को सिंदूर, लाल फूल, चोला, तुलसी दल और बूंदी लड्डू का भोग अर्पित किया जाता है। पूजा के बाद हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करने से विशेष फल मिलता है।

हनुमान जयंती के दिन उन्हें प्रसन्न करने के लिए पान, गुड़-चना, नारियल, केसर युक्त खीर, जलेबी, केला और मीठे चावल जैसे भोग अर्पित करना अत्यंत शुभ माना गया है। धार्मिक शास्त्रों में हनुमान जी को अष्ट सिद्धियों और नव निधियों के स्वामी बताया गया है। वे ऐसे चिरंजीवी हैं, जो आज भी इस पृथ्वी पर विद्यमान हैं और अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।

ऐसी मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा और नियमपूर्वक पूजन करने से सभी बाधाएं समाप्त हो जाती हैं, विशेषकर शनि दोष, भय, रोग और दरिद्रता जैसे कष्ट दूर हो जाते हैं। जो भी भक्त सच्चे मन से हनुमान जी की सेवा करता है, उसके जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।

हनुमान जी के मंत्र |Hanuman Jayanti Puja Mantra

  • ऊं हं हनुमते नम:
  • ऊं हं पवन नन्दनाय स्वाहा
  • ऊं नमो भगवते हनुमते नम:
  • ऊं हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट
  • ॐ नमो भगवते पंचवदनाय पूर्वकपिमुखाय ठं ठं ठं ठं ठं सकल शत्रु संहारणाय स्वाहा ||
  • अंजनी गर्भ संभूताय कपीन्द्र सचिवोत्तम रामप्रिय नमस्तुभ्यं हनुमान रक्ष रक्ष सर्वदा
  • जल खोलूं जल हल खोलूं खोलूं बंज व्यापार आवे धन अपार। फुरो मंत्र ईश्वरोवाचा हनुमत वचन जुग जुग सांचा।
  • अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता

हनुमान जी की आरती |Hanuman Ji Ki Aarti

आरती कीजै हनुमान लला की।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।

आरती कीजै हनुमान लला की।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

जाके बल से गिरिवर कांपे।

रोग दोष जाके निकट न झांके।

अंजनि पुत्र महाबलदायी।

संतान के प्रभु सदा सहाई।।

आरती कीजै हनुमान लला की।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

दे बीरा रघुनाथ पठाए।

लंका जारी सिया सुधि लाए।

लंका सो कोट समुद्र सी खाई।

जात पवनसुत बार न लाई।

आरती कीजै हनुमान लला की।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

लंका जारि असुर संहारे।

सियारामजी के काज संवारे।

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।

आनि संजीवन प्राण उबारे।

आरती कीजै हनुमान लला की।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

पैठी पाताल तोरि जमकारे।

अहिरावण की भुजा उखारे।

बाएं भुजा असुरदल मारे।

दाहिने भुजा संत जन तारे।

आरती कीजै हनुमान लला की।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

सुर-नर-मुनि जन आरती उतारें।

जय जय जय हनुमान उचारें।

कंचन थार कपूर लौ छाई।

आरती करत अंजना माई।

आरती कीजै हनुमान लला की।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई।

तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।

जो हनुमानजी की आरती गावै।

बसी बैकुंठ परमपद पावै।

आरती कीजै हनुमान लला की।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।

आरती कीजै हनुमान लला की।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

Back to top button