Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा घोटाला: पैसे की सफेदी के पीछे मिश्रा बंधुओं की भूमिका?.. दस्तावेज और डिजिटल सबूत जब्त

रायपुर.. 3200 करोड़ रुपये के बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच में बड़ी प्रगति हुई है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की संयुक्त टीम ने बिलासपुर के चार्टर्ड अकाउंटेंट संजय मिश्रा और उनके भाई मनीष मिश्रा को हिरासत में लिया है। आज शाम तक दोनों को रायपुर स्थित विशेष अदालत में पेश किया जा सकता है।

जांच एजेंसियों के अनुसार, दोनों भाइयों पर घोटाले से जुड़े काले धन को वैध दिखाने का गंभीर आरोप है। सूत्रों का दावा है कि संजय मिश्रा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और घोटाले के मुख्य आरोपी अनवर ढेबर के करीबी माने जाते हैं।

छापेमारी में मिले अहम सुराग

ACB और EOW की टीमों ने हाल ही में बिलासपुर और रायपुर में मिश्रा बंधुओं के ठिकानों पर छापेमारी की थी, जहां से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, डिजिटल साक्ष्य और संदिग्ध लेनदेन के रिकॉर्ड बरामद किए गए। जांच में यह भी सामने आया है कि संजय मिश्रा ने फर्जी बैलेंस शीट और शेल कंपनियों के जरिए घोटाले के पैसे को वैध रूप देने का प्रयास किया

मनीष मिश्रा पर वित्तीय हेराफेरियों में अपने भाई की सक्रिय रूप से मदद करने का आरोप है। एजेंसियां अब उनके बैंक खातों, अचल संपत्तियों और संभावित विदेशी लेनदेन की भी जांच कर रही हैं।

शराब सिंडिकेट से था सीधा संपर्क

ACB के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि संजय और मनीष का शराब सिंडिकेट के प्रमुख आरोपियों से सीधा संपर्क था, जिससे जांच को आगे बढ़ाने में अहम सुराग मिलने की उम्मीद है।

मामले में इससे पहले पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, शराब कारोबारी अनवर ढेबर, पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा और उद्योगपति सिद्धार्थ सिंघानिया जैसे कई बड़े नामों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

2019 से 2023 के बीच फैला घोटाला

ACB और EOW की रिपोर्ट के मुताबिक, यह घोटाला 2019 से 2023 के बीच राज्य की सरकारी शराब दुकानों के माध्यम से अंजाम दिया गया, जिसमें अवैध शराब की बिक्री और फर्जी कमीशन के जरिए सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाया गया।

ईओडब्ल्यू ने हाल ही में 2300 पन्नों की एक पूरक चार्जशीट दाखिल की गई, जिसमें 29 आरोपियों के नाम दर्ज हैं। अब तक 13 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है और जांच लगातार जारी है।

स्थानीय प्रतिक्रिया और राजनीतिक बयानबाज़ी

बिलासपुर के व्यापारिक समुदाय में मिश्रा बंधुओं की गिरफ्तारी से भारी आश्चर्य और हड़कंप है। एक स्थानीय व्यापारी ने बताया, “संजय मिश्रा की फर्म को शहर में प्रतिष्ठा प्राप्त थी। यह खबर चौंकाने वाली है।”

वहीं, कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता ने इस कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है, हालांकि उन्होंने इसके पक्ष में कोई ठोस सबूत प्रस्तुत नहीं किया।

आगे की कार्रवाई

रायपुर की विशेष अदालत में पेशी के बाद, मिश्रा बंधुओं की न्यायिक या पुलिस रिमांड पर सुनवाई होगी। जांच एजेंसियों का कहना है कि पूछताछ में और भी बड़े नामों का खुलासा हो सकता है।

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