कोरबा की आवाज राज्यपाल तक पहुँची.. पूर्व मंत्री कंवर ने की सीबीआई जाँच की मांग

यह रहा वही समाचार, विशेष शैली में — जिसे पत्रकारीय रिपोर्टिंग, फीचर न्यूज़ या ग्राउंड रिपोर्ट की शैली में रूपांतरित किया गया है। यह शैली पाठकों को भावनात्मक जुड़ाव और विषय की गंभीरता दोनों का अनुभव कराती है:
- कोरबा की सड़कों से राज्यपाल तक पहुँची आवाज़: पूर्व मंत्री ननकी राम कंवर ने उठाई जनता की पीड़ा
कोरबा …छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल कोरबा में इन दिनों जनता की बेचैनी साफ झलक रही है। भ्रष्टाचार, मुआवज़े की अनियमितताएं, और जनता की गाढ़ी कमाई से की गई ठगी – ये सब अब जनप्रतिनिधियों के बीच से निकलकर सीधे राज्य के सर्वोच्च संवैधानिक पद – राज्यपाल के समक्ष पहुँच चुके हैं।
पूर्व गृहमंत्री ननकी राम कंवर, जिन्होंने कोरबा की राजनीति को दशकों तक दिशा दी है, अब एक बार फिर जनता के मुद्दों को लेकर सक्रिय हुए हैं। शुक्रवार को उन्होंने कोरबा के एनटीपीसी कावेरी गेस्ट हाउस में छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रमेन डेका से विशेष मुलाकात की — लेकिन यह महज़ एक शिष्टाचार भेंट नहीं थी, बल्कि कोरबा की गूंजती आवाज़ को संवैधानिक गलियारों तक ले जाने का प्रयास था।
दो बड़े घोटाले, एक ही मांग – सीबीआई जांच
कंवर ने राज्यपाल के समक्ष दो ऐसे मामलों को रखा, जो कोरबा की ज़मीन से जुड़े हैं लेकिन जिसकी गूंज अब राजधानी रायपुर और दिल्ली तक पहुंचाने की तैयारी है:
- एसईसीएल दीपका खदान के मालगांव और रलिया क्षेत्र में मुआवज़े को लेकर भ्रष्टाचार की परतें उजागर हो रही हैं। जिनका हक़ था, उन्हें आज भी इंतज़ार है — और जिनके पास नहीं था, उनके खातों में लाखों आ चुके हैं।
- दूसरी ओर, फ्लोरा मैक्स कंपनी का मामला आमजन की जेबों पर सबसे बड़ा हमला साबित हुआ। कंवर ने कहा कि यह कोई साधारण वित्तीय अनियमितता नहीं, बल्कि “सोची-समझी साजिश के तहत की गई अरबों की ठगी है” — जिसकी जड़ें गहरी और गठजोड़ सत्ताधारी तंत्र से जुड़ी हो सकती हैं। ऐसे में सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच ही एकमात्र रास्ता है।
खनिज संपदा से समृद्ध कोरबा, लेकिन जनता वंचित
पूर्व मंत्री ने DMFT (जिला खनिज न्यास निधि) से जुड़ी गड़बड़ियों को भी उजागर किया। उन्होंने बताया कि रजगामार गांव में पूर्ण हो चुके निर्माण कार्यों के भुगतान अब तक अटके हैं, जबकि निधि खर्च हो रही है — कहीं और, किसी और के हिसाब से।
उन्होंने राज्यपाल से यह आग्रह किया कि “खनिज संपदा की राशि को ग्राम पंचायतों तक पहुँचाने और उसका पारदर्शी उपयोग सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश दिए जाएं।”
भ्रष्ट अधिकारियों पर हो सीधी कारवाई
ननकी राम कंवर ने अपनी बात में ज़ोर देते हुए कहा —
“कोरबा की जनता आज खुद को असहाय महसूस कर रही है। जब शासन-प्रशासन की जवाबदेही शून्य हो जाती है, तब लोकतंत्र की अंतिम उम्मीद महामहिम राज्यपाल ही होते हैं।”
उन्होंने शासन तंत्र में फैली लापरवाही और भ्रष्टाचार को लेकर राज्यपाल से कड़ी कार्रवाई और स्पष्ट निर्देश देने की मांग की।
जनता को उम्मीद – आएगा बदलाव?
ननकी राम कंवर की यह पहल अब सिर्फ राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं, बल्कि जनता की पीड़ा को न्याय दिलाने की दिशा में एक निर्णायक कदम मानी जा रही है