3200 करोड़ का शराब घोटाला: आबकारी कमिश्नर का बयान…गरमाई प्रदेश की सियासत

रायपुर…छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 3200 करोड़ के शराब घोटाले में एक बार फिर नया मोड़ आ गया है। इस बार विवाद के केंद्र में हैं खुद आबकारी विभाग के कमिश्नर श्याम धावड़े, । घावड़े के हालिया बयान ने न केवल जांच एजेंसियों की कार्यवाही पर सवाल खड़े हो गए हैं बल्कि राज्य की राजनीतिक सरगर्मी भी और तेज हो गई है।
क्या है पूरा मामला?
आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा ने रायपुर की विशेष अदालत में शराब घोटाले से जुड़ा पांचवां पूरक चालान दाखिल किया है। घोटाला वर्ष 2019 से 2023 के बीच का है,। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री थे।
चालान में खुलासा किया गया है कि फर्जी होलोग्राम, नकली शराब आपूर्ति और रेवेन्यू में भारी हेराफेरी के जरिए प्रदेश के आबकारी तंत्र को हजारों करोड़ का नुकसान पहुंचाया गया। EOW की ओर से दायर किए गए दस्तावेजों में करीब 2300 पन्नों की रिपोर्ट 29 बंडलों में अदालत के सामने रखी गई है। घोटाले की पूरी कार्यप्रणाली और इसमें शामिल अधिकारियों के नाम दर्ज हैं।
अधिकारियों पर लगे हैं आरोप?
इस पूरक चालान में 28 वरिष्ठ आबकारी अधिकारियों के नाम शामिल हैं। इनमें प्रमुख नाम
- इकबाल खान
- अरविंद पाटले
- रामकृष्ण मिश्रा
- अरविंद नेताम
सभी अधिकारियों पर फर्जी होलोग्राम लगाकर नकली शराब बेचने, रेवेन्यू चोरी, और मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों से सांठगांठ जैसे गंभीर आरोप हैं।
गिरफ्तारी नहीं, कार्रवाई भी नहीं!
चौंकाने वाली बात यह है कि इतने बड़े घोटाले और पुख्ता सबूतों के बावजूद अब तक न तो किसी भी अधिकारी पर कारवाई ही हुई है l
क्या बोले आबकारी कमिश्नर?
आबकारी कमिश्नर श्याम धावड़े ने पहले तो कुछ भी बोलने से इन्कार किया। पल्ला झाड़ते हुए कहा कि
“यह हमारे क्षेत्राधिकार से बाहर है, प्रशासन इस पर बात करे।”
उन्होंने यह भी कहा कि ये सभी अधिकारी ग्रेड-1 और ग्रेड-2 स्तर के हैं, और उनके संबंध में कोई बयान देना उनकी जिम्मेदारी नहीं है।
फाइल नहीं बढ़ी, कार्रवाई भी नहीं
जानकारों के अनुसार, जब तक कमिश्नर श्याम धावड़े फाइल राज्य के मुख्य सचिव अमिताभ जैन को प्रेषित नहीं करते, तब तक कोई भी विभागीय कार्रवाई शुरू नहीं हो सकती।
ऊंचे स्तर पर हो रही है बचाव की कोशिश?
कमिश्नर के रवैये से साफ हैं कि विभाग के भीतर ऊंचे स्तर पर बैठे कुछ अधिकारी संभवतः बचाने की कोशिश कर रहे हैं। सवाल उठ रहा है कि कहीं पूरा तंत्र राजनीतिक संरक्षण में काम कर रहा था,।जैसा कि EOW ने चालान में संकेत दिया है।
अब सवाल यह है:
क्या जांच एजेंसियों की मेहनत और हजारों पन्नों की चार्जशीट अंततः इन अधिकारियों पर कार्रवाई तक पहुंचेगी, या फिर यह मामला भी राजनीतिक गलियारों में गुम हो जायेगा।