
रवि भोई।छत्तीसगढ़ के नए मुख्य सचिव सुब्रत साहू होंगे या अमित अग्रवाल, या फिर मनोज पिंगुआ के सिर सेहरा बंधेगा ? यह सस्पेंस बना हुआ है। छत्तीसगढ़ के वर्तमान मुख्य सचिव अमिताभ जैन 30 जून को रिटायर हो जाएंगे। श्री जैन की विदाई और नए मुख्य सचिव के परिचय /स्वागत के लिए 30 जून को पूर्वान्ह 11 बजे साय कैबिनेट की बैठक बुलाई गई है। इससे साफ़ हो गया कि राज्य को 30 जून को नया चीफ सेक्रेटरी मिल जाएगा। मध्यप्रदेश, राजस्थान और ओडिशा के अनुभव के आधार पर लग रहा है चीफ सेक्रेटरी के बारे में निर्णय दिल्ली से होगा। तीनों दावेदारों में सुब्रत साहू वरिष्ठ हैं। वे 1992 बैच के आईएएस हैं। सुब्रत साहू कांग्रेस राज में मुख्यमंत्री के एसीएस थे। कांग्रेस राज में मुख्यमंत्री सचिवालय में रहे कुछ के जेल जाने और कुछ के विवादों में रहने के बाद भी सुब्रत साहू पाक-साफ़ रहे। इस कारण वे मुख्य सचिव की दौड़ में हैं। 1993 बैच के अमित अग्रवाल दिल्ली में पदस्थ हैं। अब वे दिल्ली छोड़कर रायपुर आते हैं या नहीं, यह बड़ा सवाल है। मुख्य सचिव की रेस में 1994 बैच के आईएएस और एसीएस गृह मनोज पिंगुआ भी हैं। मनोज पिंगुआ को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पसंद बताया जा रहा है। कहा जा रहा कि इन तीन आईएएस में से कोई एक मुख्य सचिव बनेगा और फैसला 30 जून को कैबिनेट की बैठक के पहले होगा। नए मुख्य सचिव की नियुक्ति के बाद मंत्रालय स्तर पर कई उलटफेर भी होंगे।
कांग्रेस के युवा नेता को पायलट की फटकार
कहते हैं पिछले दिनों अपने छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान कांग्रेस के छत्तीसगढ़ प्रभारी सचिन पायलट ने कांग्रेस के एक युवा नेता को जबर्दस्त फटकार लगाई। ये युवा नेता कांग्रेस के एक संगठन के इंचार्ज बताए जाते हैं। इनके रिश्तेदार कांग्रेस के राष्ट्रीय पदाधिकारी हैं। चर्चा है कि युवा नेता के बारे में सचिन पायलट को कई तरह की शिकायतें मिली थीं। उन शिकायतों को लेकर सचिन ने युवा नेता की क्लास ले ली और जमीन में रहने की हिदायत भी दी। बताते हैं युवा नेता के पिछले एक साल में काफी पंख लग गए थे। वे कई वरिष्ठ लोगों को मात देकर तेजी से आगे बढ़ गए। तेज चाल के चलते उनके कदम फिसलने भी लगे थे, तो मौका लगते ही सचिन पायलट ने युवा नेता को धो दिया। कांग्रेस के अंदरूनी हलकों में युवा नेता को सचिन पायलट की फटकार चर्चा का विषय है।
संतुलन साधने नीलू शर्मा को पर्यटन
कहते हैं संगठन में संतुलन साधने के मकसद से भाजपा हाईकमान ने राजनांदगांव के नेता नीलू शर्मा को पर्यटन मंडल के अध्यक्ष की कुर्सी दे दी। कहा जाता है कि राजनांदगांव में राजनीति की धुरी पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह के आगे-पीछे ही घूमती है। बताते हैं नीलू शर्मा राजनांदगांव से महापौर का चुनाव लड़ना चाहते थे। राजनांदगांव महापौर का पद सामान्य वर्ग के लिए था, लेकिन डॉ रमन सिंह की पसंद पर भाजपा ने मधुसूदन यादव को उम्मीदवार बना दिया। वे चुनाव जीत गए। मधुसूदन यादव ओबीसी हैं। सामान्य सीट पर ओबीसी को उम्मीदवार की भरपाई कहीं न कहीं करनी थी, सो नीलू शर्मा को पर्यटन मंडल के अध्यक्ष की कुर्सी देकर कर दी गई। वैसे भाजपा की राजनीति में नीलू शर्मा को डॉ रमन सिंह की धारा का नहीं माना जाता है। नीलू शर्मा के पिता अशोक शर्मा का सुर डॉ रमन सिंह से नहीं मिलता था, पर मुख्यमंत्री रहते डॉ रमन सिंह ने संतुलन के लिए अशोक शर्मा को पाठ्य पुस्तक निगम का अध्यक्ष बनाया था।
भतपहरी के पीछे लगे ठेकेदार
कहते हैं लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता विजय कुमार भतपहरी के पीछे कुछ ठेकेदार लग गए हैं और उन्हें खो करने के चक्कर में हैं। विजय कुमार भतपहरी दोबारा ईएनसी बनकर आए हैं। वे पिछली कांग्रेस सरकार में भी ईएनसी थे और काफी साल चले भी। लेकिन बाद में सरकार उनसे नाराज हो गई और हटा दिया, उनकी जगह के के पीपरी को ईएनसी बना दिया। पीपरी के रिटायरमेंट के बाद भतपहरी को फिर मौका मिल गया। एक तो विभाग में भतपहरी के अलावा कोई सीनियर नहीं थे, विजय भतपहरी ने गणित फिट करने के अलावा केमेस्ट्री भी अपने अनुकूल कर लिया। चर्चा है कि लोक निर्माण मंत्री अरुण साव ईएनसी के पद पर किसी और को बैठना चाहते थे, विजय भतपहरी ने ऊपर से पव्वा लगा लिया। अब देखते हैं ठेकेदारों की लॉबी विजय भतपहरी को हिला पाती है या नहीं।
प्रदेश भाजपा की नई कार्यकारिणी जल्द
कहते हैं जल्द ही प्रदेश भाजपा की नई कार्यकारिणी बनने वाली हैं। नई कार्यकारिणी के लिए प्रदेश इकाई केंद्रीय संगठन को सूची भेजेगी। केंद्रीय संगठन ही प्रदेश कार्यकारिणी पर अंतिम मुहर लगाएगा। उम्मीद की जा रही है कि नई प्रदेश कार्यकारिणी पांच-सात दिन में घोषित कर दी जाएगी। पार्टी संगठन ने नई कार्यकारिणी में जगह देने के लिए कुछ नेताओं से बायोडाटा भी मांगा है। बताते हैं पार्टी संगठन ने ऐसे लोगों से भी बायोडाटा की मांग की है, जो दशकों से भाजपा की राजनीति कर रहे हैं और पहले भी संगठन और सत्ता में रह चुके हैं। बायोडाटा के लिए संगठन के एक पदाधिकारी के कार्यालय से नेताओं के पास संदेश गया है। चर्चा है कि बायोडाटा के संदेश से पार्टी के कुछ कद्दावर नेता भड़क गए हैं। वे कह रहे हैं पार्टी के लिए जीवन खपाने के बाद भी उन्हें अब पद के लिए बायोडाटा देना होगा।
कौन होगा जल संसाधन का ईएनसी
जल संसाधन विभाग के ईएनसी इंद्रजीत उइके 30 जून को रिटायर होने वाले हैं। उइके की जगह जल संसाधन विभाग का अगला ईएनसी कौन होगा, इस पर गुणा-भाग शुरू हो गया है। कहते हैं जल संसाधन विभाग के ईएनसी पद के लिए बिलासपुर के चीफ इंजीनियर जे आर भगत और चीफ इंजीनियर बांगो दीपक बुमेरकर दावेदार हैं। इनमें भगत की सर्विस आठ माह और बुमेरकर की चार माह बची है। वरिष्ठता में दोनों बराबर माने जा रहे हैं, ऐसे में सरकार लंबे पीरियड वाले को प्राथमिकता देती है तो भगत का चांस ज्यादा लग रहा है। जल संसाधन विभाग के अफसरों को सरकार के फैसले का इंतजार है।
संघ की बैठक में साय सरकार के काम की समीक्षा होगी
खबर है कि आरएसएस के दिल्ली स्थित झंडेवालान दफ्तर में आगामी चार से छह जुलाई तक देशभर के प्रांत प्रचारकों की बैठक होने वाली है। इसमें छत्तीसगढ़ के प्रांत प्रचारक अभयराम भी शामिल होंगे। वैसे तो यह बैठक मूलतः संघ के शताब्दी वर्ष कार्यक्रम के लिए हो रही है, पर बैठक में भाजपा शासित राज्यों के कामकाज पर चर्चा होने की उम्मीद की जा रही है। बैठक में छत्तीसगढ़ की साय सरकार के कामकाज पर विश्लेषण हो सकता है। बताया जा रहा है कि आरएसएस ने छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार के कामकाज के आब्जर्वेशन के लिए तीन-चार पर्यवेक्षक नियुक्त किए थे। पर्यवेक्षकों ने प्रांत प्रचारक को रिपोर्ट दे दी है। माना जा रहा है कि प्रांत प्रचारकों की बैठक में पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट पेश की जा सकती है और उस पर चर्चा भी हो सकती है।
दुश्मनों पर भारी पड़े मंत्री जी
कहते हैं राज्य के एक मंत्री को निपटाने में कुछ लोग लगे थे, उनके खिलाफ फर्जी तरीके से प्रधानमंत्री कार्यालय को भ्रष्टाचार की शिकायत भेजी गई। मंत्री जी के दुश्मनों ने तो बड़े शातिर तरीके का खेल खेला था। शिकायत के एक बड़े नाम और बड़ी संस्था को हथियार बनाया था। जाँच पड़ताल में पता चला कि शिकायतकर्ता ने तो मंत्री जी के बारे कोई शिकायत ही नहीं की थी। नाम और संस्था के उपयोग को लेकर मामला पुलिस तक पहुंच गया और दूध का दूध और पानी का पानी हो गया। चर्चा है कि मंत्री जी की शिकायत के पीछे कुछ प्रशासनिक अधिकारियों का हाथ हो सकता है। जाँच में सब कुछ खुलासा होगा, पर अभी तो मंत्री जी ने दुश्मनों को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और वार का प्रतिवार कर दिया है।
चपेटे में भूपेश बघेल के साथी
विजय भाटिया के बाद के के श्रीवास्तव को भी जाँच एजेंसियों ने दबोच लिया। दोनों को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का करीबी माना जाता रहा है। भूपेश बघेल सत्ता में थे तब दोनों उनके काफी नजदीकी माने जाते थे। खबर है कि भूपेश बघेल कई बार के के श्रीवास्तव के बिलासपुर आवास गए भी। चर्चा है कि जाँच एजेंसियों ने विजय भाटिया और के के श्रीवास्तव को ऐसा उलझा दिया कि भूपेश बघेल चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। कांग्रेस राज में सत्ता की चौकड़ी में शामिल कई लोगों की गिरफ्तारी के बाद विजय भाटिया और के के श्रीवास्तव की गिरफ्तारी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)