CG NEWS:सीयू में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन ,भारत साम्राज्यवाद नहीं, वसुधैव कुटुंबकम का पक्षधर- कुलपति प्रो. चक्रवाल

CG NEWS;बिलासपुर। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (केंद्रीय विश्वविद्यालय) नैक से ए++ ग्रेड प्राप्त विश्वविद्यालय की सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ द्वारा आयोजित एवं मौलाना अब्दुल कलाम आजाद इंस्टीट्यूट ऑफ एशियन स्टडीज (मकाइस) कोलकाता द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन कार्यक्रम रविवार को आयोजित हुआ। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की थीम रीसेटिंग इंडियाज एंगेजमेंट इन सेंट्रल एशिया- फ्राम सिम्बोल टू सब्सटेंस रही।
अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा कि भारत ने कभी साम्राज्यवाद की पैरवी नहीं की बल्कि बुद्ध, स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी की इस धरती ने सदैव शांति, अंहिसा, प्रेम, सद्भाव और वसुधैव कुटुंबकम की भावना को प्रसारित किया है। उन्होंने कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए हम सभी को एकजुट होकर प्रयास करने होंगे।
विशिष्ट अतिथि के रूप में यूरेशियन नेशनल यूनिवर्सिटी, कजाकिस्तान की पूर्व वाइस रेक्टर प्रो. एकबोटा झोलडासबेकोवा ने छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया और जय हिंद बोलकर इस बात को स्थापित किया कि छत्तीसगढ़ की प्रतिष्ठा राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही है। उन्होंने अपने दो दिवसीय प्रवास को शानदार बताते हुए कहा कि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय सही मायने में अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय का स्वरूप ले रहा है। उन्होंने बिलासपुर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी को सफल बताया।
मौलाना अब्दुल कलाम आजाद इंस्टीट्यूट ऑफ एशियन स्टडीज (मकाइस) कोलकाता के निदेशक प्रो. स्वरूप प्रसाद घोष ने कहा कि गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय में जल्दी ही मौलाना अब्दुल कलाम आजाद इंस्टीट्यूट ऑफ एशियन स्टडीज (मकाइस) कोलकाता का क्षेत्रीय केन्द्र खुलेगा जिसका लाभ शिक्षकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों को मिलेगा।
समापन कार्यक्रम का आयोजन प्रशासनिक भवन के सभाकक्ष में किया गया। नन्हा पौधा भेंट कर अतिथियों का सम्मान किया गया। आयोजन सचिव डॉ. राजकुमार नागवंशी तथा डॉ. अमित कुमार गुप्ता रहे। इस संगोष्ठी में देश-विदेश के 56 प्रतिभागी शामिल हुए। अतिथियों का शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मान किया गया। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के सफल आयोजन पर कुलसचिव प्रो. ए.एस. रणदिवे ने भी अपने विचार व्यक्त किये। संगोष्ठी के संयोजक प्रो. रामकृष्णन प्रधान ने धन्यवाद एवं कार्यक्रम का संचालन डॉ. सांत्वना पाण्डेय ने किया। इस अवसर पर विभिन्न विद्यापीठों के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्षगण, शिक्षकगण एवं अधिकारीगण तथा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
इससे पूर्व तकनीकी सत्रों में देश-विदेश से आये विषय विशेषज्ञों के द्वारा भारत–मध्य एशिया ऊर्जा संबंधों की चर्चा की गई, जिसमें रणनीतिक साझेदारी, आतंकवाद विरोधी प्रयासों और सांस्कृतिक जुड़ाव को रेखांकित किया गया। बहुपक्षीयता और शंघाई सहयोग संगठन में भारत की भूमिका का विश्लेषण किया गया, जिसमें क्षेत्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के पुनःसंरेखन पर ध्यान केंद्रित किया गया। व्यापार, रणनीतिक सहयोग, डिजिटल सुरक्षा, फार्मास्युटिकल व आतंकवाद विरोधी क्षेत्रों में भारत के बढ़ते प्रभाव की समीक्षा की गई। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में युवा शोधकर्ताओं को मंच प्रदान किया गया, जिसमें भारतीय प्रवासियों की भूमिका और सिल्क रोड के माध्यम से भारत के संबंधों को रफ्तार प्रदान करने पर भी विचारों का आदान प्रदान हुआ। इन सभी सत्रों में हुई चर्चा ने भारत और मध्य एशिया के बीच भू-राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और सुरक्षा पहलुओं पर आधारित संबंधों के प्रतीकात्मक से ठोस सहयोग की ओर बढ़ते स्वरूप को दर्शाया।