Chhattisgarh
विश्वविद्यालय में ऐसे उड़ी शर्तों की धज्जियां…6 साल बाद दबाव में जारी हुआ टेन्डर…लेकिन अपनों के लिए रख दिया 5 करोड़ की शर्त
व्यक्ति विशेष को फायदा पहुंचाने विश्वविद्यालय ने खेला भ्रष्टाचार का खेल

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बिलासपुर—अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय एक बार फिर तुगलकी फैसलों को लेकर चर्चा में है। बिना टेैन्डर 6 साल तक सुरक्षा कम्पनी को फायदा पहुंचाने के बाद एक बार फिर प्रबंधन का प्यार किसी कम्पनी पर आ गया है। प्रबंधन ने प्यार बरसाने से पहले टेन्डर शर्तों के साथ जमकर खिलवाड़ किया है। टेऩ्डक शर्तों को इस तरह खपला है कि टेन्डर लगाने वालों को ही समझ में नहीं आ रहा है कि अब क्या करें। बहरहाल प्रबंधन ने 5 करोड़ की शर्त लगाकर स्पष्ट संकेत दिया है कि विश्वविद्यालय का सुरक्षा जिम्मा किसे और क्यों देंगे।
30 मई 2025 को अटल विश्वविद्यालय प्रबंधन ने 6 साल बाद सुरक्षा व्यवस्था और रखरखाव को लेकर टेन्डर विज्ञापन जारी किया। मात्र 11 दिनों के अन्दर आवेदकों को 11 जून 2025 तक आवेदन जमा करने को कहा गया। जबकि पिछली बार यानी 6 साल पहले साल 2019 में टेन्डर जारी करते समय आवेदन जमा करने का समय 30 दिन दिया था। प्रबंधन की माने तो ऐसा सिर्फ सेवादार अंगद की पांव की तरह जमे लोकप्रिय फर्म को फायदा के लिए किया गया है।
नाम नहीं छापने की शर्त पर प्रबंधन के सूत्र ने जानकारी दिया कि साल 2019 में विश्वविद्यालय ने टेन्डर एक साल के लिए जारी किया था। इसके बाद प्रबंधन ने बिना किसी टेन्डर प्रक्रिया का पालन कर उसी फर्म को नियम विरूद्ध काम दिया गया। इस बार भारी दबाव के बाद विश्वविद्यालय प्रबंधन ने पैसे वाले फर्म विशेष को फायदा पहुूंचाने के लिए टेन्डर तो जारी किया..लेकिन शर्तों के साथ छेड़छाड़ के बाद। ऐसा सिर्फ इसलिए की कोई दूसरा आवेदक टेन्डर हासिल ना कर सके।
नियमों की उड़ाई गयी धज्जियां
जानकारी देते चलें कि शासन के निर्देश पर जेम पोर्टल या किसी अन्य ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से निविदा आमंत्रित किया जाता है। इसके लिए निविदाकारो को 20 से 30 दिन का समय दिया जाता है। लेकिन इस बार प्रबंधन ने निविदाकारों को मात्र 11 दिनों का ही समय दिया। निविदाकार दावा ना कर सके इसके लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन ने कुछ अलग खेल खेला। टेन्डर में अधिकारी का नाम तो दिया..लेकिन सम्पर्क नम्बर का जिक्र नहीं किया। ना ही तकनिकी जानकारी से अवगत कराया । ताकि दूसरे निविदाकार टेन्डर प्रक्रिया में शामिल ना हो सकें। बावजूद इसके कई लोगों ने आनलाइन टेन्डर प्रक्रिया में भाग लिया लेकिन कुछ न कुछ गड़बड़ी बताकर अपात्र कर दिया गया। नियमानुसार आवेदकों को स्पस्टीकरण का मौका भी नहीं दिया गया। सूत्र की माने तो ऐसा सिर्फ किसी फर्म को लाभ पहुचाने के लिए किया गया है।
अपनों को लाभ पहुंचाने की साजिश
प्रबंधन ने अपात्र किए गए निविदाकारों से बचने के लिए आनन फानन में 8 लोगों को व्यक्तिगत रूप से दस्तावेज पेश करने को कहा। जबकि शर्तों के अनुसार निविदा शर्तो में इसका उल्लेख नहीं है। नाम नहीं छापने की शर्त पर विश्वविद्यालय के कर्मचारी ने बताया कि सामान्यतः निविदा में भाग लेने वाला फर्म MSME मंत्रालय से पंजीकृत होता है। जेम पोर्टल के माध्यम से आमंत्रित निविदा में अमानत राशि में काफी छूट होती है। लेकिन प्रबंधन ने नियम शर्तों का उल्लंघन करते हुए 5,00,000 लाख रूपया जमा करने को कहा है। जाहिर सी बात है कि इस नियम से चहेत निविदाकार के अलावा कोई दूसरा आवेदक भाग लेने का साहस नहीं कर सकता है। बावजूद इसके जिसने भी साहस दिखाया..उसे इस बात की जानकारी ही नहीं दी गयी कि अमानत राशि किस माध्यम से जमा करें। इसके चलते गलतफहमी में कई आवेदक अपने आप बाहर हो गए।
समय कम लेकिन राशि में बढोत्तरी
सूत्र ने बताया कि साल 2019 में 69 सुरक्षा गार्डों कि मांग की गयी थी। अमानत राशि के रूप में 50000 जमा कराया गया था। 6 साल बाद दबाव में इस बार टेन्डर मंगाया गया। 74 कर्मचारी के लिए 500000 अमानत राशि जमा करने को कहा गया। इतना ही नहीं समय तीस दिन की जगह मात्र 11 दिन का ही दिया गया।
पांच करोड़ टर्नओव्हर का पैदा किया खौफ
मालूम हो कि सुरक्षा व्यवस्था को लेकर मात्र एक साल के लिए 2019 में टेन्डर जारी किया गया था। इसके बाद प्रबंधन ने 6 साल तक टेन्डर जारी नहीं किया। लेकिन विश्वविद्यालय के खजाने से सुरक्षा व्यवस्था के नाम अनाप शनाप रूपया निकाला जाता रहा। रूपया किसको मिला और कितना मिला..किसी को जानकारी नहीं है। अब जबकि टेन्डर निकाला गया गया है कि लेकिन चहेते निविदाकार को ध्यान में रखकर तुगलकी पैसला थोप दिया गया है कि प्रक्रिया में वही भाग ले सकता है कि जिसका सालाना कमाई पिछली बार के 25 लाख से बञ़कर पांच करोड़ रूपये हो।
वित्तीय घोटाला का संकेत
बहरहाल अटल विश्वविद्यालय के इस तुगलकी फरमान को लेकर में प्रबंधन के अन्दर बैठे लोगों के अलावा बाहर बैठे लोगों में भी गहरा आक्रोश है। जानकारी देते चलें कि अटल विश्वविद्यालय से जब तब वित्तीय अनियमितता को लेकर जब तब शिकायते बाहर आती रही हैं। इस बार जो संकेत सामने आ रहे है निश्चित रूप से विश्वविद्यालय में बड़े वित्तीय घोटाला की तरफ इशारा करते हैं।