उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से मचा सियासी भूचाल, विपक्ष ने शुरू की साझा उम्मीदवार की तैयारी

संसद का मॉनसून सत्र जैसे ही शुरू हुआ, देश की राजनीति में एक बड़ा झटका देखने को मिला।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने न केवल राजनीतिक गलियारों को चौंका दिया, बल्कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया। बिना किसी विदाई भाषण या औपचारिक घोषणा के धनखड़ का पद छोड़ना अपने आप में कई सवालों को जन्म दे रहा है।
कांग्रेस और विपक्षी दलों का मानना है कि यह इस्तीफा केवल व्यक्तिगत या स्वास्थ्य कारणों से नहीं आया, बल्कि इसके पीछे गहरी सियासी वजहें हो सकती हैं।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, राज्यसभा में विपक्ष की आक्रामक रणनीति और दो न्यायाधीशों के खिलाफ महाभियोग प्रस्तावों के दबाव ने उपराष्ट्रपति को असहज कर दिया था।
सियासी हलचल तब और तेज हो गई जब कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने 63 विपक्षी सांसदों के हस्ताक्षर के साथ महाभियोग प्रस्ताव सभापति कार्यालय में दायर किया। इनमें जस्टिस अरुण वर्मा और जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं।
शाम को धनखड़ ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ नोटिस की पुष्टि की, लेकिन शेखर यादव के खिलाफ नोटिस पर तकनीकी जांच की बात कही।
इस पूरे घटनाक्रम के बीच विपक्ष अब एक साझा रणनीति पर काम कर रहा है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने धनखड़ से शिष्टाचारवश बात जरूर की, लेकिन अंदरूनी तौर पर कांग्रेस और INDIA गठबंधन के सदस्य नए उपराष्ट्रपति के लिए एक सर्वमान्य उम्मीदवार तैयार करने की कोशिश में जुटे हैं। विपक्ष अन्य दलों, यहां तक कि INDIA गठबंधन के बाहर के नेताओं से भी समर्थन जुटाने की कवायद कर रहा है।
धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब निर्वाचन आयोग उपराष्ट्रपति पद के लिए नए चुनाव की तैयारी में लग गया है। वहीं, सरकार और विपक्ष के बीच तनाव एक नई ऊंचाई पर पहुंच गया है।
यह स्पष्ट है कि इस बार का मॉनसून सत्र सिर्फ विधायी कामकाज का नहीं, बल्कि सत्ता और विपक्ष के बीच विचारधारा की सीधी लड़ाई का मंच बनता जा रहा है।