india

Supreme Court: सहमति से बने रिश्तों में खटास पर SC का बड़ा फैसला

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक रेप केस में बड़ा फैसला सुनाते हुए उसे खारिज कर दिया। ऐसे कई मामले सामने आते हैं, जब सहमति के रिश्ते बने होते हैं, लेकिन बाद में उनमें खटास आ जाती है। ऐसे मामलों में कई बार पुरुष के खिलाफ रेप का केस दर्ज किया जाता है।

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसले में सहमति से बने रिश्तों को लेकर बड़ी टिप्पणी की है। अदालत ने महाराष्ट्र में दर्ज एक रेप केस को रद्द करते हुए साफ कहा कि अगर किसी रिश्ते में बाद में खटास आ जाती है या पार्टनर दूर हो जाता है, तो यह आपराधिक कार्रवाई का आधार नहीं बन सकता। यह फैसला जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एससी शर्मा की पीठ ने सुनाया।

मामला एक 25 वर्षीय युवक से जुड़ा था, जिस पर आरोप था कि उसने शादी का झूठा वादा करके महिला का यौन शोषण किया। कोर्ट ने जांच के दौरान यह पाया कि दोनों पक्ष एक-दूसरे को 2022 से जानते थे, नियमित बातचीत करते थे और आपसी सहमति से रिश्ते में थे।

कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड में ऐसा कुछ नहीं दिखता जिससे यह कहा जा सके कि शिकायतकर्ता की सहमति उसके स्वतंत्र निर्णय के विरुद्ध और केवल शादी के वादे पर आधारित थी।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा कि हर ऐसा रिश्ता, जो शादी तक नहीं पहुंचता, उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के अंतर्गत लाना “मूर्खता” है। अदालत ने चेतावनी दी कि इस तरह के मामलों से न केवल न्यायिक व्यवस्था पर बोझ पड़ता है, बल्कि झूठे आरोपों से किसी निर्दोष व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा भी बर्बाद हो सकती है।

कोर्ट का यह फैसला उन मामलों के लिए नज़ीर बन सकता है जहां सहमति से बने रिश्ते बाद में टूट जाते हैं और पार्टनर एक-दूसरे पर आपराधिक आरोप लगाते हैं। अदालत ने जोर देकर कहा कि ऐसे मामलों में केवल संबंध टूटने को बलात्कार जैसा संगीन अपराध ठहराना न्याय की मूल भावना के विपरीत है।

Back to top button