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महिलाओं की सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश… हर जिले में छह हफ्ते में नियुक्त हों संरक्षण अधिकारी

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है। पीठ ने साफ तौर पर कहा कि जिन क्षेत्रों में अभी तक संरक्षण अधिकारी नामित नहीं किए गए हैं, वहां 20 मई 2025 से छह सप्ताह के भीतर यह प्रक्रिया पूरी कर ली जानी चाहिए। यह आदेश सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और महिला एवं बाल/समाज कल्याण विभागों के सचिवों को भेजा गया है।

महिलाओं की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए उच्चतम न्यायालय ने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक ऐतिहासिक आदेश जारी किया है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि हर जिले और तालुका स्तर पर महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों की पहचान की जाए और उन्हें घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत संरक्षण अधिकारी के रूप में नामित किया जाए। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ द्वारा एनजीओ ‘वी द वूमेन ऑफ इंडिया’ की याचिका पर पारित किया गया।

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है। पीठ ने साफ तौर पर कहा कि जिन क्षेत्रों में अभी तक संरक्षण अधिकारी नामित नहीं किए गए हैं, वहां 20 मई 2025 से छह सप्ताह के भीतर यह प्रक्रिया पूरी कर ली जानी चाहिए। यह आदेश सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और महिला एवं बाल/समाज कल्याण विभागों के सचिवों को भेजा गया है।

संरक्षण अधिकारी की भूमिका घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत बेहद अहम होती है। यह अधिकारी न केवल पीड़ित महिलाओं की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करता है, बल्कि कानूनी सहायता, पुनर्वास और पुनः सम्मानजनक जीवन की दिशा में मदद भी करता है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इन अधिकारियों को अधिनियम की धारा 11 के तहत प्रचार-प्रसार और जागरूकता के लिए भी कदम उठाने होंगे, ताकि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो सकें।

एनजीओ द्वारा दायर याचिका में यह बताया गया था कि घरेलू हिंसा अधिनियम को लागू हुए 15 साल से अधिक हो चुके हैं, फिर भी आज भी घरेलू हिंसा महिलाओं के खिलाफ सबसे आम अपराध बना हुआ है। अधिनियम के अंतर्गत बुनियादी ढांचे और अधिकारियों की कमी इस गंभीर सामाजिक समस्या से प्रभावी तरीके से निपटने में एक बड़ी बाधा बनी हुई है।

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