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शिक्षकों के लिए TET पास करना अनिवार्य, पदोन्नति और सेवा जारी रखने की शर्तःसुप्रीम कोर्ट का निर्देश

नई दिल्ली ।सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया कि शिक्षण सेवा में बने रहने या पदोन्नति प्राप्त करने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करना अनिवार्य होगा। एक रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि जिन शिक्षकों की सेवानिवृत्ति में पांच वर्ष से अधिक समय बचा है, उन्हें सेवा जारी रखने के लिए TET उत्तीर्ण करना होगा। यदि शिक्षक TET पास करने में असमर्थ हैं या इसे नहीं देना चाहते, तो वे स्वेच्छा से इस्तीफा दे सकते हैं या अनिवार्य सेवानिवृत्ति लेकर सभी सेवानिवृत्ति लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

एक रिपोर्ट में बताया गया कि कोर्ट ने उन शिक्षकों को राहत दी है, जिनकी सेवानिवृत्ति में पांच वर्ष या उससे कम समय बचा है। ऐसे शिक्षक बिना TET पास किए अपनी सेवा जारी रख सकेंगे। यह फैसला तमिलनाडु, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों से दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें यह सवाल उठाया गया था कि क्या TET को स्कूल शिक्षण सेवा में अनिवार्य किया जा सकता है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य महत्वपूर्ण सवाल कि क्या राज्य अल्पसंख्यक संस्थानों के लिए भी TET को अनिवार्य कर सकते हैं और इससे उनके संवैधानिक अधिकारों पर क्या प्रभाव पड़ेगा ।इसे विचार के लिए बड़े बेंच के पास भेज दिया है। यह मुद्दा अल्पसंख्यक संस्थानों के अधिकारों और शिक्षा की गुणवत्ता के बीच संतुलन को लेकर महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मामला मुख्य रूप से पहले से सेवा में कार्यरत शिक्षकों, उनकी पदोन्नति और अल्पसंख्यक संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों पर TET की अनिवार्यता को लेकर उठा था। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि पहले से नियुक्त शिक्षकों पर TET लागू नहीं होना चाहिए। वहीं, राज्य सरकारों ने इसे शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए आवश्यक बताया। राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE) ने 2010 में कक्षा 1 से 8 तक के शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यताएं निर्धारित की थीं, जिसमें TET शामिल है।

रिपोर्ट में विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया कि यह फैसला शिक्षा प्रणाली में गुणवत्ता को मजबूत करने में मदद करेगा, लेकिन पहले से कार्यरत कुछ शिक्षकों के लिए यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इस फैसले से लाखों शिक्षकों पर असर पड़ सकता है, खासकर उन पर जो लंबे समय से सेवा में हैं लेकिन TET उत्तीर्ण नहीं किए हैं।

 

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