अब नहीं चलेगी चालाकी.. सरकारी कर्मचारियों को कड़ा आदेश…वरना नौकरी पर आ जाएगी बात

रायपुर…छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने शासकीय तंत्र में वित्तीय पारदर्शिता और नैतिक आचरण को सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब राज्य के चार लाख से अधिक अधिकारी-कर्मचारियों के निजी निवेश और नकद लेन-देन पर सरकारी नजर रहेगी। शासन से जारी एक संशोधित अधिसूचना के तहत, यदि कोई शासकीय सेवक शेयर, म्युचुअल फंड या डिबेंचर में बड़ा निवेश करता है, या बड़ी राशि नकद में निकालता है, तो उसे इसकी सूचना शासन को देना अनिवार्य होगा।
सावधान! नियम तोड़े तो होगी कार्रवाई
संशोधन के अनुसार यदि कोई कर्मचारी यह जानकारी छिपाता है या गलत विवरण देता है, तो उसके खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। सामान्य प्रशासन विभाग ने यह नियम 26 जुलाई 2025 से लागू कर दिया है।
संशोधित अधिसूचना के प्रमुख बिंदु:
शेयर और म्युचुअल फंड भी ‘चल संपत्ति’ में शामिल,
निवेश की श्रेणी में अब सिर्फ ज़मीन-जायदाद नहीं, बल्कि शेयर, म्युचुअल फंड और डिबेंचर भी औपचारिक रूप से शामिल कर दिए गए हैं।
छह माह के वेतन से अधिक निवेश = रिपोर्ट अनिवार्य:
यदि कोई सरकारी सेवक छह महीने के मूल वेतन से अधिक की राशि इन माध्यमों में निवेश करता है, तो उसे इसकी विस्तृत जानकारी शासन को देनी होगी।
बड़ी नकद निकासी पर भी बंधन:
यदि दो माह के वेतन के बराबर या उससे अधिक की नकद निकासी होती है, तो उसकी सूचना भी शासन को देना जरूरी है।
स्रोत और प्रमाण देना अनिवार्य:
निवेश करते समय यह बताना होगा कि पैसा कहाँ से आया — वेतन, बचत, उपहार या अन्य स्रोत — और इसके प्रमाण भी देना अनिवार्य होगा।
बार-बार खरीदी-बिक्री = सट्टा माना जाएगा:
अधिकारी यदि लगातार शेयर या म्युचुअल फंड की खरीद-बिक्री करते हैं, तो इसे ‘सट्टा गतिविधि’ मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
सालाना घोषणा भी जरूरी:
सभी शासकीय सेवकों को तय प्रारूप में सालाना संपत्ति विवरण हस्ताक्षरित रूप में जमा करना होगा।
सरकार की मंशा: पारदर्शिता, जवाबदेही,वित्तीय अनुशासन
जीएडी सचिव रजत कुमार ने स्पष्ट किया है कि यह कदम केवल नियंत्रण नहीं, बल्कि कर्मचारियों में वित्तीय अनुशासन और जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में लिया गया है। उन्होंने कहा कि सेवा में रहते हुए सरकारी कर्मचारी निवेश कर सकते हैं, लेकिन वह निवेश ईमानदारी, पारदर्शिता और सीमित दायरे में होना चाहिए।
विशेषज्ञों की राय: स्वागत योग्य कदम
वित्तीय मामलों के विशेषज्ञों ने इस निर्णय का स्वागत किया है। उनके अनुसार, इससे जहां निवेश के नियमों में स्पष्टता आएगी, वहीं कर्मचारी अब निवेश को लेकर सोच-समझकर निर्णय लेंगे। इससे सरकारी सेवा में भ्रष्टाचार पर भी प्रभावी अंकुश लगेगा।