BilaspurChhattisgarh

अरपा की छाती पर चल रही है जेसीबी, हाईवा और माफियाओं की सरकार —बंजर होती नदी का प्रशासन देख रहा तमाशा!

बिलासपुर…लगता है बालू माफिया अब अरपा नदी को पूरी तरह बंजर बनाकर ही मानेंगे। एक ओर हाईकोर्ट और सरकार अरपा को उसकी पुरानी स्थिति में लौटाने के लिए लगातार गंभीर प्रयास कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर माफियाओं की गुंडागर्दी और प्रशासनिक उदासीनता ने हालात बद से बदतर कर दिए हैं।

हाईकोर्ट कई बार अरपा नदी की दुर्गति पर शासन-प्रशासन को कड़ी फटकार लगा चुका है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर न तो स्थिति बदली है और न ही प्रशासनिक सख्ती दिखी है। माफिया अब पहले की तरह रात के अंधेरे में नहीं, बल्कि दिनदहाड़े खुलेआम अरपा नदी का सीना छलनी कर रहे हैं।

सुबह से शुरू होता है अवैध उत्खनन का धंधा

सेंदरी और निरतु अरपा घाट पर पिछले पंद्रह दिनों से हर रोज़ सुबह 5 बजे से लेकर 10 बजे तक धड़ल्ले से अवैध रेत उत्खनन और परिवहन का खेल जारी है। जबकी अरपा नदी के किसी भी घाट को स्वीकृति प्राप्त नहीं है, फिर भी हर दिन हज़ारों ट्रिप ट्रैक्टर और सैकड़ों हाईवा वाहन नदी की रेत ढो रहे हैं।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सेंदरी और निरतु घाट बिलासपुर मुख्य मार्ग के समानांतर स्थित हैं। यानी यह सारा खेल खुलेआम मुख्य मार्ग के पास ही हो रहा है — और प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है।

खनिज विभाग और सरपंचों की मिलीभगत 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सेंदरी और निरतु क्षेत्र में बालू माफियाओं की गतिविधियाँ स्थानीय सरपंचों और खनिज विभाग के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से चल रही हैं। सूत्रों की माने तो निरतु सरपंच को माफिया हर महीने लगभग 30,000 की रकम देते हैं, जबकि सिंदरी सरपंच को प्रति ट्रिप 200 का भुगतान किया जाता है।

सेंदरी क्षेत्र में रोज़ाना लगभग 200 ट्रिप रेत ट्रैक्टरों से ढोई जा रही है, जबकि निरतू घाट पर इससे भी अधिक मात्रा में अवैध परिवहन हो रहा है। जेसीबी मशीनों से तड़के 5 बजे से ही नदी की रेत लूटी जा रही है।

शिकायतों के बावजूद कार्रवाई शून्य

ग्रामीणों और कुछ जागरूक नागरिकों ने कई बार माइनिंग विभाग को सेंदरी और निरतु में अवैध उत्खनन की शिकायतें कीं, यहाँ तक कि निरतु श्मशान घाट के पास रेत के पहाड़ खड़े होने की भी जानकारी दी गई। लेकिन माइनिंग विभाग और जिला प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

इस निष्क्रियता ने ग्रामीणों में भ्रम और आक्रोश दोनों फैला दिया है। लोगों का आरोप है कि बालू माफियाओं ने विभागीय तंत्र को ‘खरीद’ लिया है। हाईकोर्ट के सख्त निर्देशों के बावजूद जिला प्रशासन और खनिज अमला हाथ पर हाथ धरे बैठा है।

ग्राम सचिव तक शामिल, अवैध कारोबार बेधड़क

 अवैध रेत उत्खनन और परिवहन के इस नेटवर्क में ग्राम सचिव भी शामिल है। उसने अपने ही घर के सामने रेत का पहाड़ खड़ा कर रखा है। बताया जाता है कि इस सचिव पर पहले हत्या का आरोप भी लग चुका है, बावजूद इसके वह अपने पद पर बना हुआ है और अवैध कारोबार को संरक्षण दे रहा है।

 बर्बादी की कगार पर अरपा

बिलासपुर शहर के मध्य से बहने वाली अरपा नदी न केवल शहर की पहचान है बल्कि जीवनरेखा भी है। आज बालू माफियाओं ने इसे रेत के ठेकेदारों का खेल का मैदान बना दिया है। हाईकोर्ट की चिंता और आदेशों के बावजूद जिला प्रशासन और खनिज विभाग की निष्क्रियता इस बात की गवाही दे रही है कि या तो माफियाओं का दबदबा बहुत बड़ा है या फिर व्यवस्था ने आंख मूंद लेने का निश्चय कर लिया है।

Back to top button
close