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बिलासपुर में जलसंकट…कांग्रेस ने खोला मोर्चा…कलेक्टर मुलाकात में प्रतिनिधिमण्डल ने कहा…बन्द करें कोयला माफियों का पानी

कोलवाशरी,स्टील और पवार प्लांट का पानी बन्द किए जाने की मांग

बिलासपुर–(भास्कर) बिलासपुर में दिनों दिन जलसंकट गहराता ही जा रहा है। बढ़ते जल संकट को देखते हुए कांग्रेस का एक प्रतिनिधि मंडल जिला कांग्रेस अध्यक्ष विजय केशरवानी की अगुवाई में आज कलेक्टर से मुलाकात किया है। प्रतिनिधि मंडल ने अरपा तट समेत जिले के आस पास स्थित फफूंद की तरह उग रहे कोल वाशरी,पावर प्लांट और स्टील प्लान्ट को पानी देने से साफ मना किया है। प्रतिनिधि मंडल ने कहा कि पानी की मात्रा निश्चित है। यदि किसानों को पानी उपयोग पर नसीहत दी जाती है तो उद्योगपतियों पर भी लगाम जरूरी है। पावर प्लान्ट के चलते भूगर्भ श्रोत दिनों दिन कम होता जा रहा है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि हम भविष्य की नहीं जानते लेकिन वर्तमान में पानी की समस्या को लेकर आंदोलन के लिए तैयार है।
कोलवाशरी,स्टील व  पवार प्लांट में पानी के अधाधुंध दोहन के खिलाफ कांग्रेस का प्रतिनिधि मंडल कलेक्टर से मुलाकात कर तत्काल प्रभावी कदम उठाने को कहा है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि जिले में पानी के लिए त्राहि त्राहि है। लेकिन पांवर प्लान्ट,कोलवाशरी और स्टील प्लान्ट के मालिक का नियम के खिलाफ मनमर्जी से भूगर्भीय जल का उपयोग कर रहे हैं।
कलेक्टर से कांग्रेस नेताओं की शिकायत
        कांग्रेस नेताओं ने कलेक्टर को बताया कि पारा 42 के ऊपर चल रहा है। भूजल स्तर में भी तेजी से गिरावट हो रही है। बिलासपुर जिले के अमूमन सभी ब्लाकों में पानी की त्राहि त्राहि है। तखतपुर ,बिल्हा , बेलतरा और मस्तूरी ब्लाक के ग्रामीण इलाकों में साल-दर-साल लोगों को गर्मी के मौसम में पानी की समस्या से दो चार होना पड़ रहा है। बावजूद इसके पानी मैनेजमेन्ट पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। दूरस्थ क्षेत्र के ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। प्रशासन को इस दिशा में गंभीरता से ध्यान देने की जरुरत है।
 कोल और औद्योगिक क्षेत्रों को बेशुमार पानी दिया जा रहा है। बांध से पानी देने के अलावा भूगर्भ जल का भी कोयला माफिया उपयोग कर रहे हैं। जिले में जहां तहां कोल वाशरी, पावर और  स्टील प्लांट की अनुमति बिना समझे दी जा रही है। औद्योगिक क्षेत्रों में अनुमति से कहीं अधिक बड़े-बड़े बोरवेल के साथ ही भारी मशीनाें के जरिए पानी का दोहन किया जा रहा है। कोल वाशरी, स्टील और  पावर प्लांटों में भूजल का दोहन का जमकर दुरुपयोग हो रहा है।
कलेक्टर को विजय केशरवानी ने बताया कि कोलवाशरी की दादागिरी का खामियजा चौतरफा झेलना पड़ रहा है।  25 से 30 एचपी के मोटर पंप से पानी निकाला जा रहा है। जिसके चलते आसपास के क्षेत्र में वाटर लेवल तेजी के गिरता ही जा रहा है। हालात ऐसे हो गए हैं कि आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन से पानी निकलना ही बन्द हो गया है। पेयजल आपूर्ति के लिए ग्रामीण क्षेत्र में लगे नल जल योजना के साथ ही हैंडपंप सूख गए हैं। कोलवाशरी और पावर प्लांटों के अलावा स्टील प्लांटों में पानी के उपयोग को निर्धारित मापदंड  का पालन नहीं किया जा रहा है। दरअसल पानी का दुरुपयोग किया जा रहा है। इस पर तत्काल रोक लगाए जाने की जरूरत है।
 वैध,अवैध कोयला डीपो का निरीक्षण
कांग्रेस नेताओं ने कलेक्टर को बताया कि जिले में लाइसेंसी के अलावा बड़ी संख्या में गैर लाइसेंसी कोयला डीपो का संचालन किया जा रहा है। लाइसेंसी हो या फिर गैर लाइसेंसी सभी डीपो में बोरवेल है। बाेरवेल के जरिए गोरखधंधा अलग ही अंदाज में चलता है। ग्रामीणों के अलावा औद्योगिक इकाइयों को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। डीपो में नंबर वन क्वालिटी के काेयले की चोरी की घटिया किस्म का कोयला वाहनों में अपलोड कर दिया जाता है। इसके बाद पानी का खेल शुरू होता है। कोयला लोड वाहनों में ट्यूबवेल के जरिए पानी की अंधाधुंध सिंचाई होती है।  कोयले का वजन बढ़ जाता है।
 कांग्रेस नेताओं ने कहा कि हम औद्योगिकीकरण के विराेधी नहीं हैं। लेकिन जिस तरह नियमों की आड़ में भूजल का अंधाधुंध दोहन किया जा रहा है उस पर रोक लगाना बेहद जरुरी है। हम बोरवेल खनन पर रोक लगाने और बोरवेल मशीनों में जीपीएस सिस्टम लगाने के फैसले का स्वागत करते हैं। बोरवेल खनन के अलावा उद्योग के नाम पर भूजल का हो रहे दोहन को राेकने की दिशा में सकारात्मक कार्रवाई की उम्मीद करते हैं।
प्रदूषण से कराह रहे ग्रामीण
कोलवाशरी के अलावा स्टील और पावर प्लांट के आसपास गांव के ग्रामीणों को चौतरफा मार झेलनी पड़ रही है। कोलवाशरी से लेकर प्लांटों में पानी का बेहिसाब दुरुपयोग तो किया ही जा रहा है,। इसके अलावा कोयले के उड़ते डस्ट और वायु प्रदूषण ने लोगों को बदहाल कर दिया है। नौनिहालों की जान खतरे में है। पानी के बेहिसाब दुरुपयोग के कारण लोगों को पीने के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है और इधर प्रदूषण से जान खतरे में है। प्रशासन का यह दोहरा मापदंड समझ से परे है। राजनीतिक संरक्षण में फल फूल रहे इस तरह के व्यवसाय पर तत्काल रोक लगे।
 ये सीन तो भयावह है
जिले में लगभग तकरीबन 19  कोलवाशरी और लाइसेंसी और ग़ैर लाइसेंसी पाँच दर्जन से ज़्यादा कोल डिपो का संचालन किया जा रहा है. डिपो संचालक महीने में  पाँच सौ से लेकर हजार टन कोयला डंपिंग का खनिज विभाग से लाइसेंस लेकर प्रतिदिन इससे ज़्यादा कोयले का खेला कर रहे हैं. माइनिंग अफसरों की भूमिका की भी जाँच होनी चाहिए।
 कांग्रेस नेताओं ने कलेक्टर को बताया कि हम नहीं जानते कि भविष्य में पानी की त्राहि त्राहि को लेकर जनता क्या करेगी। लेकिन हम इतना जरूर जानते है कि यदि कोलवालशी,पावर प्लान्ट और स्टील प्लान्ट पर पानी दोहन पर लगाम नहीं लगाया गया तो हम आन्दोलन के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

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