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Nursing Exam- नर्सिंग कॉलेज घोटाले पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला.. 28-29 अप्रैल को हर हाल में होगी परीक्षा, 50 हजार छात्रों को राहत

हाईकोर्ट ने नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता से जुड़े मामलों की जांच के लिए बनाई गई उच्च स्तरीय कमेटी को भी भंग कर दिया है। सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति राजेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली इस कमेटी को अब कोई भी नया मामला नहीं भेजा जाएगा।

Nursing Exam/मध्यप्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों में हुए बड़े फर्जीवाड़े और लगातार परीक्षाएं टलने पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि 2022-23 सत्र की लंबित परीक्षा अब हर हाल में 28 और 29 अप्रैल को आयोजित करवाई जाए। यह परीक्षा पहले चार बार टाली जा चुकी थी—दो बार मेडिकल यूनिवर्सिटी और दो बार एमपी नर्सिंग काउंसिल द्वारा।

कोर्ट के इस आदेश से डिप्लोमा और डिग्री कोर्सों के करीब 50 हजार से ज्यादा छात्रों को बड़ी राहत मिली है, जो लंबे समय से अनिश्चितता का सामना कर रहे थे।

हाईकोर्ट की स्पेशल बेंच, जिसमें जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल शामिल थे, ने नर्सिंग कॉलेजों में फर्जी मान्यता और लंबित परीक्षाओं को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि अब परीक्षा की तारीखों में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया जाएगा। इससे पहले 2020-21 और 2021-22 सत्र की परीक्षाएं भी समय पर नहीं हो पाई थीं और उन्हें 2024 में आयोजित किया गया था। अब 2022-23 सत्र की परीक्षा भी 2025 में कराई जा रही है।

हाईकोर्ट ने नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता से जुड़े मामलों की जांच के लिए बनाई गई उच्च स्तरीय कमेटी को भी भंग कर दिया है। सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति राजेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली इस कमेटी को अब कोई भी नया मामला नहीं भेजा जाएगा। भविष्य में कॉलेजों को मान्यता के लिए सीधे एमपी नर्सिंग काउंसिल के पास आवेदन करना होगा और अंतिम निर्णय वही लेगी।

सीबीआई जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि राज्य के 700 नर्सिंग कॉलेजों में से केवल 200 ही मापदंडों पर खरे उतरे हैं, जबकि बाकी कॉलेज फर्जी निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर संचालित हो रहे थे।

लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल द्वारा दायर याचिका में यह आरोप लगाया गया था कि बिना पर्याप्त संसाधनों, स्टाफ और अस्पतालों के इंतजाम के कई कॉलेजों को गलत तरीके से मान्यता दे दी गई थी।

फर्जीवाड़े में शामिल अधिकारियों और संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई का फैसला अभी लंबित है। वहीं, छात्रों की ओर से लगातार हो रही परीक्षा टलने की वजह से मानसिक और शैक्षणिक नुकसान की बात अदालत के सामने रखी गई थी। सुनवाई के दौरान शासन की ओर से अपर महाधिवक्ता अभिजीत अवस्थी और याचिकाकर्ता विशाल बघेल के अधिवक्ता आलोक वाग्रेचा मौजूद रहे।

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