कैदियों के सामूहिक काव्य पाठ से गूंजा बिलासपुर जेल, माखनलाल चतुर्वेदी को श्रद्धांजलि.. उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कहीं यह बात

बिलासपुर…स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और सुप्रसिद्ध साहित्यकार स्वर्गीय माखनलाल चतुर्वेदी की कालजयी कविता ‘पुष्प की अभिलाषा’ का बुधवार को केन्द्रीय जेल बिलासपुर में कैदियों द्वारा सामूहिक पाठ किया गया। यह वही ऐतिहासिक जेल है, जहां 18 फरवरी 1922 को श्री चतुर्वेदी ने यह देशभक्ति पूर्ण कविता लिखी थी।
जेल प्रशासन और एक निजी समाचार पत्र संस्थान के सहयोग से आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उनके साथ विधायक सुशांत शुक्ला, वरिष्ठ साहित्यकार सतीश जायसवाल, कवि एवं संपादक देवेंद्र कुमार सहित बड़ी संख्या में कैदी और जेल अधिकारी मौजूद रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत स्व. माखनलाल चतुर्वेदी के चित्र पर माल्यार्पण और श्रद्धांजलि अर्पण से हुई। साव ने कहा कि ‘पुष्प की अभिलाषा’ स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों के त्याग और बलिदान की अमर गाथा है। उन्होंने कहा—
“एक फूल की इच्छा है कि वह सम्राट या देवता के सिर पर नहीं, बल्कि देश की आज़ादी के लिए संघर्षरत सेनानियों के चरणों में कुचला जाए—यह देशभक्ति और त्याग का सर्वोच्च उदाहरण है।”
साव ने बताया कि माखनलाल चतुर्वेदी 5 जुलाई 1921 से 1 मार्च 1922 तक 7 माह 27 दिन बिलासपुर जेल में रहे। इसी दौरान उन्होंने अमर काव्य की रचना। उन्होंने कहा कि यह कविता छत्तीसगढ़ और बिलासपुर के लिए साहित्यिक धरोहर है। जो हर नागरिक को समाज और देश के लिए प्रेरित करती रहेगी।
इस अवसर पर दीपक सिंह, मोहित जायसवाल समेत अनेक साहित्यप्रेमी और अधिकारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में जेल अधीक्षक खोमेश मंडावी ने आभार व्यक्त किया।
📌 संभावित सशक्त हेडलाइन:
- “केन्द्रीय जेल बिलासपुर में गूंजा ‘पुष्प की अभिलाषा’ का स्वर, अरुण साव ने किया साहित्यकार को नमन”
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- “‘पुष्प की अभिलाषा’ से आज़ादी के अमर गीत की याद, उप मुख्यमंत्री बोले-