मासूम समेत तीन लोगों की क्रूर हत्या…हाईकोर्ट का फैसला…अंतिम सांस यानी प्राकृतिक मौत तक आरोपियों को आजीवन कारावास
नाबालिग से बलात्कार फिर पिता,चार साल की बच्ची और पीड़िता की हत्या

बिलासपुर–मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरू की डीबी ने जनवरी 2021 में 16 वर्ष की नाबालिग से दुष्कर्म और पीड़िता समेत पिता, चार वर्ष के मासूम भतीजी की क्रूर हत्या के आरोपियों को कठोर सजा का फैसला दिया है। जबकि मामले में सत्र न्यायालय ने मृत्युदंड की सजा का एलान किया था। अपील पर हाईकोर्ट ने आरोपियों को मृत्युदण्ड को प्राकृतिक जीवन तक कैद की सजा में बदल दिया है।
कोरबा जिला निवासी कोरवा विशेष जनजाति समुदाय का मृतक परिवार सतरेंगा निवासी संतराम मझवार के यहां मवेशी चराने का काम करता था। शर्त के अनुसार संतराम को प्रति वर्ष 8000 रूपये और 10 किलो चावल प्रतिमाह देने का करार था। लेकिन संतराम मंझवार ने पूरे वर्ष का बकाया भुगतान नहीं किया। मवेशी चराने के लिए केवल 600 रुपये दिए और प्रति माह केवल 10 किलो चावल दिया। शेष पैसा के लिए संतराम मंझवार ने टाल मटोल की। 29 जनवरी 2021 को मृतक की शिकायतकर्ता पत्नी मवेशी चराने का हिसाब-किताब करने संतराम के पास गई। कहा कि अपने घर वापस चले जाएंगे, तब संतराम ने कहा कि ठीक है और 600 रुपये नकद, कुछ दाल, चावल दिए।
नाबालिग बच्ची से बलात्कर फिर हत्या
घटना दिनांक 29 जनवरी 2021 को मृतक पने गांव जाने के लिए ग्राम सतरेंगा के बस स्टैंड पर खड़ा था। इसी दौरान सतराम मंझवार ने अपने साथी और अन्य आरोपियों के साथ साजिश रचने के साथ बस स्टैंड पहुंचा। मृतक और अन्य को बस पर चढ़ने से रोका और कहा कि मोटरसाइकिल से छोड़ देंगे। इसके बाद मृतक को लेकर कोरई गांव साथ लेकर गया। आरोपियों ने मृतक, उसकी 16 की बेटी और चार वर्ष की नातीन को रोक लिया। शिकायतकर्ता समेत मृतक की पत्नी और अन्य लोगों को मोटरसाइकिल पर आगे भेज दिया। इस बीच आरोपियों ने रास्ते में रोककर शराब पी और मृतक को भी शराब पिलाई। आरोपियों ने पूर्व नियोजित साजिश के तहत साझा उद्देश्य को अंजाम दिया। पीड़िता और मृतक को घटना स्थल ले जाकर साथ बलात्कार किया। मृतक पिता ने इसका विरोध किया तो उसे लाठी-डंडों और पत्थरों से पीटा गया और मौत के घाट उतार दिया ।
मासूम की पत्थर से कुचलकर हत्या
पति, बेटी और नातीन के घर न पहुंचने पर मृतका की पत्नी ने साथियों के साथ मिलकर पतासाजी की। पूछताछ करने आरोपी संतराम के घर भी गयी। लेकिन यहां भी उसे किसी प्रकार की जानकारी नहीं मिली। पत्नी ने थाने जाकर स्थिति से अवगत कराया। 2 फरवरी 2021 को गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर जांच कार्रवाई की गयी। पुलिस टीम सतराम मझवार के घर गई तो सभी आरोपी मौजूद मिले।
पुलिस पूछताछ में संतराम मंझवार और अब्दुल जब्बार ने बताया कि उन्होंने पीड़िता के साथ बलात्कार किया था । सभी आरोपियों ने मिलकर तीनों की हत्या कर दी है। लाश को जंगल में फेंक दिया है। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आरोपियों को लेकर मौके पर गयी। 3 फरवरी को जंगल से मृतक और चार वर्ष के मासूम बच्ची की शव को बरामद किया। इस दौरान पीड़िता की सांस चल रही थी। आनन फानन में उसे अस्पताल भर्ती कराया गया। अस्पताल पहुंचने से पहले उसकी भी मौत हो गई। साक्ष्य एकत्र कर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश किया।
मृत्युदण्ड की सजा
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एफटीसी कोरबा ने तीन निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या मामले में फैेसला सुनाया। घटना में एक 16 वर्ष की किशोरी के साथ दुष्कर्म और चार वर्ष की मासूम बच्ची की हत्या को दुर्लभतम से दुर्लभतम अपराध मानते हुए पांच आरोपियों को मृत्युदंड और एक आरोपी उमाशंकर यादव को आजीवन कारावास प्राकृतिक जीवन तक कैद की सजा सुनाई।
सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील
सजा के खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील प्रस्तुत की। शासन ने भी मृत्युदंड की पुष्टि के लिए हाईकोर्ट में मामला प्रस्तुत किया।चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरू की डीबी में मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने आदेश में कहा अपीलकर्ताओं ने तीन निर्दोष व्यक्तियों की हत्या किया है। इसमें एक लगभग 16 वर्ष की नाबालिग लड़की भी शामिल है.जिसका पहले बलात्कार किया गया। इस के बाद आरोपियों ने पत्थर से कुचलकर मौत के घाट उतारा है। आरोपियों ने 4 वर्ष की नाबालिग बच्ची को भी मारा है। आरोपियों ने बर्बर और अमानवीय,जघन्य और अत्यंत क्रूर तरीके से पत्थर से कुचलकर हत्या को अंजाम दिया है।
अंतिम सांस तक जेल की सजा
कोर्ट ने कहा कि अपराध करने वाली परिस्थितियाँ तोहैं, लेकिन रिकॉर्ड पर ऐसा कोई सबूत नहीं है कि दोषियों/अपीलकर्ताओं को सुधारा या पुनर्वासित नहीं किया जा सकता है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एफटीएससी (पॉक्सो) कोरबा ने आपराधिक संदर्भ अपीलकर्ताओं को मृत्युदंड की सजा सही है। संतराम मंझवार, अनिल कुमार सारथी, परदेशी दास, आनंद दास और अब्दुल जब्बार को मृत्युदंड का आदेश खारिज किया। अपीलकर्ता संतराम मझवार, अनिल कुमार सारथी, परदेशी दास, आनंद दास और अब्दुल जब्बार को भारतीय दंड संहिता की धारा 302/149 (तीन मामले), 376(डीए)/149 आईपीसी और धारा 6 पोक्सो अधिनियम, धारा 376(ए)/149 आईपीसी और धारा 6 पोक्सो अधिनियम, धारा 3(2)(वी) अत्याचार अधिनियम और धारा 3(1)(डब्ल्यू) अत्याचार अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध के लिए मृत्युदंड को आजीवन कारावास में परिवर्तित किया जाता है। निर्देश दिया जाता है कि आजीवन कारावास की सजा अपीलकर्ताओं के शेष प्राकृतिक जीवन के लिए कारावास तक बढ़ाई जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता उमाशंकर यादव को दी गई दोषसिद्धि एवं दण्ड की पुष्टि करता है। अत:-उमाशंकर यादव की अपील को खारिज किया जाताह ै। उसे पहले ही सत्र न्यायालय से आजीवन कारावास की सजा हुई है। वह भी प्राकृतिक जीवन तक कैद में रहेगा।