निगम बहा..सिस्टम डूबा..फिर भी बधाई.. कांग्रेस नेता ने कहा.बिलासपुर स्मार्ट सिटी बना दिखावे का पोस्टर

बिलासपुर/देश के दूसरे सबसे स्वच्छ शहर का गौरव प्राप्त कर चुका बिलासपुर इन दिनों अपनी चमकदार रैंकिंग के पीछे छुपी हकीकत से जूझ रहा है।
एक ओर जहां स्वच्छता अभियान के तहत मिले अवॉर्ड पर नगर प्रशासन तालियां बजा रहा है, वहीं दूसरी ओर बारिश के पहले ही दौर में शहर की सड़कें तालाबों में तब्दील हो गईं और नलों से कीचड़ मिश्रित जल बहने लगा।
स्थानीय नागरिकों और राजनीतिक प्रतिनिधियों का कहना है कि यह सम्मान केवल काग़ज़ी है, जबकि ज़मीनी हकीकत मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी को उजागर कर रही है। क्या वाकई बिलासपुर “स्मार्ट” हो गया है या फिर यह स्मार्टनेस एक सुनियोजित दिखावे से ज़्यादा कुछ नहीं?
इस बार मानसून ने नगर निगम के दाओ और स्मार्ट सिटी की बुनियादी तैयारियों की पोल खोल दी है। शहर की कई प्रमुख सड़कों पर जलभराव हो गया, मोहल्लों में कीचड़ फैल गया और पीने के पानी की लाइनें गंदे जल से भर गईं — ऐसे में आम नागरिकों को यह समझना मुश्किल हो रहा है कि यह अवॉर्ड किस आधार पर मिला है।
जहां नगर निगम और प्रशासन इस सम्मान को स्वच्छता अभियान की बड़ी उपलब्धि मान रहा है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय नेता और पूर्व अरपा बेसिन विकास प्राधिकरण सदस्य महेश दुबे ने इस पर तीखा व्यंग्य करते हुए कहा,
“बारिश ने शहर को मिनी केरल बना दिया है — पर्यटन की अपार संभावनाएं खुल चुकी हैं। सड़कें दरिया बन चुकी हैं और नलों में दलदल बह रहा है। यह स्वच्छता की नई परिभाषा है।”
स्वच्छता या साजिश?
दुबे का आरोप है कि स्वच्छता अवॉर्ड महज़ एक ‘कॉर्पोरेट ड्रामा’ बन चुका है जिसमें सफाई के नाम पर बड़ी-बड़ी कंपनियों को ठेके मिलते हैं और जमीनी हकीकत की अनदेखी होती है।उनका कहना है कि,
“जब तक सड़क, पानी, बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मूलभूत विषयों पर भी ऐसी प्रतिस्पर्धाएं आयोजित नहीं की जाएंगी, तब तक यह अवॉर्ड सिर्फ पीआर गतिविधि रह जाएंगे।”
बुनियादी सुविधाएं दम तोड़ रही हैं
महेश दुबे ने कहा कि बारिश के चलते शहर के कई क्षेत्रों में जलभराव ने नागरिकों को परेशान कर रखा है। पीने के पानी में गंदगी की शिकायतें लगातार मिल रही हैं। स्वास्थ्य सेवाएं पहले से ही दबाव में हैं, और ट्रैफिक व्यवस्था बारिश में पूरी तरह चरमरा गई। इसके बावजूद नगर निगम के अधिकारी अवॉर्ड को ‘बिलासपुर की ऐतिहासिक उपलब्धि’ बताकर प्रचार-प्रसार में जुटे हैं।
जनता की नाराज़गी बढ़ती जा रही है
स्थानीय निवासियों का कहना है कि स्वच्छता का यह तमगा सिर्फ पोस्टर और विज्ञापन तक सीमित है। “हम नालों से गुजरते हुए ऑफिस जाते हैं, और अख़बारों में पढ़ते हैं कि हम देश के सबसे साफ शहरों में हैं,” — यह कहना है तारबाहर निवासी सीमा तिवारी का।
प्रशासन क्या कहता है?
नगर निगम अधिकारियों का दावा है कि बारिश असामान्य रही, और जलभराव की समस्या अस्थायी है।हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब ऐसी स्थिति बनी हो — इससे पहले भी हर मानसून में बिलासपुर पानी में डूबता रहा है।
का॔ग्रेस नेता ने किया जमकर कटाक्ष
- कांग्रेस ता ने कहा कि। अवॉर्ड जैसे अभियान अगर केवल आंकड़ों, ऐप्स और प्रेजेंटेशन तक सीमित रहेंगे तो ज़मीन पर बदलाव संभव नहीं। बिलासपुर की जनता अब सिर्फ टाइल लगी सड़कों या रैंकिंग से नहीं, असल सुधार और जवाबदेही से संतोष चाहती है।