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आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कलेक्ट्रेट घेराव, प्रधानमंत्री को भेजा मांगपत्र..बताया..50 साल से नहीं मिला सम्मान

बिलासपुर..आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं की आवाज़ एक बार आज फिर सड़कों पर गूंजी। छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका संघ की सैकड़ों पदाधिकारी और सदस्य सोमवार को कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे । उन्होंने अपनी मांगों को लेकर ज़ोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री के नाम जिला प्रशासन को विस्तृत मांगपत्र सौंपा।

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि “हम भी इस देश की नागरिक हैं। महिला मतदाता हैं । पिछले 50 वर्षों से केंद्र और राज्य सरकारों की हर योजना को घर-घर तक पहुंचाने का काम कर रही हैं। इसके बावजूद हमें न तो कर्मचारी का दर्जा मिला है, न ही न्यूनतम मजदूरी, पेंशन, ग्रेच्युटी, समूह बीमा और चिकित्सा जैसी बुनियादी सुविधाएं।

50 साल की सेवा, फिर भी नहीं सम्मान

संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि 2 अक्टूबर 1975 को आईसीडीएस ,एकीकृत बाल विकास सेवा योजना शुरू हुई थी। तब से देशभर में करीब 27 लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं कार्यरत हैं। छत्तीसगढ़ में इनकी संख्या लगभग लाख में है।

सहायिका और कार्यकर्ता संगठन पदाधिकारियों ने बताया कि  “केंद्र सरकार केवल नाममात्र का पारिश्रमिक देती है।, जो जीवनयापन के लिए पर्याप्त नहीं है। महंगाई भत्ता, पेंशन, चिकित्सा सुविधा या पदोन्नति का लाभ भी हमें नहीं मिलता। केंद्र और राज्य सरकारें एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालती रहती हैं। लेकिन वर्तमान में दोनों ही जगह एक ही पार्टी की सरकार है, इसलिए हमारी पीड़ा को गंभीरता से समझा जाना चाहिए।”

संगठन ने दिया प्रधानमंत्री को मांग पत्र

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को शिक्षाकर्मी और सहायिकाओं को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। कर्मचारी घोषित होने तक कार्यकर्ताओं को 26,000 और सहायिकाओं को 22,100 मासिक वेतन दिया जाए।सेवानिवृत्ति पर पेंशन, ग्रेच्युटी, समूह बीमा और कैशलेस चिकित्सा सुविधा मिले। कार्यकर्ताओं को सुपरवाइजर और सहायिकाओं को कार्यकर्ता के पद पर पदोन्नति का लाभ मिले।

संगठन पदाधिकारी ने जानकारी दिया की मांग पत्र में हमने डिजिटल प्रणाली पोषण ट्रैकर, फेस कैप्चर, ई-KYC आदि से होने वाली व्यावहारिक परेशानियों को देखते हुए इन्हें बंद कर कार्य ऑफलाइन किया जाए।

पदाधिकारी ने कहा कि गुजरात हाई कोर्ट के न्यूनतम वेतन और ग्रेच्युटी संबंधी फैसले को छत्तीसगढ़ में भी लागू किया जाए। बुढ़ापे में कार्यकर्ताओं को 5 लाख और सहायिकाओं को 4 लाख ग्रेच्युटी राशि मिले तथा मासिक पेंशन क्रमशः 10,000 और 8,000 दी जाए। इसके अलावा आकस्मिक मृत्यु की स्थिति में परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति मिले।

प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया, तो आंदोलन को और तेज़ किया जाएगा। उन्होंने कहा कि “50 वर्षों से हम बच्चों और माताओं के पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए समर्पित हैं। अब समय आ गया है कि सरकार हमें भी सम्मान और सुरक्षा दे।

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