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CG NEWS:यह कैसी कार्य शैली… स्कूल शिक्षा विभाग और प्रशासन के सहयोग से परीक्षाओं के बीच सरकारी शिक्षकों को आया क्रिकेट का बुखार ..?

CG NEWS:बिलासपुर  । स्कूलों की परीक्षाएं अभी अंतिम दौर में है वही कॉलेज की परीक्षाएं मई के पहले हफ्ते तक चलेगी। पालक छात्रों की पढ़ाई लिखाई प्रभावित न हो इसे लेकर चिंतित है। वही बिलासपुर के कुछ सरकारी स्कूल के शिक्षकों को क्रिकेट के बुखार का जुनून फिर सवार हो गया है। आश्चर्य की बात है कि सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की परीक्षाओं के बीच क्रिकेट की दीवानगी को स्कूल शिक्षा विभाग और स्थानीय प्रशासन का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सहयोग भी मिल रहा है..! खबरें है कि बिलासपुर शहर के मध्य एक नव निर्मित स्टेडियम में होने वाले राज्य स्तरीय विभागीय क्रिकेट प्रतियोगिता के खेल में खुद शिक्षा विभाग शामिल हो गया है। परीक्षा और परीक्षा के अन्य कार्यों के समय को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने शिक्षकों की संस्था को स्टेडियम मुहैया कराने के दौरान किसी प्रकार की आपत्ति भी दर्ज नहीं की है।

स्कूल शिक्षा विभाग ने अपने कर्मचारियों को क्रिकेट खेलने और खिलवाने की लिए दी गई छूट के समय को यदि, व्यवहारिक मापदंडों पर परखा जाए तो यह बात निकाल कर आती है कि कार्य अनुभव नहीं होने की वजह से व्यवस्था में बैठे अधिकारी यह तय नहीं कर पा रहे कि कौन सा कार्य कब किया जाना उचित होता है..! व्यवहारिक मापदंडों में समन्वय नहीं होने पर हो सकता है कि स्कूल और कॉलेज के परीक्षा परिणाम में राज्य का प्रमुख शहरी जिला अन्य जिलों से पिछड़ जाए।

जुगाड और पहुंच की दम पर बिलासपुर के जिला शिक्षा विभाग में बैठे व्यवस्था के जिम्मेदार लोगों की लापवाही का आलम यह है कि ये मौके की नजाकत नहीं समझ रहे है..। यह ये नहीं तय कर पा रहे हैं कि स्कूलों के शिक्षकों के लिए मार्च और अप्रैल का पूरा महीना बहुत महत्वपूर्ण होता है..! यह समय कक्षा पहली से बारहवीं तक परीक्षा लेने, उत्तर पुस्तिका जांचने और रिजल्ट बनाने में बीत जाता है। ऐसे में बिलासपुर में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के समूह की ओर से राज्य स्तरीय विभागीय क्रिकेट चर्चा का विषय है।

स्कूल हो या कॉलेज दोनों के शिक्षको के लिए मार्च अप्रैल के ये दो महीने शारीरिक और मानसिक थकावट भरे होते है।ये दो महीने शिक्षकों के अपने छात्रों के लिए किए गए साल भर के परिश्रम के नजरिया से महत्वपूर्ण रहते हैं। भले ही इस क्रिकेट के आयोजन में छात्रों की सहभागिता नहीं है लेकिन मौजदा समय को देखते हुए संदेश तो यह निकालकर आ रहा है कि खेलोगे कूदोगे तो बनोगे नवाब..।

कहते है कि क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक जुनून है। यह किसी के लिए स्वास्थ्य लाभ तो किसी के लिए मनोरंजन है।
इस खेल का जीवन में बहुत उपयोग भी है तो दुरुपयोग भी है। देखा जाए तो स्थानीय क्रिकेट का आयोजन जिले में परीक्षाओं के पूर्वी कई समूहों और संस्थानों की ओर से हो रहे है लेकिन परीक्षाओं के त्यौहार के बीच स्कूल शिक्षा विभाग की प्रत्यक्ष भूमिका सवालों के घेरे में है। ऐसे में सवाल उठाना तो जायज है कि स्कूल शिक्षा विभाग की परीक्षा और परीक्षा के बाद की तैयारी जरूरी है या फिर क्रिकेट के बहाने समन्वय बना कर मानसिक स्वास्थ्य दुरुस्त कर फिटनेस के साथ टीम वर्क को ध्यान में रख कर काम किए जाने की प्रेरणा लेना जरूरी है।

पालकों की माने तो आईपीएल 2025 जो 22 मार्च से शुरू होगा और इसका समापन 25 मई को होगा। जिसमें देश के 13 जगहों पर 74 मैच खेले जाएंगे। यही अब हमारे लिए सबसे बड़ा दर्द है। इससे भी बच्चों की कुछ हद तक पढ़ाई प्रभावित होना तय है। वही क्रिकेट के जुनून में स्थानीय तड़का मारते हुए सरकारी स्कूल के शिक्षक अगर जिला स्तर पर विभागीय क्रिकेट का आयोजन करें तो दशक के रूप में आनंद देने वाले युवा छात्र खेल के प्रति आकर्षित होंगे। जिससे कही न कही शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। बेहतर हो कि ऐसे आयोजन गर्मी की छुट्टियों में किया जाए।जिससे दर्शक के रूप में छात्रों को स्थानीय मनोरंजन का एक साधन भी मिल जाए।

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