CG NEWS :शिक्षा विभाग के इस दफ्तर में अब बायोमैट्रिक से लगेगी हाजिरी, अब इस आधार पर बनेगी सेलरी

CG NEWS:बिलासपुर (मनीष जायसवाल) । जिला कलेक्टर अवनीश शरण ने सभी सरकारी कार्यालयों में बायोमैट्रिक मशीन लगाने के आदेश दिए थे उसी कड़ी में बिलासपुर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यकाल में कर्मचारियों अधिकारियों की हाजरी के लिए एक बायोमैट्रिक मशीन लगाई गई है इसका अभी ट्रायल चलता हुआ दिखाई दिया है। इसी कड़ी में जिला शिक्षा अधिकारी अनिल तिवारी ने बायोमेट्रिक उपस्थिति मशीन से कर्मचारी, अधिकारी की उपस्थिति की प्रारम्भिक प्रकिया की शुरूवात की है.! इस मशीन में कर्मचारी और अधिकारी के अंगूठे उंगलियों के निशान के आधार पर कम्प्यूटर से मिले डेटा के अनुसार उपस्थिति मानी जाएगी। मिली जानकारी के मुताबिक अब अप्रैल महीने से जिला शिक्षा कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों का वेतन बायोमैट्रिक उपस्थिति के आधार पर ही जारी किया जाएगा।
खबरें यह भी है कि कलेक्टर अप्रैल से स्वयं जिले के सभी विभागों में बायोमैट्रिक व्यवस्था का आकस्मिक निरीक्षण करेंगे। उनका यह कदम कर्मचारियों के समय पर आने जाने और कार्यालय में उपस्थिति के अनुशासन को बनाए रखने को लेकर लिया गया एक बड़ा फैसला है।
हालांकि बायोमेट्रिक उपस्थिति कोई पहली बार प्रचलन में नहीं आई है इससे पहले भी इसका उपयोग हो चुका है। कहीं पर सॉफ्टवेयर तो कहीं मोबाइल तो कहीं टैबलेट का प्रयोग कर्मचारियों की उपस्थिति के लिए व्यवस्था की जिम्मेदार लोगों की ओर से किया जाता रहा है। लेकिन कोई भी प्रयोग कारागार साबित नहीं हुआ है। सब चार दिन की चमक वाले ही रहे।
लोकसभा चुनाव के पूर्व राज्य के नवा रायपुर के मंत्रालय संचनालय में अधिकारियों की बायोमेट्रिक उपस्थिति को लेकर खबरें आई थी । उस समय सिकरेट्री लेवल पर बायोमेट्रिक उपस्थिति को लेकर बैठक होने की खबरें चर्चा में आई थी ..! लेकिन अब तक सामने कुछ ठोस नतीजे जमीन पर दिखाई नहीं दिए.. ।
वही जब भी राज्य के कर्मचारी जब भी बायोमेट्रिक से हाजरी लिए जाने का जिन्न निकलता है उसे इसे स्वीकार लेते है। उनके आने का समय तो तय रहता है लेकिन जाने का समय कोई तय नहीं रहता। कार्यालय साढ़े पांच बजे बंद हो जाते हैं लेकिन ऐसे बहुत से कार्यालय है जहां पर छह और सात बजे तक कई कर्मचारी कंप्यूटर पर या फाइलों पर विभाग का कुछ काम करते पाए जाते हैं।
लेकिन इस बायोमेट्रिक उपस्थिति से नौकरशाह बच निकलते रहे हैं। इनके आने और जाने का कोई टाइम टेबल तय नहीं रहता। हालांकि उनके पास फील्ड का काम अधिक रहता है ऐसे में अधिकारी पहले कार्यालय आएगा इसके फिल्ड में जाएगा इसको लेकर भी भविष्य में सवाल खड़े होंगे।
अब देखना है कि बिलासपुर के सभी कार्यालय में बायोमेट्रिक उपस्थिति का सिस्टम कितने दिनों तक प्रभावित रहता है।
क्योंकि तकनीकी रूप से या बहुत अधिक प्रभावी गैजेट नहीं है। पूर्व में जब यह कुछ जिलों और कार्यालयों में शुरू हुआ था तब इसमें कई प्रकार की तकनीकी खामियां भी आई थी इसके बाद तय हुआ कि कार्यालय में उपस्थित बायोमेट्रिक और मैन्युअल दोनों तरीके से ली जाए। बाद में बायोमेट्रिक उपस्थित बन्द हो गई थी।
मालूम हो कि यह सिस्टम विभाग स्तर का है। अभी राज्य स्तर पर सेंट्रलाइज ऐसा कोई सिस्टम नहीं है। ऐसे उपस्थित सिस्टम को सेंट्रलाइज करना मतलब अच्छा खासा तकनीकी इंफ्रास्ट्रक्चर पर निवेश करना और उसे संबंधित विभाग के डीडीओ से लिंक करके उपस्थिति के आधार पर वेतन निकालना और इस सर्विस बुक में इंद्राज करना है जो फिलहाल राज्य की आर्थिक स्थिति को देखते हुए टेढ़ा कम दिखाई देता है।