Bilaspur

CG NEWS:बिलासपुर में मच्छरों का आतंक, नगर निगम की लार्वा नियंत्रण योजना फेल, क्या भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा रहा बजट ?

CG NEWS:बिलासपुर (मनीष जायसवाल)  ।बिलासपुर नगर निगम का 1089 करोड़ का बजट भले ही भव्य योजनाओं का दावा करे लेकिन शहरवासियों को मच्छरों के आतंक से निजात दिलाने में निगम पूरी तरह नाकाम साबित हुआ है। लार्वा नियंत्रण और फॉगिंग की व्यवस्था भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है, जिसके चलते मच्छरों की बेलगाम पैदावार ने शहर में जीना मुहाल कर दिया है। हाल ही में हुई बजट सत्र की नगर निगम की बैठक में सत्ता पक्ष के पार्षदों ने भी इस विफलता पर कड़ा रोष जताया, लेकिन व्यवस्था के जिम्मेदार लोगों इसकी जवाबदेही तय करने के बजाय सिर्फ खानापूर्ति करते नजर आ रहे है।

लाखों का खर्च, फिर भी मच्छर बेकाबू

नगर निगम की ओर से लार्वा नियंत्रण, फॉगिंग और एंटी-लार्वा दवाओं के छिड़काव पर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन नतीजा नील बटे सन्नाटा है..। निगम के बजट सत्र पार्षदों का इस विषय पर विरोध तो संकेत देता है कि कही न कही फॉगिंग मशीनों के लिए खरीदे गए पेट्रोल-डीजल और लार्वा नियंत्रण की दवाएं काले बाजार में बिक रही हैं..! या फिर ठेकेदारों और निगम की साठगांठ के चलते वार्डों तक न तो दवाएं पहुंच रही हैं और न ही फॉगिंग हो रही..। नाले-नालियों की सफाई सिर्फ कागजों पर हो रही है, जबकि पुराना हाई कोर्ट रोड, पुराना बस स्टैंड, कुम्हारपारा, गोल बाजार, अग्रसेन रोड, इंदू चौक, मगरपारा रोड, जूना बिलासपुर, चिंगराजपारा, कतियापारा, और राजकिशोर नगर सहित 15 से अधिक इलाकों में जाम नालियां मच्छरों की हेचरी बनी हुई हैं।

VIP इलाकों तक ही रोस्टर

पार्षदों ने जो बेकाबू मच्छर को लेकर सवाल उठाया था उसमें एक बात निकल कर आ रही है कि फॉगिंग और लार्वा नियंत्रण का रोस्टर सिर्फ दिखावे के लिए है। वार्डों तक फॉगिंग मशीनें और दवा छिड़काव नहीं हो रहा है। निगम का ध्यान सिर्फ VIP इलाकों तक सीमित है, जबकि आम वार्डों में मच्छरों का प्रकोप लोगों की नींद और सेहत पर भारी पड़ रहा है। सवाल यह भी है कि क्या एंटी-लार्वा दवाओं का छिड़काव सिर्फ खानापूर्ति के लिए किया जा रहा है? यदि यह कार्य ठेके पर है, तो क्या अफसरों और ठेकेदारों की मिलीभगत से बजट का दुरुपयोग हो रहा है..?

मंत्रियों के गृह जिले में भी हाल बेहाल

हैरानी की बात यह है कि बिलासपुर संभाग में प्रदेश के उप मुख्य मंत्री एवं नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव और केंद्रीय शहरी विकास राज्य मंत्री तोखन साहू का एक निवास बिलासपुर में भी होने के बावजूद यह हाल है। दोनों नेताओं के विभाग शहर विकास और उनकी समस्या के समाधान से जुड़े हुए है..! इन्होंने बहुत कम समय में अपने गृह जिले मुंगेली में विकास कार्यों को लेकर भले ही वाहवाही बटोरी हो, लेकिन वहां भी मच्छरों की समस्या जस की तस बनी हुई है..। बिलासपुर में तो स्थिति इतनी बदतर है कि मच्छर शहरवासियों के स्वास्थ्य और शांति पर कब्जा जमाए हुए हैं।

जवाबदेही का टोटा

निगम की लचर कार्यप्रणाली से सत्ता पक्ष के पार्षदों से लेकर आम जनता तक उबल रही है। सवाल गूंज रहा है कि जब करोड़ों का बजट है, तो मच्छरों पर काबू क्यों नहीं..? क्या भ्रष्टाचार की आड़ में जनता की सेहत को कुर्बान किया जा रहा है..? नई महापौर से भले ही तुरंत चमत्कार की उम्मीद न हो, लेकिन निगम प्रशासन और नेताओं की जवाबदेही तो बनती है। अगर अब भी कार्रवाई नहीं हुई, तो मच्छरों का यह आतंक शहर को बीमारियों की चपेट में ले लेगा।

नगर निगम की लचर कार्यप्रणाली से न सिर्फ सत्ता पक्ष के पार्षद बल्कि आम जनता भी आक्रोशित है। शहरवासियों का सवाल है कि जब करोड़ों का बजट खर्च हो रहा है, तो फिर मच्छरों पर नियंत्रण क्यों नहीं हो पा रहा? क्या भ्रष्टाचार की आड़ में जनता की सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है? निगम प्रशासन और व्यवस्था के जिम्मेदार नेताओं को अब इस गंभीर मुद्दे पर काम तो करना होगा वरना मच्छरों का आतंक और बढ़ेगा। चूंकि बिलासपुर नगर निगम की महापौर अभी नई-नई है। इसलिए उनसे बहुत अधिक उम्मीद नहीं की जा सकती है।लेकिन उनके सारथी तो पुराने है। इसलिए इस समस्या तो गंभीरता से लेते हुए चिंतन के साथ जमीनी स्तर पर काम भी जरूरी है।

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