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CG NEWS:डीएड वाले शिक्षकों की नियुक्ति लटकने से उजागर हो रही शिक्षा विभाग की ख़ामियां…. !

CG NEWS:प्रदेश का सबसे चर्चित सहायक शिक्षकों का डीएड और बीएड विवाद कब का सुलझ गया है। लेकिन सवाल अब भी कई बने हुए है..! नए साल के पहले हफ्ते में बीएड किए हुए सहायक शिक्षकों को हटाए जाने के बाद सरगुजा और बस्तर संभाग के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी हो गई है। इस कमी को दूर करने के लिए तत्काल शिक्षा व्यवस्था में डीएड किए हुए अभ्यर्थियों को शामिल किया जाना था। लेकिन उनकी नियुक्ति तो दूर अभी स्कूल आबंटन की काउंसलिंग तक अटकी हुई है ..! इस लटकने और अटकने के पूरे क्रम में बीएड और डीएड के इस विवाद की तह में गुम हो चुकी कड़ियों को मिलाया जाए तो .. स्कूल शिक्षा विभाग में मैनेजमेंट की कमियां साफ दिखाई दे रही है।

मालूम हो कि पांच फरवरी को डीएड किए हुए अभ्यर्थियों की पांचवी काउंसलिंग ऑनलाइन होनी थी जो एक मामले की वजह से आगे बढ़ा दी गई थी । अब उस मामले में न्यायालय से क्लीयरेंस मिलने के बाद भी स्कूल शिक्षा विभाग टाइम पास करता हुआ दिखाई दे रहा है। कोर्ट के आदेश पर नई भर्ती में डीएड अभ्यर्थियों की सहायक शिक्षक के पद पर काउंसलिंग की इस लेट लतीफी से डीएड किए हुए अभ्यर्थियों में सब्र का बांध टूटा हुआ दिखाई दे रहा है।

चूंकि अब एक बार फिर सहायक शिक्षक पद के लिए डीएड अभ्यर्थियों को स्कूलों के चयन की काउंसलिंग कंप्यूटर बाबा कराएंगे इसके लिए कोई एक खास सॉफ्टवेयर बनाया गया है। इसमें जिला ब्लाक स्तर के स्कूलों के स्थान को लेकर कोई छेड़ छाड़ संभव है या नहीं यह भी सवाल है..! क्योंकि इसकी प्रोग्रामिंग कुछ ऐसी है कि स्कूलों के चयन में वरिष्ठता सूची का कोई मतलब नहीं सब कंप्यूटर बाबा आन लाइन डिसाइड करेंगे। आन लाइन काउंसलिंग में जिसे जितमें स्कूल चुनना है चुन सकते है कौन सा स्कूल खाली कौन सा भरा इसकी जानकारी फॉर्म भरते समय किसी को नहीं मालूम होगी। सॉफ्टवेयर इतना ज्यादा स्मार्ट है कि अब तक के चार चरण में सहायक शिक्षक और शिक्षकों की जो हुई भर्ती हुई है इसमें स्कूलों के लिए काउंसलिंग हुई उसमें बहुत से सुविधाजनक स्कूल भरे हुए हैं और आवश्यकता वाले स्कूल खाली है। नियमित शिक्षकों की ओर से माना जाता है शिक्षक भर्ती में स्थान का निर्धारण मानक स्तर पर नहीं हुआ। यदि अभी शिक्षकों का युक्ति युक्तिकरण हुआ तो सालों से जमे हुए शिक्षक अतिशेष हो जाएंगे और नई भर्ती वाले शिक्षक परिवीक्षा अवधि की वजह से वहीं जमे रहेंगे।

बताते चले कि अभी स्कूल शिक्षा विभाग के समाने बड़ी चुनौती है पांचवीं और आठवी बोर्ड परीक्षा है। जनवरी और फरवरी के डेढ़ महीने चुनाव और ट्रेनिंग में बीत गए। इस बीच प्राथमिक स्कूलों के सिस्टम से करीब 2900 शिक्षक कम हो गए..! हजारों की संख्या में सहायक शिक्षक पदोन्नति होकर प्रधान पाठक और शिक्षक बन गए..! नई भर्तियां नहीं हुई है। एकल शिक्षक और शिक्षक विहीन स्कूलों की संख्या बढ़ गई .! ऐसे में स्कूल शिक्षा विभाग में मैनेजमेंट कहां पर है। यह पूर्णकालिक मंत्री नहीं होने का खामियाजा है या फिर व्यवस्था के संचालन में बैठे अफसर विभाग के मंत्री के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहे है। या फिर स्व-विवेक से नीति सम्मत निर्णय नहीं ले पा रहे हैं।

चर्चाएं तो इस बात को लेकर भी है कि सिस्टम की इस कथित हीला हवाली की वजह कहीं पिछली सरकार के मलाईदार पदों में काम करने वाले लोग जुगाड करने फिर से मलाई दार पदों जमे हुए तो नहीं हैं जो स्कूल शिक्षा विभाग को चापलूसी के दम पर सरकार को चलाने वालों को जमीन से जुड़ी सच्चाई बता नहीं रहे। या फिर अपना उल्लू सीधा करने के लिए भटका रहे है। परिस्थितियों जो भी हो नुकसान तो प्राथमिक स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था का ही हो रहा है।

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