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CG News: छत्तीसगढ़ में भू-जल संकट की घंटी: 5 विकासखंड ‘क्रिटिकल’

CG News।छत्तीसगढ़ में भू-जल स्तर को लेकर हाल ही में आई केंद्रीय भूमि जल बोर्ड की सर्वेक्षण रिपोर्ट ने प्रशासन और आम नागरिकों के लिए एक गंभीर चेतावनी जारी की है।

जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जारी इस रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के 146 विकासखंडों में से 5 विकासखंडों को भू-जल संकट के लिहाज से ‘क्रिटिकल’ यानी संकटकालीन स्थिति में रखा गया है, जबकि 21 विकासखंडों को ‘सेमी-क्रिटिकल’ यानी अर्धसंकटकालीन श्रेणी में रखा गया है।

‘क्रिटिकल’ की श्रेणी में शामिल विकासखंडों में बालोद जिले का गुरूर, बेमेतरा जिले के नवागढ़, बेमेतरा और बेरला, तथा रायपुर जिले का धरसींवा शामिल हैं। इन क्षेत्रों में भू-जल दोहन की गति अत्यधिक है और पुनर्भरण की दर अत्यंत धीमी है, जिससे स्थिति चिंताजनक हो गई है।

वहीं, अर्धसंकटकालीन क्षेत्रों में बालोद, गुंडरदेही, साजा, तखतपुर, बेल्हा, धमतरी, कुरूद, दुर्ग, धमधा, राजिम, फिंगेश्वर, पंडरिया, चारामा, खैरागढ़, बसना, पिथौरा, पुसौर, डोंगरगांव, डोंगरगढ़, राजनांदगांव, बरमकेला और सुरजपुर जैसे विकासखंड शामिल हैं।

इन परिस्थितियों को देखते हुए जल संसाधन विभाग ने सभी जिलों के कलेक्टरों को पत्र जारी कर भू-जल संवर्धन के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि मनरेगा, जिला खनिज न्यास मद एवं आपदा प्रबंधन कोष जैसे स्रोतों का उपयोग कर भू-जल पुनर्भरण की संरचनाएं विकसित की जाएंगी। इसका उद्देश्य न केवल जल स्तर को स्थिर करना है, बल्कि भविष्य के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित करना भी है।

मंत्रालय ने यह भी कहा है कि संकटग्रस्त क्षेत्रों में सतत् निगरानी रखते हुए समय-समय पर भू-जल सर्वेक्षण किया जाए ताकि वास्तविक स्थिति का आंकलन किया जा सके और तदनुसार सुधारात्मक कदम उठाए जा सकें।

रिपोर्ट में शेष 120 विकासखंडों को फिलहाल ‘सुरक्षित’ श्रेणी में रखा गया है, लेकिन प्रशासनिक सतर्कता आवश्यक है क्योंकि बदलते जलवायु परिदृश्य और बेतरतीब जल दोहन किसी भी समय स्थिति को बिगाड़ सकते हैं।

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