CG NEWS:फर्जी कॉर्डियोलाजिस्ट डॉ.यादव का नाम किस लिस्ट में था सबसे ऊपर …? 2018 में लोकसभा में उठा था यह सवाल

CG NEWS:बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल सहित कई लोगों के इलाज में लापरवाही के आरोप में गिरफ्तार डॉ. नरेंद्र विक्रमादित्य यादव को पेशेवर कदाचार के दोषी पाए जाने पर भारतीय चिकित्सा परिषद ने 2014 में ही सजा दी थी। जब उनका रजिस्ट्रेशन 5 साल के लिए निलंबित किया गया था। यह मामला मार्च 2018 में लोकसभा के प्रश्न काल में भी उठा था। तब सरकार की ओर से लिखित जवाब में इसकी जानकारी दी गई थी। भारतीय चिकित्सा परिषद की ओर से जिन डॉक्टरों को पेशेवर कदाचार की सजा दी गई थी, उस लिस्ट में डॉ.यादव का नाम सबसे ऊपर दर्ज था।
लोकसभा में 9 मार्च 2018 को सांसद चंदूलाल साहू, राजेश कुमार दिवाकर और श्रीमती संतोष अहलावत ने डॉक्टर हेतु आचरण एवं आचार से संबंधित एक प्रश्न पूछा था। उन्होंने सवाल किया था कि क्या भारतीय चिकित्सा परिषद ने पंजीकृत डॉक्टर हेतु आचार एवं नीति के पेशेवर आचरण संबंधी कोई मानदंड तय किए हैं। जिसमें डॉक्टर और समुदाय के हितों की ओर व्यापक रूप से ध्यान दिया गया है । यदि हां तो इस संबंध में ब्यौरा क्या है और पिछले तीन वर्षों के दौरान प्राप्त शिकायत, उनकी संख्या, निपटाई गई शिकायतों की कुल संख्या और उनमें से लंबित शिकायतों की संख्या का राज्य, संघ/ राज्य क्षेत्रवार ब्यौरा क्या है। उन्होंने यह भी पूछा था कि इस संबंध में विगत 10 वर्षों के दौरान पेशेवर कदाचार के दोषी पाए गए डॉक्टरों की कुल संख्या कितनी है तथा की गई कार्रवाई का राज्य, संघ /राज्य क्षेत्रवार ब्यौरा क्या है।
इस प्रश्न के लिखित जवाब में उस समय के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्वनी कुमार चौबे ने जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि चिकित्सकों के लिए व्यावसायिक आचरण और शिष्टाचार के मानक एवं नीतिपरक संहिता निर्धारित करने के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद में केंद्र सरकार के पूर्व अनुमोदन से भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (व्यावसायिक आचरण शिष्टाचार एवं नीति शास्त्र विनिमय 2002 ) अधिसूचित किए हैं। एमसीआई अथवा समीचीन आयुर्विज्ञान परिषदों को उपयुक्त विनियमों के प्रावधानों के उल्लंघन करने वाले डॉक्टर के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई करने का अधिकार प्राप्त है। जब कभी डॉक्टर के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतें मिलती है, ऐसी शिकायतों को एमसीआई द्वारा उन संबंद्ध राज्य आयुर्विज्ञान परिषदों को रेफर किया जाता है, जहां डॉक्टर, चिकित्सा व्यावसायी पंजीकृत होते हैं । एमसीआई एक अपीलीय प्राधिकरण है।
उन्होंने जानकारी दी की 3 साल के दौरान 2015-16 में 154, 2016 में 164 और 2017 में 167 शिकायतें प्राप्त हुई। इस दौरान 2015-16 में 83, 2016 में 98 और 2017 में 50 शिकायतें आयुर्विज्ञान परिषद को भेजी गई। स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने यह भी बताया था कि व्यावसायिक कदाचार के दोषी पाए गए डॉक्टर के खिलाफ एमसीआई के द्वारा कार्रवाई की गई है। इस संबंध में जो सूची दी गई थी उसमें सबसे पहले नाम डॉ नरेंद्र विक्रमादित्य यादव का है। जिनके बारे में जानकारी दी गई थी कि 21 फरवरी 2014 को हुई अचार नीति की बैठक में डॉ. नरेंद्र विक्रमादित्य यादव को सजा दी गई थी। जिसके तहत 5 वर्ष के लिए उनका पंजीयन निलंबित किया गया था। इस सूची में अन्य डॉक्टरों के भी नाम है।
इस संबंध में जानकारी मिली है कि पेशेवर कदाचार के दोषी पाए गए डॉक्टर के खिलाफ भारतीय चिकित्सा परिषद एमसीआई, जिसे अब राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग कहा जाता है, कुछ विशिष्ट प्रकार की कार्रवाई कर सकती है। जब कोई डॉक्टर पेशेवर कदाचार का दोषी पाया जाता है, तब परिषद डॉक्टर को एक औपचारिक चेतावनी दे सकती है। कुछ समय के लिए डॉक्टर का पंजीयन निलंबित किया जा सकता है। जिससे वह चिकित्सा अभ्यास नहीं कर सकता। गंभीर मामलों में डॉक्टर का मेडिकल रजिस्ट्रेशन स्थाई रूप से रद्द किया जा सकता है। अनुशासनात्मक जांच के लिए एक जांच कमेटी बनती है । जो डॉक्टर के आचरण की जांच करती है । इंडियन मेडिकल रजिस्टर (आईएमआर) एक केंद्रीय रजिस्टर होता है । जिसमें देश भर के सभी वैध रूप से पंजीकृत डॉक्टर का विवरण होता है ।यह एमसीआई द्वारा बनाए रखा जाता है। अगर किसी डॉक्टर को पेशेवर कदाचार का दोषी पाया जाता है और उसका पंजीकरण रद्द कर दिया जाता है तो उसका नाम आई एम आर से हटा दिया जाता है । आईएमआर में शामिल डॉक्टर ही पूरे भारत में कहीं भी प्रैक्टिस कर सकते हैं ।
गौरतब है कि डॉ. नरेन्द्र विक्रमादित्य यादव ने 2006 में बिलासपुर के अपोलो में कॉर्डियोलाजिस्ट के रूप में पदस्थ रहते हुए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेन्द्र प्रसाद शुक्ला के हार्ट का ऑपरेशन किया था । इसके बाद उनका निधन हो गया था । इस तरह की और भी शिकायतें सामने आईं हैं। राजेन्द्र प्रसाद शुक्ला के पुत्र डॉ. प्रदीप शुक्ला की रिपोर्ट पर सरकंडा पुलिस ने जुर्म दर्ज किया है और डॉ. नरेन्द्र विक्रमादित्य यादव को गिरफ़्तार भी कर लिया गया है। उनकी डिग्री भी फर्जी पाई गई है।