ChhattisgarhEducation

CG NEWS:मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान… कागज़ी घोड़े पर सवार शिक्षा का सपना, विषय बाध्यता का राजपत्र अभी भी अटका..!

Chhattisgarh School  Education NEWS बिलासपुर :(मनीष जायसवाल) ।14 मई को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय  की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक ने प्रदेश के स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता को राष्ट्रीय शिक्षा नीति और आरटीई  के मानकों तक ले जाने का संकल्प लिया है..। इसके बाद से छत्तीसगढ़ के शिक्षा मंदिरों में “मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान” का शंखनाद हो गया है, लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग की ज्यादातर नीतियां अगर-मगर के भंवर में रही है..। बीते  30 जनवरी को हुई एक बड़ी बैठक में शिक्षा गुणवत्ता का रथ तैयार तो हुआ था, मगर कुछ पहियों का अता-पता नहीं चला है..। मुख्यमंत्री के निर्देश पर राज्य के मिडिल स्कूलों में विषय बाध्यता लागू होने का आदेश अभी भी नौकरशाही के जंगल में भटक रहा है..! अब स्कूलों और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण होने जा रहा है। विभाग ने इससे जुड़ा न्यायालय में कैविएट लगा रखा है ..। ध्यान देने वाली बात यह है कि इस प्रकिया के लिए जारी नियमों में मिडिल स्कूलों में विषय बंधन है..। लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग के भर्ती पदोन्नति के लिए जारी राजपत्र के नियमों में मिडिल स्कूलों में विषय बंधन नहीं है…!
अब साय सरकार की कैबिनेट बैठक ने प्रदेश के स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता को राष्ट्रीय शिक्षा नीति और  RTE के मानकों तक ले जाने का संकल्प लिया है। इस नीति में  विषय बाध्यता को शिक्षा का आधार माना गया है। इस फैसले का छत्तीसगढ़ विषय बाध्यता मंच की ओर से इस मंच से जुड़े शिक्षक ऋषि राजपूत, आनंद साहू, चेतन सिंह परिहार, लालमन पटेल, मुकेश ध्रूव, महेश ध्रूव, रूपेंद्र साहू ने दिल खोल कर स्वागत किया लेकिन अब तक की इस विषय में  विभाग की कार्यशैली को लेकर कोई संतुष्ट नहीं है।
मालूम हो कि विषय बाध्यता मंच  मिडिल स्कूलों में फिर से विषय बाध्यता लागू करने की मांग को लेकर बड़े लंबे  समय से इस   फरियाद  लेकर विधायको , मंत्रियों सहित अफसरों के  दरवाजे पर कई बार चक्कर लगा अनुनय विनय कर चुका  है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में  30 जनवरी को हुई बडी बैठक के बाद इन्होंने विषय बंधन हटाने के लिए ज्ञापन पर ज्ञापन, निवेदन पर निवेदन किया फिर भी सिस्टम हिला तक नहीं।
 बताते चले कि पिछली सरकार से अब तक व्यवस्था के जिम्मेदार लोगों ने शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन लाने के लिए एक से बढ़कर एक कई योजनाएं इतनी हड़बड़ी में बनाई कि आदेश जारी करने से पहले इस बात का ख्याल नहीं रखा कि यह योजनाओं जमीनी स्तर पर काम कैसे करेगी। कुछ योजनाओं को सरल, व्यावहारिक और निति परक बनने में चूक कर गए।जिसने विवाद को जन्म दिया।ऐसे कुछ न्यायालयीन मामले चर्चित हुए भी है ऐसी कई योजनाओं की लंबी फेरहिस्त  है। मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान नया है लेकिन ज्यादातर कमान उन्हीं पुराने हाथों में है जिन्होंने जमीनी सच्चाई को व्यवस्था के खास जिम्मेदार लोगों के सामने नहीं रखा है..। इसके पीछे भी कई तरह की चर्चाएं है।

 


Back to top button