बलरामपुर जिला शिक्षा अधिकारी से नहीं संभल रहा जिले का कमान..हॉस्टल में शिक्षिका के साथ रंगरेलियां मनाते पकड़ा गया अधीक्षक

बलरामपुर(पृथ्वीलाल केशरी)जिले के शंकरगढ़ विकासखंड में संचालित पहाड़ी कोरवा बालक आश्रम का अधीक्षक 13 फरवरी की रात एक शिक्षिका के साथ रंगरेलियां मनाते पकड़ा गया। इसकी जानकारी हॉस्टल में रहने वाले छात्रों ने ग्रामीणों को दी। सूचना मिलते ही बीईओ व एसडीएम मौके पर पहुंचे।
वहीं जांच प्रतिवेदन के आधार पर कलेक्टर ने शिक्षिका को जहां निलंबित कर दिया है,वहीं आश्रम अधीक्षक को पद से हटा दिया गया है।
13 फरवरी 2025 की रात पहाड़ी कोरवा बालक आश्रम के कमरे में एक अधीक्षक व शिक्षिका के होने की जानकारी जब ग्रामीणों को मिली तो उन्होंने आश्रम को चारों तरफ से घेर लिया। इसके बाद मामले की सूचना प्रशासन को दी गई। सूचना मिलने के बाद शंकरगढ़ एसडीएम आनंद राम नेताम और पुलिस टीम मौके पर पहुंची।
जब अधिकारियों ने जांच की तो पाया गया कि छात्रावास अधीक्षक महिला शिक्षिका के साथ एक कमरे में मौजूद था। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि छात्रावास अधीक्षक लंबे समय से महिला शिक्षिका को आश्रम में बुलाता था और पूरी रात उसके साथ बिताता था।
जब एसडीएम ने छात्रावास अधीक्षक से पूछ ताछ की तो उसने दावा किया कि शिक्षिका से कोर्ट मैरिज किया है। लेकिन जब इस मामले की विवेचना की गई तो पता चला कि अधीक्षक पहले से शादीशुदा है और उसके 2 बच्चे भी हैं। वहीं शिक्षिका अविवाहित भी हैं।
जांच के दौरान मिले साक्ष्य के आधार पर बिना सूचना बालक छात्रावास में शिक्षिका का रहना तथा अधीक्षक द्वारा मामले की झूठी जानकारी देने की बात को अधिकारियों ने गंभीर व अनुशासनहीनता माना। इसकी रिपोर्ट तैयार कर उच्चाधिकारियों को भेजी गई। इस मामले में कलेक्टर राजेंद्र कटारा ने शिक्षिका को जहां निलंबित कर दिया है,वहीं छात्रावास अधीक्षक को हटाया गया है।
उक्त मामले में हॉस्टल में रहने वाले छात्रों ने ग्रामीणों को सूचित करते हुए बताया कि पहले भी अधीक्षक शिक्षिका को लाता रहा है। जब कि अधीक्षक दो बच्चों के पिता है लेकिन शिक्षिका अविवाहित है।
अब सवाल यह उठता है कि प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी डॉ.डी.एन.मिश्रा जिनके कंधों पर बेहतर व्यवस्था रखने की जिम्मेदारी है तो आखिर वो क्या कर रहे थे ऐसा तो नहीं है कि इन्हीं की लापरवाही का नतीजा है कि जिले में आए दिन शिक्षा विभाग से जुड़े हुए कई काले कारनामे सामने आ रहे हैं।
उक्त घटना के बाद जानकारों का यह कहना है कि जिले के लापरवाह अधिकारियों के द्वारा टी.एल.के बैठक में कहीं गलत जानकारी प्रस्तुत कर शासन प्रशासन को गुमराह करने का कार्य तो नहीं किया जा रहा है? जिले में संचालित होने वाले आश्रम एवं छात्रावासों में जो नियुक्ति की जा रही है उस व्यक्तियों का कोई चरित्र वर्णन का जांच पड़ताल नहीं किया जा रहा है की वह व्यक्ति उस जगह के लिए योग्य है या अयोग्य केवल इतना देखा जा रहा है कि सामने वाला चढ़ावा कितना चढ़ता है और उसकी राजनीतिक पहुंच कितनी है इन्हीं दो बिंदुओं को लेकर लोगों की धड़ले से पोस्टिंग की जा रही है।
और इसके लिए जो जिम्मेवार है उस पर कोई कार्रवाई भी नहीं की जा रही है।
जिस अधिकारी के लापरवाही के कारण यह घटना घटित हुआ उस पर आखिर क्यों करवाई नहीं की जा रही यह जनता के सामने बड़ा सवाल बनकर उभर रहा है। वैसे देखा जाए तो रामचंद्रपुर विकासखंड के आवासीय विद्यालय में पति-पत्नी एक साथ निवास कर रहे और ऐसा करके छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशों कि खुली अवहेलना कि जा रही है। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी प्रभारी विकासखंड शिक्षा अधिकारी सदानंद कुशवाहा को नहीं है लेकिन इसके बावजूद भी इनके द्वारा लापरवाही बरती जा रही है।
जिस स्थान पर आवास संचालित है वहां पर निवास करने वाले लोगों सहित और भी कई शिक्षा विभाग के लोग भली भांति जानते हैं कि कितने सालों से एक साथ निवास करते चले आ रहे हैं लेकिन वही बेहतर चढ़ावा और राजनीति पहुंच के कारण कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। वही छत्तीसगढ़ शासन में बैठे हुए प्रतिनिधियों के द्वारा शिक्षा की स्तर सुधारने की बातों को बड़ी गंभीरता से लेते हुए प्रेस वार्ता एवं आमसभा में कहीं जाती है लेकिन कोई पहल नहीं किया जाता? यहां तक की संलगनी करण पर भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती ईसी का खामियाजा है कि
रामचंद्रपुर विकासखंड के प्रभारी विकासखंड शिक्षा अधिकारी सदानंद कुशवाहा के द्वारा अपने ही कार्यालय में कई लोगों को संलग्न करके रखा गया है। वही विकासखंड के कई विद्यालयों में संलगनी करण का खुला खेल खुलेआम चल रहा है। संलगनी कारण कराने वाले बाकायदा चढ़ावा भी चढ़ाते हैं तभी उनका काम संभव हो पता है इसके लिए इस कार्यालय में लगभग 21 वर्षों से एक ही दलाल बैठा हुआ है जिसके माध्यम से यह सारे कार्य कराए जाते हैं वह दलाल कौन है इस पूरे जिले के जनप्रतिनिधि एवं अफसर लोग भी भली भांति जानते हैं।
कैसा भी आर्डर हो छुटकियों में पास कर कर दे देता है। लोग तो इतना भी कहते हैं कि छत्तीसगढ़ के मुख्य दो राजनीति पार्टियों में कांग्रेस और भाजपा सम्मिलित है लेकिन शासन किसी का भी हो यह दलाल हर शासन में फिट बैठता है। बलरामपुर जिले में ढाई से 3 साल के अंदर जिले के कलेक्टर एवं एसपी की तबादला तो निश्चित है लेकिन रसूखदारों का तबादला ना होना यह भी हमेशा चर्चा का विषय बना रहता है।