जिला अस्पताल में ‘रातों-रात निविदा घोटाला’ – रिश्तेदारों ने लिया मरीजों की थाली का स्वाद.. जीवन द्वीप पर सवालों की बौछार

बलरामपुर (पृथ्वी लाल केशरी)…बलरामपुर जिला चिकित्सालय की रसोई में इस बार चूल्हा सिर्फ़ मरीजों के लिए नहीं, बल्कि कथित भ्रष्टाचार के लिए भी जलता दिखा है। जननी शिशु सुरक्षा योजना और भर्ती मरीजों के भोजन वितरण की निविदा प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए एक विस्तृत शिकायती पत्र जिला कलेक्टर को भेजा गया है।
इस पत्र में दावा किया गया है कि निविदा को पूर्व नियोजित तरीके से एक विशेष महिला स्वयं सहायता समूह को लाभ पहुंचाने के लिए रातों-रात गुप्त तरीके से पूरी प्रक्रिया बदली गई। शिकायतकर्ता ने इसे “पूर्व नियोजित सरकारी ठगी” बताते हुए निविदा को निरस्त कर पुनः जारी करने की मांग की है।
रात 11 बजे तक चली निविदा
संदर्भित निविदा क्रमांक 1100, दिनांक 4 सितंबर 2025, सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक कार्यालय द्वारा जारी की गई थी। यह निविदा वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए अस्पताल में भर्ती मरीजों और प्रसूताओं को जलपान एवं भोजन उपलब्ध कराने हेतु थी।
शिकायत में कहा गया है कि निविदा खोलने का समय शाम 4 बजे निर्धारित था, लेकिन प्रक्रिया रात 11 बजे तक खिंची, जिससे कुछ चुनिंदा समूहों को लाभ मिला।
“कार्यवाही निर्धारित स्थान पर नहीं हुई, और ज़िला पंचायत से जुड़े अन्य महिला समूहों को बिना सूचना दिए दरवाज़े बंद कर कार्य चलती रही,” शिकायत में लिखा है।
अधूरे दस्तावेज – नियमों का खुला उल्लंघन
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि कंडिका 15 में मांगे गए आवश्यक दस्तावेज (जैसे खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के तहत अनुज्ञप्ति प्रमाणपत्र) चयनित समूह ने जमा ही नहीं किए, फिर भी उन्हें योग्य घोषित कर दिया गया। यह भी कहा गया है कि विज्ञापन की तिथि के बाद बने प्रमाणपत्रों को भी स्वीकार कर लिया गया, जो निविदा नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है।
फार्मासिस्ट पर ‘रिश्तेदारी फॉर्मूला
सबसे गंभीर आरोप फार्मासिस्ट शशी गुप्ता पर लगे हैं। शिकायत के अनुसार, उन्होंने निविदा खुलने से पहले ही चयनित समूह को जरूरी दस्तावेज बनवाने में मदद की।
इतना ही नहीं, ड्रा में शामिल सात महिला समूह और फर्में एक ही व्यक्ति के नियंत्रण में बताई गई हैं, जो शशी गुप्ता के रिश्तेदार हैं।
शिकायतकर्ता ने लिखा — जीवन दीप समिति के सदस्यों ने नियमों की अनदेखी की और पूरे खेल का संचालन फार्मासिस्ट शशी गुप्ता ने किया। 21 निविदाओं में से 14 समूहों को ‘ईएसआई प्रमाणपत्र नहीं होने’ का बहाना बनाकर अपात्र घोषित किया गया, जबकि उनके पास प्रमाणपत्र मौजूद थे।
सवालों में जीवन दीप समिति की भूमिका
शिकायत में समिति के सदस्यों – मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ), सिविल सर्जन और अन्य को भी मौन सहमति देने का आरोपी बनाया गया है।
कहा गया है कि जीवन दीप समिति की बैठक महज़ औपचारिकता रही, और निर्णय पहले ही तय था।
कलेक्टर से जांच और की मांग
शिकायतकर्ता ने कलेक्टर से 1 से 8 तक के आरोप बिंदुवार जांचने, निविदा निरस्त करने, फार्मासिस्ट शशी गुप्ता को समिति से हटाने और नई निविदा पारदर्शी तरीके से जारी करने की मांग की है। पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री, सरगुजा आयुक्त, सीएमएचओ बलरामपुर और सिविल सर्जन कार्यालय को भी भेजी गई है।
अस्पताल में पहले से घटिया भोजन
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जिला अस्पताल में पहले से ही भोजन की गुणवत्ता खराब और मात्रा अपर्याप्त है। अब इस निविदा विवाद ने यह भरोसा भी तोड़ दिया है कि मरीजों को सरकारी योजना के तहत पौष्टिक और सुरक्षित भोजन मिलेगा। एक नागरिक ने कहा — “अगर भोजन की निविदा तक में साजिश होगी तो इलाज में न्याय की उम्मीद कैसे करेंगे?”
प्रशासन की चुप्पी और जनता की बेचैनी
जिला प्रशासन ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, कलेक्टर ने शिकायत प्राप्त कर प्रारंभिक जांच का निर्देश दिया है।
हालांकि जनता सवाल पूछ रही है —क्या जिला अस्पताल की रसोई अब ईमानदारी से नहीं, रिश्तेदारी से चलेगी?”