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वक्फ कानून में संशोधन…समय की मांग…उप मुख्यमंत्री अरूण ने बताया..बिल का संबध धर्म से नहीं…मुस्लिम संपत्ति की सुरक्षा से है

उप मुख्यमंत्री साव ने पत्रकार वार्ता में कहा :कट्टरपंथी राजनीति करने वालों को झटका

बिलासपुर—पहली बार वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन नहीं किया गया है। पहले भी संशोधन हुआ है। हमारी नीयत पर सवाल उठाने वालों को बताना जरूरी है कि कट्टरपंथी राजनीति का देश में जगह नहीं है। नया वक्फ बोर्ड कानून मुस्लिम समाज के विकास और समृद्धि के लिए मील का पत्थर बासिल होगा। यह बातें उप मुख्यमंत्री अरूण साव ने पत्रकार वार्ता के दौरान कही। प्रेसवार्ता में नगर विधायक अमर अग्रवाल, बिल्हा विधायक धरमलाल कौशिक, बेलतरा विधायक सुशान्त शुक्ला, समेत जिला अध्यक्ष दीपक सिंह और गुलशन ऋषि,मीडिया संयोजक प्रणव शर्मा समदरिया विशेष रूप से मौजूद थे।
उप मुख्यमंत्री अरूण साव ने पत्रकार वार्ता कर बताया कि नए वक्फ बोर्ड कानून से गरीब मुस्लिमों के हितों का संरक्षण और आदिवासियों, सरकारी जमीनों और सर्व समाज की जमीनों की सुरक्षा सुनिश्चित हुई है। यह बिल सभी समाज के साथ न्याय करने वाला है।निश्चित रूप से कट्टरपंथी वोटबैंक की राजनीति करने वालों को झटका भी है।
जिला भाजपा कार्यालय में वक्फ बोर्ड कानून को लेकर उपमुख्यमंत्री अरूण साव ने पत्रकारों से संवाद किया। अरूण साव ने बताया कि संवैधानिक दृष्टि से भारतीय जनता पार्टी वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार चाहती है। संपत्तियों का दुरुपयोग न हो और सही तरीके से इस्तेमाल हो। संसद के दोनों सदनों में लम्बी चर्चा के बाद पारित वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ कानून बन गया है। वक्फ संशोधन बिल से वक्फ बोर्डों के कार्यों में पारदर्शिता और जिम्मेदारी आएगी। बोर्ड वक्फ की संपत्तियों का  उचित उपयोग होगा।
 साव ने बताया कि वक्फ बिल पास होने के बाद परिषद में 2 मुस्लिम महिलाओं को शामिल करना अनिवार्य है। पहले सेक्शन 40 के तहत वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति पर दावा घोषित कर सकता था। अब मालिकाना हर ठोकने से पहले सत्यापन करना अनिवार्य होगा। सेक्शन 40 को खत्म कर पारदर्शिता लाई जा रही है। पहले वक्फ बोर्ड सरकारी संपत्ति पर भी दावा कर सकता था। अब सरकारी संपत्ति वक्फ से बाहर होगी । आर्कियोलाजिकल से निर्धारित ऐतिहासिक स्थल पर भी वक्फ दावा नहीं कर सकता है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले वक्फ ट्रिब्यूनल का फैसला आखिरी होता था। अब वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। वक्फ बोर्ड की सभी संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन जिला मुख्यालय में होगा। वक्फ बोर्ड में शिया और सुन्नी समेत पिछड़े वर्ग के मुस्लिम समुदायों से भी सदस्य बनेंगे। नए नियम के अनुसार बोहरा और आगाखानी मुसलमानों के लिए अलग से वक्फ बोर्ड बनाया जाएगा।
पहले सेंट्रल वक्फ काउंसिल में शामिल 2 लोकसभा और 1 राज्यसभा के सांसद को मुस्लिम होना अनिवार्य था। अब इस शर्त का होना अनिवार्य नहीं है। साव ने बताया कि देश में तीसरा सर्वाधिक  9.4 लाख एकड़ जमीन वक्फ के पास है। इसकी कीमत करीब 1.2 लाख करोड़ रुपयों से अधिक है।
साव ने जानकारी दिया कि वक्फ सेंट्रल काउंसिल में 22 सदस्यों में 10 सदस्य मुस्लिम समुदाय से होंगे। अधिकतम 4 सदस्य गैर मुस्लिम होंगे। तीन सांसद होंगे। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के 2 पूर्व जज होंगे। इस के अलावा एक एक एडवोकेट भी होगा। कलेक्टर इसके सर्वसर्वा होंगे। अब वक्फ शेड्यूल 5 और शेड्यूल 6 में वक्फ प्रॉपर्टी क्रिएट नहीं कर सकेंगे। वक्फ ट्रिब्यूनल में 3 सदस्य होंगे। कार्यकाल 6 साल का होगा।
उपमुख्यमंत्री साव ने बताया कि मुकाबला समाज के विकास में विश्वास करने वालों और सिर्फ अपना हित साधने वालों के बीच है।बिल हर समाज के साथ न्याय करने वाला है। कट्टरपंथी वोटबैंक की राजनीति करने वालों के लिए झटका भी है।
वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन के सवाल पर उप मुख्यमंत्री ने बताया कि समय की मांग के अनुसार संशोधन किया गया है। पहले कोई भी व्यक्ति मनमानी कर ताजमहल पर भी दावा कर रहे हैं.। ऐसा अब नहीं चलेगा। हमारी नीयत पर शक का सवाल हीनहीं है। क्योंकि यह बिल मुस्लिम  समाज की संपत्ति को सुरक्षा के लिए लाया गया है। साव ने बताया कि छत्तीसगढ़ के लिए भी यह बिल लाभाकारी है। जल्द ही छानबीन कर छत्तीसगढ़ वक्फ के पास मौजूद जमीन की भी जानकारी साझा करेंगे।
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