मौत के 12 साल बाद मांगा अनुकम्पा..हाईकोर्ट में याचिका खारिज..कहा..साफ करें रिश्ता का विवाद..सिविल कोर्ट का दिखाया रास्ता
मृत पति पत्नी ने हलफनाम में लिखा...उसकी बेटी ही एकमात्र संतान

बिलासपुर—मौत के 12 साल बाद भृत्य कर्मचारी का बेटा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर किया। मृत कर्मचारी के बेटे ने अनुकम्पा नियुक्ति की मांग की। सुनवाई कर हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता और मृत कर्मचारी के रिश्ते में विवाद की बात सामने आयी है। विवाद का निपटारा को लेकर दायर याचिका क्षेत्राधिकार से बाहर है। साथ ही याचिका खारिज कर कोर्ट ने कहा मामला निपटारे के लिए वादी सिविल कोर्ट में अपनी बात को रख सकता है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को प्रमुख पक्षकार बनाया था ।
क्या है मामला
बिलासपुर यदुनंदन नगर निवासी गणेश नायडू हाईकोर्ट में भृत्य के पद पर कार्यरत थे। 16 जून 2010 को सेवा के दौरान भृत्य की गणेश नायडू की मौत हो गयी। मृतक की पत्नी पूजा नायडू हाईकोर्ट में कार्यरत थीं। पति की मौत के बाद पत्नी पूजा की भी सेवाकाल के दौरान मौत हो गयी। मां की मौत के बाद बेटी ऋचा नायडू को अनुकंपा नियुक्ति दी गई। बाद में सेवा से हटा दिया गया। उस्लापुर निवासी नीलकांत नायडू ने 9 फरवरी 2022 को खुद को गणेश नायडू का पुत्र और आश्रित बताया। अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया। 26 मई 2022 को आवेदन को खारिज कर दिया गया । आवेदन खारिज होने के बाद नीलकांत ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पिता की मौत के बाद अनुकंपा नियुक्ति की मांग की। मामले की सुनवाई के बाद पति पत्नी नायडू ने पेश किए गए दस्तावेज का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि मृतक कर्मचारी ने अपने नामांकन फॉर्म में पत्नी पूजा नायडू और बेटी ऋचा नायडू को नामांकित किया था। परिवार सूची में याचिकाकर्ता का नाम नहीं था। पूजा नायडू ने हलफनामा देकर कहा था कि गणेश नायडू से उसकी केवल एक बेटी ऋचा है.। बाकी बच्चे उनके पति के बड़े भाई से है।
मृतक कर्मचारी की भाभी की शपथ
याचिकाकर्ता ने जवाब में मृतक कर्मचारी की भाभी उषा मूर्ति का हलफनामा पेश किया। शपथ पत्र में बताया गया कि, गणेश नायडू की दो पत्नियां रेशमा और पूजा थीं। याचिकाकर्ता रेशमा से जन्मा बेटा है। ऋचा नायडू को दी गई अनुकंपा नियुक्ति वापस ली जा चुकी है। बाकी बेटियां दावा नहीं कर रहीं। इसलिए नीलकांत को नियुक्ति दी जाए। इस दौरान 14 जून 2013 के सर्कुलर का हवाला दिया गया। जिसमें आश्रित पुत्र को अनुकंपा नियुक्ति का हकदार बताया गया है। कोर्ट को बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति खराब है, मां और बहन की जिम्मेदारी उसी पर है।
नियुक्ति का अधिकार नहीं
हाईकोर्ट ने फैसले में लिखा है कि,याचिकाकर्ता साबित नहीं कर पाया कि मृतक कर्मचारी उसका पिता है। केवल परिवार सूची में नाम होने से नियुक्ति का अधिकार नहीं बनता। पूजा नायडू ने हलफनामें में स्पष्ट किया था कि ऋचा ही उसकी एकमात्र बेटी है। हलफनामा सर्विस बुक का हिस्सा है। कोर्ट ने कहा कि मृतक कर्मचारी की मृत्यु के समय पत्नी सेवा में थी। नियमानुसार अनुकंपा नियुक्ति का दावा नहीं बनता है।