“निजी स्वार्थ के लिए अदालत का दुरुपयोग !..याचिकाकर्ता को पड़ा भारी..हाईकोर्ट ने लगाया भारी भरकम जुर्माना

बिलासपुर… छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने एनटीपीसी सीपत के खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर ₹50 हजार का जुर्माना लगाया है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने कहा कि कानून की प्रक्रिया का निजी स्वार्थ के लिए दुरुपयोग अस्वीकार्य है।
क्या थी याचिका की मांगें?
क्षेत्रीय ट्रांसपोर्ट वेल्फेयर एसोसिएशन, सीपत ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कई मांगें रखी थीं, जिनमें शामिल थीं।फ्लाई ऐश से भरे ओवरलोड ट्रकों को न छोड़ा जाए।फ्लाई ऐश से भरे ट्रकों को तिरपाल से ढककर परिवहन किया जाए।बिलासपुर-सीपत मार्ग पर ओवरलोड वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाई जाए।
NTPC का तर्क: निजी हित के लिए दायर याचिका
एनटीपीसी और शासन की ओर से अदालत को बताया कि इसी मुद्दे पर पहले से ही एक अन्य जनहित याचिका न्यायालय में लंबित है। जिस पर सक्रिय विचार चल रहा है। मामले में हाईकोर्ट ने पहले ही स्वतः संज्ञान लिया था।वर्तमान याचिका का उद्देश्य सार्वजनिक हित नहीं, बल्कि याचिकाकर्ता का निजी व्यावसायिक लाभ है।याचिकाकर्ता पेशे से ट्रांसपोर्टर है और उसका एनटीपीसी से अनुबंध पाने में सीधा व्यावसायिक हित है।
अदालत की टिप्पणी और सख्त रुख
अदालत ने कहा कि जब किसी मुद्दे पर पहले से ही सुनवाई हो रही हो और याचिकाकर्ता स्वयं उस मामले में पक्षकार हो, तो बाद की याचिका को वास्तविक जनहित याचिका नहीं माना जा सकता। बेंच ने स्पष्ट किया कि: अदालतों को जनहित याचिकाओं में याचिकाकर्ता की साख और उद्देश्य की गहन जांच करनी चाहिए।न्यायपालिका का अधिकार क्षेत्र निजी स्वार्थों के लिए उपयोग या दुरुपयोग का साधन नहीं बन सकता।
जुर्माने की राशि होगी उपयोगी
कोर्ट ने जुर्माने की 50 हजार की राशि को विशिष्ट दत्तक ग्रहण एजेंसी, गरियाबंद और बालोद को देने का निर्देश दिया है। यह आदेश 23 अगस्त 2025 को जारी किया गया।